इस धारा का अंग्रेजी पाठ इस प्रकार है ….
Duty of an employer to maintain muster rolls of workmen.
25D. Duty of an employer to maintain muster rolls of workmen.
Notwithstanding that workmen in any industrial establishment have been laid-off, it shall be the duty of every employer to maintain for the purposes of this Chapter a muster roll and to provide for the making of entries therein by workmen who may present themselves for work at the establishment at the appointed time during normal working hours.
इसी तरह एक कर्मकार जिस का नाम संस्थान की मस्टर रोल पर चढ़ जाता है और जिस ने एक वर्ष का कार्यकाल उस संस्थान में पूरा कर लिया है, (जो पिछले 365 दिन की अवधि में 240 दिन काम कर चुका है) उसे ले-ऑफ किया जाता है तो नियोजक को उसे ले-ऑफ किए जाने वाले दिनों के मूल वेतन और महंगाई भत्ते की की राशि की आधी राशि का भुगतान करेगा।
लेकिन ऐसा कोई समझौता मौजूद होने पर यदि बारह माह कि अवधि में कामगार को 45 दिनों से अधिक के लिए ले-ऑफ किया जाता है तो कामगार पहले 45 दिनों के अलावा ले-ऑफ के दिनों की कोई भी राशि प्राप्त करने के अधिकारी नहीं होंगे।
और यदि पहले 45 दिनों तक ले-ऑफ देने के उपरांत कोई नियोजक अपने श्रमिकों की धारा 25-एफ के प्रावधानों के अनुसार छंटनी करता है तो यह कानूनन वाजिब होगा कि वह ले-ऑफ के लिए दिए गए मुआवजे की राशि छंटनी किए जाने वाले कामगारों को दिए जाने वाले छंटनी के मुआवजे में से कम कर ले।
उपरोक्त प्रावधान धारा 25-सी के हैं जिस का अंग्रेजी पाठ निम्न प्रकार है…
25C. Right of workmen laid-off for compensation.
25C. Right of workmen laid-off for compensation.- Whenever a workman (other than a badli workman or a casual workman) whose name is borne on the muster rolls of an industrial establishment and who has completed not less than one year of continuous service under an employer is laid-off, whether continuously or intermittently, he shall be paid by the employer for all days during which he is so laid-off, except for such weekly holidays as may intervene, compensation which shall be equal to fifty per cent. of the total of the basic wages and dearness allowance that would have been payable to him had he not been so laid-off:
Provided that if during any period of twelve months, a workman is so laid-off for more than forty-five days, no such compensation shall be payable in respect of any period of the lay-off after the expiry of the first forty-five days, if there is an agreement to that effect between the workman and the employer:
Provided further that it shall be lawful for the employer in any case falling within the foregoing proviso to retrench the workman in accordance with the provisions contained in section 25F at any time after the expiry of the first forty-five days of the lay-off and when he does so, any compensation paid to the workman for having been laid-
off during the preceding twelve months may be set off against the compensation payable for retrenchment.
इस तरह आप देख सकते हैं कि उद्योग पर किसी तरह की मुसीबत के समय ले-ऑफ के प्रावधान न केवल काम करने वाले कामगारों के हितों की रक्षा करते हैं, अपितु नियोजकों के भी दीर्घकालीन हितों की रक्षा करते हैं। अच्छे और कानून की पालना करने वाले नियोजक सदैव इनकी पालना करते हैं। लेकिन इन दिनों ऐसे नियोजकों की कमी नहीं है जो ले-ऑफ देने के स्थान पर श्रमिकों को विश्वास में रख कर उन के साथ धोखा करते हैं और कामगारों को उ