दिनेश प्रसाद दास ने बांका, बिहार से पूछा है-
मैं सेवानिवृत शिक्षक हूँ। मेरे चार बेटे हैं,उस में से मंझले बेटे ने मेरे उपर केस किया है। उस ने मुझे मानसिक तौर पर परेशान कर रखा है। वह मेरे साथ बहुत बार मार पीट भी किया है। इसलिए मैं इस बेटे को अपनी सम्पति से बेदखल करना चाहता हूँ। मुझे क्या करना चाहिए?
समाधान-
आपकी संपत्ति यदि आप की स्वअर्जित है तो उस पर आप का पूर्णअधिकार है। आप अपने जीवनकाल में उस संपत्ति का उपयोग कर सकते हैं, उसे विक्रय कर सकते हैं, किसी को दान कर सकते हैं या किसी भी अन्य प्रकार से किसी को भी उस का हस्तांतरण कर सकते हैं। उस संपत्ति में आप के किसी भी पुत्र का कोई अधिकार नहीं है। यदि यह संपत्ति आप को अपने पिता से प्राप्त हुई है लेकिन आप के पूर्वजों के स्वामित्व में 17 जून 1956 को या उस के बाद आई है तब भी यह संपत्ति आप की स्वअर्जित संपत्ति की तरह ही है तथा उक्त सभी अधिकार आप को प्राप्त हैं। लेकिन यह सपंत्ति 17 जून 1956 के पूर्व आप के पूर्वजों के पास आ चुकी थी तो यह सहदायिक संपत्ति हो सकती है और उस के किसी हिस्से पर आप के उस पुत्र का जन्म से ही अधिकार हो सकता है।
किसीको संपत्ति से बेदखल करने की कोई कानूनी प्रक्रिया नहीं होती। क्यों कि अभी तो वह संपत्ति आप की ही है, आप के किसी पुत्र का उस पर कोई अधिकार नहीं है। उस से आप किसी को बेदखल कैसे कर सकते हैं। हाँ अपनी संपत्ति की वसीयत करने का अधिकार सब को होता है। आप को भी अपनी संपत्ति की वसीयत करने का अधिकार है। यदि आप अपनी संपत्ति को अपने मंझले पुत्र के अतिरिक्त जिस जिस को भी अपने जीवनकाल के बाद देना चाहते हैं उन के नाम वसीयत कर उसे उप पंजीयक के यहाँ पंजीकृत करवा दें। आप बेदखल करने वाले पुत्र को वसीयत में कुछ न देंगे तो वह स्वतः ही बेदखल हो जाएगा। यदि आप की संपत्ति सहदायिक भी है तो भी उस में आप का जो हिस्सा है उसे आप वसीयत कर सकते हैं।
लेकिन यदि आप कोई वसीयत नहीं करते हैं तो आप के जीवनकाल के बाद हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम के अनुसार आप की पत्नी और आप के सभी पुत्र पुत्रियों को आप की संपत्ति या सहदायिक संपत्ति में आप के हिस्से पर बराबर का हिस्सा प्राप्त होगा।