तीसरा खंबा

आप बैंक की गलती साबित कर सकते हैं उपभोक्ता न्यायालय में शिकायत प्रस्तुत करें।

consumer protectionसमस्या-

चतुरेश कुमार तिवारी ने इन्दौर, मध्य प्रदेश से पूछा है-

मैं इंदौर में एक निजी कंपनी में कार्यरतहूँ। मेरे फ़ोन पर दिनांक 13 अगस्त को दोपहर 2:56 मिनट पर एक अज्ञात कॉल 044-61607475 आया था जिसमें एक महिला ने स्वयं को बैंक प्रतिनिधि बताकरमुझसे मेरे क्रेडिट कार्ड की लिमिट जाननी चाही, जिसे मैंने देने से इंकार कर दिया था। इसके तुरंत बाद मुझे अपने मोबाइल पर 4.64 रुपए के अवैधट्रांज़ेक्शन का संदेश मिला तो मैंने तत्काल बैंक को सूचित कर अपना कार्डब्लॉक करवा दिया और लेनदेन संबंधी विवाद-प्रपत्र भी बैंक को मेल पर उसी दिनभेज दिए। बैंक ने मुझे भरोसा दिलाया था कि मेरे अगस्त माह के स्टेटमेंटमें इन विवादित लेनदेनों को नहीं जोड़ा जाएगा और इनकी जांच की जाएगी। अबबैंक ने 21 अगस्त को मेरे मेल पर जो स्टेटमेंट भेजा में उसमें विवादित 9 लेनदेनों में से 6 लेनदेनों का पैसा जोड़कर मुझे भुगतान करने को कहा है।इतना ही नहीं विवादित लेनदेनों का दिनांक 14 अगस्त दिखाया गया है जबकिमैंने अपना कार्ड 13 अगस्त को ही ब्लॉक करवा दिया था। ऐसे में मुझे क्याकरना चाहिए?

समाधान-

प ने जो सूचना यहाँ दी है उस में 4.64 रुपए से आप का क्या तात्पर्य है? समझ नहीं आया। आप ने जिस समय बैंक को अपना कार्ड ब्लाक करने की सूचना दी वह टेलीफोन पर मौखिक दी या फिर बैंक को एसएमएस किया था या फिर आप ने लिखित में बैंक को सूचना दी थी? यह भी स्पष्ट नहीं है। निश्चित रूप से बैंक ने आप का कार्ड 13 अगस्त को ब्लाक नहीं किया था। अन्यथा बैंक 14 अगस्त में ट्रांजेक्शन नहीं किया था। आप के पास इस बात का सबूत होना चाहिए कि आप ने फर्जी ट्रांजेक्शन को रोकने के लिए अपना कार्ड 13 को ही ब्लाक करवा दिया था। यदि आप के पास ऐसा सबूत है तो आप बैंक के विरुद्ध कार्यवाही कर सकते हैं।

ब भी हम बैंक को इस तरह का कोई आदेश देते हैं तो तुरन्त यह भी पक्का कर लेना चाहिए कि आप के आदेश की पालना तुरन्त कर दी गई है या नहीं। हो सकता है आप के आदेश को प्रोसेस करने में एक दिन का समय लगा हो और तब तक ये ट्रांजेक्शन हो चुके हों।

चूंकि आप खुद कह रहे हैं कि आपने विवाद पत्र 13 अगस्त को भेज दिया था। यदि आप इसे साबित कर सकते हैं तो बैंक को तुरन्त नोटिस दें कि यह ट्रांजेक्शन आप के कार्ड को ब्लाक करने का आदेश देने के उपरान्त हुए हैं, इस कारण इन की जिम्मेदारी आप की नहीं है। बैंक यदि इन की जिम्मेदारी लेने से बचता है तो आप बैंक के विरुद्ध उपभोक्ता न्यायालय के समक्ष शिकायत प्रस्तुत कीजिए।

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