समस्या-
नेहा सक्सेना ने बरेली, उत्तर प्रदेश से समस्या भेजी है कि-
मेरी शादी 14 एप्रिल 2015 में हुई है और मेरी 14 माह की एक बेटी है। मेरे पति बरेली के अच्छे सीबीएसई पैटर्न स्कूल में टीचर हैं और मैं भी टीचिंग जॉब में ही हूँ। मेरी शादी के दूसरे माह से ही प्रॉब्लम्स स्टार्ट हो गई थी। मेरे पति मेरी मदर-इन-लॉ की हर बात मानते हैं, यहाँ तक कि हमारे पर्सनल रिलेशन्स कैसे रहेंगे ये भी वही डिसाइड करती है। शादी के पहले से ही मेरी ननद जो कि शादीशुदा है और उस के दो बच्चे हैं रोज़ सुबह मेरे घर आ जाती है और शाम को 8-9 बजे तक वापस जाती है। बेटी होने वाली थी तब भी मेरी सास ननद और पति ने मुझे बहुत टॉर्चर किया इतना कि मैं अपने मायके वापस आ गयी। लगभग 3-4 माह मैं मायके रही तब भी मेरे पति ने मुझे ले जाने की कोई कोशिश नहीं की तब मेरे पक्ष के लोगों ने पंचायत बैठा कर मुझे ससुराल भेजा। अब फिर वही परिस्थिति है और अब मेरी सास सभी से ये कह रही है कि मैं इस को किसी भी कीमत पर अपने बेटे के साथ नहीं रहने दूँगी क्यूंकि मैंने अपनी ननद के रोज़ आने पर आपत्ति उठाई थी। मेरे पति हमेशा की तरह अपने घरवालों के साथ हैं। मैं अपनी बेटी के साथ मायके में हूँ और पति से किसी तरह का कोई सम्पर्क नहीं है। मैं अपने पति के साथ ही रहना चाहती हूँ लेकिन सास ननद और पति के टोर्चर के साथ नहीं। इसकी वजह से ही पुलिस में अभी तक कोई कंप्लेंट नहीं की है। मैं जानना चाहती हूँ कि मुझे क्या करना चाहिए।. क्या मैं पति से क़ानूनी तौर पर पेरेंट्स से अलग होने की माँग कर सकती हूँ? क्या मैं अपने ससुराल मे ननद के रोज़ रोज़ आने पर रोक लगाने के लिए कोई कानूनी कार्यवाही कर सकती हूँ? साथ ही मेरे पति मुझे खर्च के लिए कुछ नहीं देते तो साथ रहते हुए क्या क़ानूनी तौर पर पति से अपने और बेटी के खर्च के लिए डिमांड कर सकती हूँ? मैं परेशानी में हूँ, मुझे सही रास्ता सुझाएँ। मायके से कोई भी सपोर्ट नहीं है, पिता की मृत्यु हो चुकी है बस मम्मी और छोटी बहिन है।
समाधान-
पति पत्नी का रिश्ता ऐसा है कि वह दोनों के चलाने से चलता है। कानून के हस्तक्षेप से उस में बहुत मामूली सुधार संभव है, अधिक नहीं। मामला अधिक गंभीर होने पर तलाक के सिवा कोई चारा नहीं रहता है। पूरी कहानी में आप के पति आप के साथ खड़े कभी नहीं दिखाई देते हैं। जब कि ननद का अपना घर है और माताजी के सिवा कोई अन्य दायित्व उन पर नहीं है। लेकिन जैसी उन का स्वभाव है वे अपनी माँ और बहिन के विरुद्ध कुछ नहीं बोलेंगे और आप को अभी भी वे अपना नहीं पराये परिवार का प्राणी समझते हैं। जब तक पति स्वयं आप के साथ माँ और बहिन के सामने नहीं खड़े होते आप का ससुराल जा कर रहना मुनासिब नहीं वर्ना वही पुरानी स्थितियाँ झेलनी पड़ेगी।
आप के साथ जो व्यवहार हुआ है वह घरेलू हिंसा है और आप घरेलू हिंसा अधिनियम के अंतर्गत कार्यवाही कर सकती हैं। आप इस अधिनियम में अलग आवास की सुविधा की मांग कर सकती हैं, आप अपने लिए और अपनी बेटी के लिए खर्चे की मांग कर सकती हैं। हमारा सुझाव है कि पहले आप इस अधिनियम के अंतर्गत इन दोनों राहतों के लिए आवेदन करें। आप खुद कमाती हैं, हो सकता है आप की कमाई बहुत कम हो लेकिन फिर भी मितव्ययता बरतते हुए माँ और बहिन के साथ रहते हुए अपने आत्मसम्मान को बनाए रख सकती हैं। इस अधिनियम में न्यायालय अंतरिम राहत भी प्रदान कर सकता है। जिस से आप को एक राशि हर माह मिलना आरंभ हो सकती है। जब तक खुद आप के पति अपने साथ रहने को नहीं बोलें और माँ, बहिन की क्रूरता के विरुद्ध आप के साथ खड़े होने तथा खुद क्रूरता करने का वादा न करें तब तक आप को उन के साथ जा कर नहीं रहना चाहिए। जरूरी होने पर पुलिस में 498ए के अंतर्गत रिपोर्ट करायी जा सकती है। अभी इतना करें। फिर प्रतिक्रिया देखें और आगे की कार्यवाही तय करें।