समस्या-
सिरोही, राजस्थान से मांगीलाल चौहान ने पूछा है-
मैं अपनी पत्नी से तलाक ले रहा हूँ। जिस से उस के घर वाले मेरी जान के दुश्मन बन गए हैं। ऐसी स्थिति में किसी दिन मेरा सामना उस के घर वालों से हो गया और मेरे ऊपर हमला कर दें तो मैं अपने बचाव के लिए किस हद तक कोशिश सकता हूँ? या इस तरह के झगड़े में फिर दोनों में से किसी एक की मृत्यु हो जाए तो कौन सा केस बनेगा? मुझे अपने बचाव के लिए क्या करना चाहिए?
समाधान-
यदि किसी व्यक्ति पर हमला होता है तो उस व्यक्ति को अपनी आत्मरक्षा का पूरा अधिकार है। आत्मरक्षा के लिए उठाए गया कदम ऐसा नहीं होना चाहिए जो कि आत्मरक्षा की आवश्यकता से अधिक हो। यह दूसरी बात है कि आत्मरक्षा के लिए उठाए गए कदम से किसी की मृत्यु भी हो सकती है। कौन सा कदम आत्मरक्षा का है यह तो तथ्यों पर ही निर्भर करता है।
यदि किसी झगड़े में किसी की मृत्यु हो जाती है तो प्रथम दृष्टया तो हत्या का ही मुकदमा बनेगा। लेकिन जिस व्यक्ति के विरुद्ध हत्या के आरोप में मुकदमा चलाया जाएगा वह यह प्रतिरक्षा ले सकता है कि उसी पर हमला हुआ था। आत्मरक्षा हेतु उठाए कदम से यदि किसी की मृत्यु हो गई है तो उस में उस का दोष नहीं है। यदि न्यायालय तथ्यों के आधार पर पाता है कि अभियुक्त का इरादा किसी को मारने का नहीं था और उस के द्वारा उठाया गया कदम केवल आत्मरक्षा के लिए था तो वह अभियुक्त को दोषमुक्त भी कर सकता है। बहुधा हत्या के प्रकरण में आत्मरक्षा की प्रतिरक्षा ली जाती है पर अधिकांशतः यह मिथ्या होती है। इस कारण अधिकांश मामलो में इस प्रतिरक्षा को न्यायालय द्वारा रद्द कर दिया जाता है। आत्मरक्षा के आधार पर प्रतिरक्षा करना अत्यन्त कठिन ही नहीं, प्राय: असंभव ही है।