तीसरा खंबा

आप धारा 498-ए व 406 आईपीसी के मुकदमे में अपना बचाव कर सकते हैं

father daughterसमस्या-

पीलीभीत उत्तर प्रदेश से वरुण ने पूछा है –

मेरी शादी २००८ में हुई थी। दो वर्ष बाद जुलाई २०१० में मेरी दो जुड़वाँ बेटियों का जन्म हुआ। जुड़वाँ होने के कारण बच्चियां अविकसित थी।] काफी दिनों तक वेन्टीलेटर व अन्य मशीनों पर रही,  लाख कोशिशों के बाद उनको बचाया जा सका। जब लड़कियां हॉस्पिटल से घर आयी तो मेरी पत्नी ने अपनी माँ के बहकावे में आकर दोनों बेटियों को पालने से मना कर दिया। यहाँ तक की उन बच्चियों को अपना दूध भी नहीं पिलाया उनकी परवरिश करने के बजाये घर में पत्नी और सास ने घर में में खूब क्लेश किये और २५ दिन के नवजात बच्चों को छोड़ कर चुपचाप मायके चली गयी। हमने जब अपने सालो से इस बारे में बात की तो उन लोगो ने हम लोगों को धमकिय दी पत्नी भी साथ रहने को तैयार नहीं हुई। छह माह बाद मैं ने एक प्रार्थना पत्र जिला विधिक समझैता केन्द्र में दाखिल किया जिस बाद मेरे साले घर पर आये और हम लोगों को बहुत बुरा भला कहा। न्यायालय में भी मेरी पत्नी ने साथ रहने से मना कर दिया और प्रार्थना पत्र निरस्त कर दिया गया।  लगभग १५ दिन बाद अचानक पत्नी वापस घर आ गयी और रहने लगी मैं ने समझा अब ठीक से रहेगी लेकिन दो चार दिन बाद ही फिर से कलह करने लगी। लगभग ६ महीने घर पर रही इसके बाद एक बेटी को लेकर मेरी अनुपस्थिति में चुपचाप फिर मायके चली गयी। काफी प्रयास के बाद भी जब बात नहीं बनी तो हमने आपकी और अन्य वकील की सलाह पर १ अप्रैल २०१३ में तलाक का मुकदमा कर दिया है जिस में क्रूरता, किसी अन्य से सम्बन्ध , तीन वर्षों से कोई शारीरिक सम्बन्ध न होना और साथ साथ ना रहने  के आधार लिए गए हैं और जिसकी पहली तारीख पर पत्नी नहीं आयी थी। वर्तमान में एक बच्ची मेरे पास है और एक इंग्लिश मध्यम स्कूल में पिछले पांच माह से शिक्षा प्राप्त रही है। मैंने अपनी माँ के साथ दोनों बेटियों की बेहतर ढंग से परवरिश की। मेरी माँ प्राइवेट स्कूल में टीचर है और मेरी मोबाइल रिपेयरिंग की शॉप है जो कि बेटियों की परवरिश करने के कारण समय से नहीं खुलती थी और उस से मेरा व्यवसाय ठप्प हो गया, अब पूरी तरह से माँ पर ही निर्भर हूँ। मैं अपनी दोनों बेटियों से बहुत प्यार करता हूँ। कृपया मुझे ये बताएँ कि –

  1. दूसरी बच्ची जो मेरे पास है क्या पत्नी उसे पा सकती है?
  2. क्या मुझे दूसरी बच्ची की अभिरक्षा भी मिल सकती है?
  3. क्या हम लोगों का तलाक हो पायेगा?
  4. क्या मुझे मासिक खर्च पत्नी को देना पड़ सकता है?
  5. यदि हम पर दहेज़ आदि के मुक़दमे होते है तो क्या बचाव हो पायेगा?
समाधान-

प ने जो तथ्य यहाँ रखे हैं। उन तथ्यों के बारे में अपनी और माँ की गवाही के अतिरिक्त कम से कम दो विश्वसीय साक्षियों के बयान आप को अपने विवाह विच्छेद के प्रकरण में कराने चाहिए। आप के पास दस्तावेजी सबूत भी पर्याप्त मात्रा में प्रतीत होते हैं। आप को दुकान का व्यवसाय ठप्प होने संबंधित कुछ न कुछ दस्तावेजी सबूत भी प्रस्तुत करने होंगे। आप के तथ्यों को आप को ठीक से प्रमाणित करना होगा। इस के अतिरिक्त आप को पत्नी के बारे में तथा जो बालिका पत्नी के साथ है उस की परवरिश के बारे में तथ्य रखने होंगे। यदि उस की परवरिश आप के पास जो बालिका है उस से बेहतर नहीं हो रही है और उसे भविष्य में उस का खामियाजा भुगतना पड़ सकता है, यह आप प्रमाणित कर सके तो आप को अपनी दूसरी बालिका की अभिरक्षा भी प्राप्त हो सकती है। तथ्यों से बिलकुल नहीं लगता कि जो बालिका आप के पास है उस की अभिरक्षा आप की पत्नी प्राप्त कर सकती है। आप को विवाह विच्छेद की डिक्री प्राप्त हो सकती है।

प की दूसरी बालिका जो आप की पत्नी के साथ निवास कर रही है उस की अभिरक्षा आप को प्राप्त नहीं होती है तो आप को पत्नी और बेटी के लिए भरण पोषण का खर्चा देना पड़ सकता है। लेकिन यदि आप प्रमाणित कर सके कि आप की कोई आय नहीं है और पत्नी कमाती है तो उस से बच भी सकते हैं। यह भी हो सकता है कि पत्नी से विवाह विच्छेद की डिक्री के समय आप भरण पोषण के मामले में न्यायालय को कहें कि यदि भरण पोषण ही दिलाना है तो एक मुश्त दिला दिया जाए जिसे कैसे भी आप दे देंगे और बाद में उस के दायित्व से मुक्त हो सकते हैं। वैसे इस बात की संभावना कम है कि आप के विरुद्ध धारा 498-ए व 406 भा.दं.संहिता के मुकदमे आप पर होंगे। लेकिन यदि हुए तो आप ठीक से अपना बचाव कर सकते हैं।

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