ए.के.कुमार ने झारखंड के धनबाद से समस्या भेजी है कि-
मैंने नौकरी करते हुए जमीन लेकर अपना मकान बनवाया। जमीन मैंने अपनी पत्नी के नाम पर ली थी। अब उनका निधन हो चुका है। मेरे दो बेटे हैं। मेरा सवाल है कि मेरी पत्नी के निधन के बाद उस जमीन एवं मकान पर मालिकाना हक किसका होगा। यदि मैं जमीन और मकान को अपने एक ही बेटे के नाम पर करता हूं तो क्या दुसरा बेटा उस पर अपना हक कानूनी तौर पर मांग सकता है। या क्या मैं उस जमीन एवं मकान को बेच सकता हूं?
समाधान-
बेनामी ट्रांजेक्शन्स (प्रोहिबिशन) एक्ट 1988 की धारा 3 में यह प्रावधान किया गया है कि कोई भी व्यक्ति बेनामी ट्रांजेक्शन (किसी दूसरे के नाम से संपत्ति की खरीद) नहीं करेगा। यदि करेगा तो उसे 3 वर्ष तक के कारावास के दंड से दंडित किया जा सकता है। इस धारा में यह उपबंधित किया गया है कि यदि कोई अपनी पत्नी तथा अविवाहित पुत्री के नाम से कोई संपत्ति खरीदता है तो उसे बेनामी ट्रांजेक्शन नहीं माना जाएगा। लेकिन इस के साथ ही यह कहा गया है कि ऐसी संपत्ति के लिए यह समझा जाएगा कि वह पत्नी या पुत्री के लाभ के लिए खरीदी गई है।
आप के मामले में पत्नी का देहान्त हो चुका है। लेकिन संपत्ति पत्नी के नाम है इस कारण से प्रथम दृष्टया यही समझा जाएगा कि संपत्ति आप की पत्नी की है। वैसी स्थिति में आप उस के एक मात्र स्वामी नहीं समझे जाएंगे। क्यों के आप के पुत्र और पुत्रियाँ भी आप की पत्नी के उत्तराधिकारी हैं। यदि आपकी कोई पुत्री नहीं है तो आप तीनों एक तिहाई हिस्से के उत्तराधिकारी हैं और आप के पुत्र आप से अपने हिस्से की मांग कर सकते हैं।
आप के पुत्र या तो यह घोषणा कर सकते हैं कि यह संपत्ति उन की माता के नाम से बेनामी खरीदी गई थी और आप की स्वअर्जित संपत्ति है और आप को उसे विक्रय करने का अधिकार है। यदि वे ऐसा करते हैं तो आप उस संपत्ति को विक्रय कर सकते हैं। यदि उन में से कोई आपत्ति करता है तो या तो वह अपने हिस्से के लिए न्यायालय का दरवाजा खटखटाएगा। यदि वह न्यायालय नहीं जाता है और आप को उक्त संपत्ति को विक्रय करने या फिर दूसरे पुत्र को हस्तान्तरित करने में बाधा उत्पन्न करता है तो आप को दीवानी न्यायालय में घोषणा का दावा कर के इस आशय की घोषणा की डिक्री प्राप्त करनी होगी कि उक्त संपत्ति आप की बेनामी सम्पत्ति है। उक्त संपत्ति को खरीदने और निर्माण में समूचा धन आप का ही खर्च हुआ है। आप की पत्नी के पास खुद की कोई आय नहीं थी और उस का कोई धन उस संपत्ति में नहीं लगेगा।
इस संबंध में विकल्प के रूप में आप यह भी कर सकते हैं कि दोनों पुत्रों से उन का हिस्सा अपने नाम रिलीज करवा लें। तब आप को उक्त पूरी संपत्ति पर अधिकार प्राप्त हो जाएगा। फिर आप उक्त संपत्ति को स्थानान्तरित कर सकते है, विक्रय कर सकते हैं या उस की वसीयत कर सकते हैं।