तीसरा खंबा

उत्तर प्रदेश में कृषि भूमि पर उत्तराधिकार की व्यक्तिगत विधि प्रभावी नहीं है।

ऊसरसमस्या-

आमिर ने शाहजहाँपुर, उत्तर प्रदेश से समस्या भेजी है कि-

मारे पास 10 एकड़ पुश्तैनी कृषि भूमि है। परिवार में तीन लोग हैं, मेरी माता, मेरी विवाहित बहन और मैं। पिता जी का एक वर्ष पहले निधन हो गया। जमीन और घर का अभी तक विरासतन नामान्तरण नहीं हुआ है। माता जी चाहती हैं कि बँटवारा मुस्लिम शरीयत के अनुसार हो और बेटी को १/३ भाग ज़मीन और घर दोनों में मिले। मुझे इस में आपत्ति नहीं है। हम ने एक वकील से बात की थी तो उन्होंने कहा की कृषि भूमि विवाहित बहन के नाम नहीं हो सकती। कुछ जानने वाले बड़े बूढ़े लोगों ने भी कहा की आगे चल के पचड़े हो सकते हैं अपने नाम कराइये। क्या कृषि भूमि विवाहित बहन के नाम हो सकती है। मुझे क्या करना चाहिए?

समाधान-

कृषि भूमि के सम्बन्ध में कानून बनाने का अधिकार राज्यों का है। उत्तर प्रदेश में जमींदारी विनाश अधिनियम इन मामलों को शासित करता है। कृषि भूमि का स्वामी तो राज्य है। कृषक सिर्फ कृषक होता है उसे उस पर खेती करने का अधिकार होता है जिस के लिए राज्य उस से लगान वसूल करता है। इस तरह खेती की जमीन एक वैसी संपत्ति नहीं है जिस पर उत्तराधिकार का व्यक्तिगत कानून अपने आप लागू हो।

त्तर प्रदेश में व्यक्तिगत उत्तराधिकार कानून प्रभावी नहीं है और कृषि भूमि का उत्तराधिकार जमींदारी विनाश अधिनियम से ही शासित होगा। इस अधिनियम में पुत्र तथा विधवा प्रथम श्रेणी के उत्तराधिकारियों में सम्मिलित हैं, लेकिन विवाहित पुत्री सम्मिलित नहीं है। इस कारण नामान्तरण तो आप की माता जी और आप के नाम ही खुलेगा। कृषि भूमि के सिवा जो भी संपत्ति है उस में शरीयत के हिसाब से आप के हिस्से होंगे।

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