आभा गुप्ता ने कानपुर उत्तर प्रदेश से समस्या भेजी है कि-
मैं एक प्राइवेट नौकरी करती थी मेरा वेतन 5000 रु. था। मेरी शादी दिनांक 17.11.13 को हुई। मेरे पति भी प्राइवेट नौकरी करते हैं उन का वेतन रु. 10000 है। मेरे सास ससुर के पास रु. 4500 ब्याज आता है। और 30 तोला पुस्तैनी जेवर है। फिर मेरी सास मेरे पति का पूरा वेतन ले लेती थी और मेरा भी पूरा वेतन मांगने लगी और पति भी उनके साथ थे। मैं ने अपना वेतन देने से साफ मना कर दिया तो उन लोगों ने मुझे फिज़िकल और मेंटल टार्चर करना शुरु कर दिया। ये इस हद तक रहा कि मैं बीमार रहने लगी और दिनांक 13.04.14 को तो मुझे इतना परेशान किया कि मैने 100 नं पर फोन कर पुलिस बुलाई और फिर उनके साथ अपने मायके गई। फिर मैं बहुत परेशान हो गई इस कारण अपनी जॉब भी ना कर सकी। फिर दोनो पक्षों ने बैठ कर फ़ैसला कराया की पुश्तैनी मकान में मेरा ऊपर वाला कमरा और नीचे वाला कमरा सास ससुर का होगा और अलग अलग रहेंगे। फिर मेरी सास नहीं मानी और मेरे पति कहते हैं जो उनकी मम्मी कहेंगी वो करेंगे। सास कहती है कि अब जेल चले जाएँगे पर आने नही देंगे। (क्यूंकी दहेज प्रथा में अब अरेस्ट नहीं होता है) मेरा स्त्री-धन लगभग 10 तोला गोल्ड उनके पास है। अब फिर एक घरेलू हिंसा का केस लगाया जिस मे उपर वाला कमरा अलग माँगा तो उन्होने जवाब लगाया कि उन की सॅलरी 900 रु है और घर में कमाई का कोई अन्य साधन नहीं है और मैं जॉब करती हूँ और उनका जेवर 5 तोला ले गई हूँ। घर में एक छोटा कमरा है जब कि सास ससुर के हिस्से में 02 कमरे हैं। मैं तब से अपने मायके में रह रह रही हूँ और मेरे पास कोई भरण पोषण का साधन भी नहीं है।
समाधान-
दुनिया में ऐसे मूर्खों की कमी नहीं जो लालच में आ कर रोज अण्डा देने वाली मुर्गी का पेट फाड़ डालते हैं। आप के सास ससुर और पति इसी किस्म के प्राणी दिखाई पड़ते हैं। आप की सास वास्तव में आप की ससुराल की सल्तनत की वजीर हैं और सारे कमाने वालों की कमाई अपने कब्जे में कर के राज चलाना चाहती हैं। आप एक मेहनतकश स्त्री हैं, खुद की कमाई पर स्वाभिमान से जीना चाहती हैं। आप के साथ विवाह ने बहुत बुरा किया है।
एक स्त्री की सब से बड़ी ताकत उस की वह संपत्ति जिस का वक्त जरूरत वह इस्तेमाल कर सके और उस की नियमित आय है। यदि ये दोनों या उन में से एक उस के पास नहीं है तो वह शक्तिहीन है। इसी ताकत को आप की सास ने आप से छीनना चाहा है आप ने प्रतिवाद किया और बात बिगड़ गयी। सब से बुरी बात है कि आप इस सारे प्रकरण में अपनी नौकरी को ठीक से नहीं कर पायीं। किसी भी स्त्री के लिए मुख्य चीज उस का वैवाहिक जीवन, पति या ससुराल नहीं है, अपितु उस की नियमित कमाई और उस का स्त्री-धन है। जब तक ये दोनों उस के पास हैं वह चैन से जी सकती है।
आप ने पूरा वेतन देने से प्रतिरोध कर के कुछ गलत नहीं किया। लेकिन जब हम किसी परिवार के सदस्य बनते हैं और एक कमाऊ व्यक्ति हैं तो हमारा भी यह कर्तव्य बनता है कि हम अपनी कमाई से उस परिवार को अपना योगदान करें। आप को चाहिए था कि आप अपने 5000 रु. प्रतिमाह वेतन से 2000 रुपए परिवार में योगदान करने का प्रस्ताव रखतीं। हो सकता है आप ने रखा हो और माना नहीं गया हो।
खैर, जो हुआ सो हुआ। यदि सास कहती है कि वह आप को आने नहीं देगी तो आप भी साफ कह सकती हैं कि मैं कौन आने के लिए मरी जा रही हूँ। आप को चाहिए कि आप सब से पहले तो आप की नौकरी जो जा चुकी है उसे फिर से हासिल करें। वह नहीं तो कोई दूसरी नौकरी हासिल करें और अपनी कमाई का साधन बनाएँ और प्रण करें कि इसे हमेशा बनाए रखेंगी यही आप की ताकत और जीने का सहारा बनेगी। दूसरा जो आप का स्त्री-धन जिस में आप को अपने मायके से मिले उपहार तो हैं ही, ससुराल से व अन्य लोगों से मिले जेवर व अन्य उपहार भी सम्मिलित हैं। आप की ससुराल के कब्जे में है उसे हासिल करें। उसे हासिल करने के लिए आप को 498ए और 406 आईपीसी की रिपोर्ट पुलिस थाना में कराएँ या अदालत में परिवाद प्रस्तुत करें। यदि मामले में तथ्य होंगे और प्रमाणित होगा तो गिरफ्तारी भी जरूर होगी। उत्तर प्रदेश में तो अग्रिम जमानत का कानून भी नहीं है। फिलहाल आप घरेलू हिंसा अधिनियम तथा धारा 125 दं.प्र.सं. दोनों में भरण पोषण की मांग कर सकती हैं। आप के पति अदालत में अपने जवाब में क्या कहते हैं इस से कोई फर्क नहीं पड़ता। आप कार्यवाही अवश्य करें। पर इतना ध्यान रखें कि अदालती कार्यवाहियाँ लम्बी चलती हैं, वहाँ से राहत देर से मिलेगी और जिसे सांकेतिक ही कहा जा सकता है। अदालत की दिलाई भरण पोषण राशि से अभी तक किसी का जीवन बना या चला नहीं है। आप की असली ताकत तो यह होगी कि आप अच्छी नौकरी हासिल करें, पहले से अधिक वेतन मिले और इसे लगातार बढ़ाते रहें। आत्मनिर्भरता ही स्त्री की मूल और असली ताकत है।