समस्या-
नैनीताल, उत्तराखंड से घनश्याम भट्ट ने पूछा है –
मैं शिक्षक के रूप में 2007 से राजकीय सेवा में हूँ और स्वभावतः ईमानदारी से कार्य करने में विश्वास रखता हूँ मेरी नियुक्ति दुर्गम क्षेत्र में है जहाँ अधिकांश शिक्षक फर्जी छुट्टियाँ लेते हैं, परीक्षाओं में नकल कराते हैं और अशक्त बच्चों हेतु निर्मित मध्यान्ह भोजन का उपभोग धड़ल्ले से करते हैं। जिसका मैं कदापि समर्थन नहीं कर सकता। इसलिए अधिकांश अध्यापक मेरे विरोधी हो गए हैं। इसी दौरान मेरा विवाह हो गया और परिवार रखने योग्य कमरा वहाँ न होने के कारण ग्राम पंचायत के खाली पड़े मकान में केयरटेकर की अनुमति से रहने लगा। वे मेरे उस समय तक मकान मालिक भी थे। कुछ समय पश्चात मुझे परिस्थिति वश प्रधानाचार्य के रूप में कार्य करना पड़ा, मैं ने स्वभावतया उस कर्तव्य का पालन पूर्ण निष्ठा से करना चाहा एक अध्यापक जो ने सभी प्रधानाचार्यो को परेशान करता था, फर्जी छुट्टियाँ नहीं मिलने व विद्यालय में सख्ती होने के कारण मेरे खिलाफ बीडीओ यहाँ सूचना के अधिकार में प्रश्न लगा दिया कि मैं सरकारी भवन में निवास कर के मकान किराया भत्ता कटवाता हूँ या नहीं आदि? उस अध्यापक ने मुझे बहुत परेशान किया। अन्ततोगत्वा मैंने उच्चाधिकारियों को अवगत कराया और उसे जाँच के बाद विद्यार्थियों के वक्तव्य के आधार पर विद्यालय से हटाकर कार्यालय में योजित कर दिया। मैं ने प्रधानाथ्यापक का कार्यभार भी त्याग दिया और अब शिक्षक के कार्य को निष्ठा से पूर्ववत कर रहा हूँ। वह शिक्षक मुझे आज भी परेशान कर रहा है, आहरण वितरण अधिकारी को मेरा एक वर्ष का मकान किराया भत्ता मेरे वेतन से काटने का आवेदन कर चुका है। मुझ से मेरा पक्ष पूछा गया तो मैने लिख दिया कि मेरा तो वहां केवल सामान रखा था में तो अलग रहता था। मैं ने सरकारी भवन में रहते हुए किराया भुगतान किया था, जिसका रसीदी टिकट युक्त रसीद ग्राम प्रधान द्वारा उपलब्ध कराई गयी है।
समाधान-
किसी व्यक्ति द्वारा किसी भी अधिकारी या कार्यालय के समक्ष शिकायत प्रस्तुत करने पर कोई पाबंदी नहीं है। लेकिन कोई भी व्यक्ति मिथ्या शिकायतें प्रस्तुत कर आप को परेशान नहीं कर सकता। न केवल इस से आप को परेशानी होती है अपितु विभाग का बहुत सारा समय भी व्यर्थ की जाँचों में बरबाद होता है। आप ने कोई गलत काम नहीं किया है तो आप को डटे रहना चाहिए। जाँचों से परेशानी तो होती है लेकिन और कोई रास्ता नहीं है। आप अपना पक्ष रखिए, आप सच्चे हैं तो आप का कोई कुछ नुकसान नहीं कर सकेगा।
आप को एक बात अपने पक्ष में कहनी चाहिए कि ग्राम पंचायत कोई सरकार नहीं है। वह स्थानीय निकाय है और एक व्यक्ति की तरह सरकार से पृथक है। यदि ग्राम पंचायत के भवन में आप रहे हैं तो यह तो यह मामला ग्राम पंचायत और आप के बीच का है। इस का विभाग से कोई लेना देना नहीं है। वैसे भी आप ने ग्राम पंचायत के भवन में रहने का किराया ग्राम पंचायत को अदा किया है।