तीसरा खंबा

इस मामले को जबरन विवाह मानते हुए विवाह विच्छेद की डिक्री के लिए आवेदन करना ही उचित है।

rp_Tension-in-couple1.jpgसमस्या-

सुमन सैनी ने मुजफ्फरनगर, उत्तर प्रदेश से समस्या भेजी है कि-

मैं अपने एक रिश्तेदार विकास की समस्या भेज रही हूँ। वो मुजफ्फरनगर खतौली के हैं। विकास २००८ में उन्नाव में पी.जी. रह रहे थे। वहाँ मकान मालिक की लडकी उस के नजदीक आने का प्रयास करने लगी। इसी बात को ले कर लडकी के घरवालों ने विकास के साथ बहुत मारपीट की और रेप के झूठे केस में फंसाने या जान से मारने की धमकी देकर १० रूपये के कोरे स्टाम्प पेपर पर साइन करा कर लडकी को साथ रखने को कहा। विकास के टालते रहने पर वो लोग लडकी को खुद विकास के घर अक्टूबर २०१० में छोड़ गए। विकास सरकारी जॉब में है लडकी वालों ने जॉब में भी विवाहित करवा दिया। लडकी ने विकास की पत्नी के नाम पर अपना वोटर कार्ड और आधार कार्ड भी बनवा लिया है। लडकी विकास के घर रहती है और विकास दूसरे शहर में जाब पर। इस संबंध से एक संतान भी है, जिसे विकास अपने साथ रखने को तैयार है। दोनों के मध्य शारीरिक संबंध भी नाम मात्र के हैं। २००९ से १०-११ वकीलों से सलाह ले चुके है, सब ने कहा डायवोर्स ही होगा। लडकी से बात करने पर दहेज, घरेलू हिंसा और मां बाप की मोहल्ले में बेइज्जती करने की धमकी देती थी। लडकी राजी हुई तो ३-४ दिन पहले दोनों ने स्टाम्प पेपर पर लिख कर कि उन दोनों की शादी नहीं हुई है और घरवालों ने जबरन साइन कराये थे और हम भविष्य में एक दूसरे के खिलाफ कोई पुलिस या कानूनी कारवाही नहीं करेगे और अब हमारा कोई संबंध नहीं है और नोटरी करा लिया। लडकी के घरवालों को बुला कर लडकी को भेजने को कहा तो लडकी कह रही है तुम लोगों की FIR करुंगी कि तुम लोगों ने जबरन साइन कराये हैं। अब आप ही बताइये इन परिस्थितियों में क्या हो सकता है? विकास लडकी के साथ नहीं रहना चाहते हैं? कैसे इस अनचाहे रिश्ते से पीछा छुडाया जाये। दोनों की किसी भी तरीके से शादी नहीं हुई है। विकास को क्या करना चाहिए और जॉब में से कैसे लडकी का नाम हटवाया जाए? सर प्लीज कोई उचित समाधान दे जल्दी। अधिकतर कानून लडकियों के पक्ष में है।

समाधान

स संबंध को विवाह तो नहीं कहा जा सकता। क्यों कि वह हुआ ही नहीं। यौन संबंध ऐसा संबंध है कि यह विवाह के बिना भी हो सकता है, अनायास भी हो सकता है और विवाह की इच्छा न रखते हुए भी हो सकता है। विकास का उस लड़की के साथ संबंध एक तरह का लिव इन रिलेशन ही है। जैसे विवाह बिना लड़का लड़की की मर्जी के सामाजिक व पारिवारिक दबावों से होते हैं, वैसे ही यह भी एक तरह से दबाव के अंतर्गत हुआ लिव इन रिलेशन ही है। लेकिन पाँच-छह वर्ष तक दोनों साथ रह चुके हैं चाहे उन के बीच शारीरिक संबंध नाम मात्र के ही क्यों न रहे हों। लेकिन सरकारी रिकार्ड में तथा वोटर आईडी व आधार कार्ड में उस का नाम पत्नी के रूप में दर्ज है। उस के आधार पर इसे एक विवाह साबित किया जा सकता है। हर मुकदमे में दोनों पक्षों को अपना अपना पक्ष रखने का अवसर मिलता है। लड़की स्वयं न्यायालय में अपने बयान में स्वीकार कर ले तो अलग बात है अन्यथा लड़की और उस के माता पिता व एक दो अन्य लोगों के बयान के आधार पर यह विवाह साबित हो सकता है। साथ में दस्तावेजी साक्ष्य उस झूठी गवाही का समर्थन करेंगे। इस तरह एक झूठ को सच साबित किए जाने की पूरी संभावना है।

में आश्चर्य है कि अब तक 10-11 वकीलों ने आप को सुझाव दिया है कि इस मामले में विवाह विच्छेद की कार्यवाही करनी होगी, फिर भी आप लोगों ने ऐसा करना उचित नहीं समझा। उन सभी ने सही कहा। विवाह विच्छेद (Divorce) के लिए ही आवेदन करना चाहिए। लेकिन तथ्यों को छुपा कर नहीं। आरंभिक तथ्यों से ले कर आज तक के सारे तथ्य विवाह विच्छेद के आवेदन में होने चाहिए कि क्या घटना हुई जिस के कारण लड़की के परिवार वालों ने जबरन विवाह कराने की कोशिश की और दस्तावेज तैयार किए। फिर लड़की को जबरन छोड़ गए। दस्तावेज तैयार करा लिए, एक संतान भी हो गयी। दोनों कभी भी पति पत्नी का रिश्ता स्वीकार नहीं कर सके। इस के साथ ही इस आवेदन में विवाह विच्छेद के मजबूत आधार होने चाहिए। जिन में से क्रूरता का कारण एक हो सकता है। अन्य कारण भी अवश्य होंगे जिन पर विचार कर के उन्हें आधार बनाया जा सकता है। इस मामले में विकास को एक अच्छे कुशल वकील की सहायता भी प्राप्त करनी होगी।

वास्तव में इस मामले में वह डायवोर्स की प्रार्थना यह कह कर करेगा कि उन की शादी नहीं हुई है लेकिन उसे जबरन शादी साबित किया जा रहा है। इस कारण इसे विवाह मान कर डायवोर्स की डिक्री पारित की जाए। अब दोनों ही प्रकार का निर्णय इस तरह के मुकदमे में हो सकता है। विवाह मान कर तलाक की डिक्री पारित की जा सकती है, या कोई आधार साबित न होने के कारण नहीं भी की जा सकती है। या यह निर्णय हो सकता है कि दोनों के बीच विवाह हुआ ही नहीं है इस कारण से विवाह विच्छेद की डिक्री पारित किया जाना संभव नहीं है। विवाह साबित न होने के कारण डिक्री पारित न करने या विवाह विच्छेद की डिक्री पारित हो जाने का एक समान परिणाम होगा। इस निर्णय के आधार पर जॉब में नाम परिवर्तन कराया जा सकता है।

ड़की झूठी शिकायत पुलिस को या न्यायालय में कर सकती है। उस के आधार पर कोई भी मुकदमा कायम हो सकता है उन से बचने का कोई उपाय नहीं है। वे मुकदमे तो मेरिट पर लड़ कर ही समाप्त कराने होंगे। बच्चे को रखने को विकास तैयार है, लेकिन हो सकता है उस की कस्टडी विकास को न मिले। वैसी स्थिति में विकास को बच्चे का खर्चा देना होगा। लड़की का भरण पोषण तो हर हालत में देना ही होगा जब तक कि वह दूसरा विवाह नहीं कर लेती है।

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