तीसरा खंबा

ऋण वसूली के लिए दीवानी वाद ही एक मात्र उपाय है।

समस्या-

अंशु दुबे ने गाज़ीपुर उत्तर प्रदेश से पूछा है –

दिसम्बर में हमने अपने एक रिश्तेदार को 11.80 लाख रुपये उधार के तौर पर दिए थे।  ये पैसे कई किस्तों दिए गये हैं।  उन्होने अपनी मज़बूरियाँ गिनाते हुए हमें विश्वास दिलाया कि 1 महीने में पैसे वापस कर देंगे।  जिसके बदले उन्होंने हमें एक चेक 2 लाख का  साइन कर के दे दिया था जिस पर डेट 20 जनवरी 2020 थी। वो हमारे बगल के जिले बनारस के रहने वाले थे। अभी कुछ साल पहले वे यहाँ शिफ्ट हुए हैं। मेरा अकाउंट यहीं गाज़ीपुर का है जिससे हमने उनके अकाउंट मे 6.30 लाख हस्तान्तरित किया है।  उनका अकाउंट वाराणसी का ही है।  हमने 20 एप्रिल को चेक लगाया  पता लगा कि उसमें पैसे नही हैं। फिर लोकडाउन होने की वजह से हम कोई उचित कदम नहीं उठा पाए।  इस बीच लगातार हमने उनसे व्हाट्स एप चैट के ज़रिए अपने पैसे देने की बात कही जिससे वो आज कल का टाइम दे रहे हैं। बाकी के पैसे हमने उनके 3 दोस्त जिनके अकाउंट उन्होंने दिया था उसमें हमने ट्रान्सफर कर दिया वो 3 अकाउंट भी वाराणसी के हैं। हमने 10.5 लाख दिसंबर में और 1.30 लाख रुपए जनवरी के आरंभ में दिये। पैसे देते वक़्त हमने कोई लिखा पढ़ी नहीं की। क्योंकि उन्होंने बहुत एमर्जेन्सी बताई थी।  और हमने भी नहीं सोचा था कि अपने उतने अच्छे रिश्तेदार होने के नाते क्या लिखा पढ़ी करूं। पर अब वो पैसे देने में आनाकानी कर रहे हैं। कुछ दिनों तक लोकडाउन का बहाना भी किया।  हमारे पास व्हाट्सएप की चैट है जिसे हमने सेव कर के रखा है। हमें कोई उपाय बताएँ।

समाधान-

आपने अपने किसी रिश्तेदार को उधार दिया, सिर्फ एक माह के लिए।  लेकिन वे अब लौटाने में टाल मटोल कर रहे हैं। आप के पास कोई लिखत नहीं है। लेकिन आप ने सारा धन बैंक ट्रांसफर के माध्यम से दिया है।  साढ़े छह लाख खुद उनके खाते में किया है और बाकी का उनके मित्रों के खाते में किया है। एक चैक 2 लाख का दिया था वह अनादरित हो गया लेकिन एक माह में जो नोटिस दिया जाना था वह आपने नहीं दिया। इस कारण वह कार्यवाही बेकार हो चुकी है। चैक की वैलिडिटी के 3 माह की अवधि को लोकडाउन के कारण बढाने के लिए रिजर्व बैंक ने कोई सरकुलर जारी नहीं किया है, सुप्रीमकोर्ट ने इसे बढाने से इन्कार कर दिया है।

आप बैक ट्रांजेक्शनों और व्हाट्स एप चैट के माध्यम से साबित कर सकते हैं कि आपने 11.80 लाख रुपया उन्हें तथा उनके मित्रों को हस्तान्तरित किया था। यह उन्होने कम समय के लिए उधार लिया था। इसके लिए आपके पास एक उपाय यह है कि आप किसी अच्छे दीवानी मामलों के वकील से धन वापसी के लिए लीगल नोटिस दिलाएँ और फिर दीवानी वाद संस्थित करें। इसमें आपको उक्त 11.80 लाख पर कोर्ट फीस भी देनी पड़ेगी जो 88,908/- रुपए होगी। उक्त नोटिस आप के ऋण लेने वाले संबंधी के साथ साथ उन सभी लोगों को देना होगा जिनके खातों में आपने वह धन हस्तान्तरित किया था तथा इन सभी को संयुक्त रूप से प्रतिवादी बनाना पड़ेगा। आपने जब पहली बार रुपया हस्तान्तरित किया था उस तारीख से 3 वर्ष की अवधि पूर्ण होने के पहले आप यह वाद संस्थित कर सकते हैं। अभी आप कोशिश कर सकते हैं कि आपका सम्बन्धी आपको उक्त रुपया लौटा दे।

यदि आप को यह लगता है कि आप के उक्त संबंधी का आप से ऋण लौटाने के पहले ही यह इरादा था कि वह ऋण तो ले ले लेकिन उसे वापस न लौटाए और इसी इरादे से उसने धन अलग अलग खातों में ट्रासंफर करवाया था। तो यह एक चीटिंग का  मामला भी है। आप चाहेँ तो इस मामले में पुलिस में रिपोर्ट दर्ज करवा सकते हैं। पुलिस थाना कार्यवाही न करे तो एसएसपी को परिवाद कर सकते हैं और एसएसपी भी कार्यवाही न करे तो आप मजिस्ट्रेट के न्यायालय में अपना परिवाद प्रस्तुत कर उसे जाँच हेतु पुलिस को भिजवा सकते हैं। यदि इस अपराधिक कार्यवाही का उल्लेख आप अपने लीगल नोटिस में भी करें तो हो सकता है आपका संबंधी आपको रुपए बिना कार्यवाही के ही लौटा दे।

यदि आप कोई अपराधिक मुकदमा दर्ज करवा देते हैं तो यह न सोचें की इस से पैसा वापस मिल जाएगा। आप को उक्त तीन वर्ष की अवधि समाप्त होने के पहले अर्थात नवम्बर 2022 के पहले वसूली के लिए दीवानी वाद अवश्य संस्थित करवा दें।

दो लाख रुपए की को जो अनादरित चैक है उसके दो लाख रुपए की वसूली का मुकदमा अलग से आदेश 37 में संक्षिप्त प्रक्रिया के अंतर्गत भी किया जा सकता है। लेकिन वादकारण एक ही है इसलिए पूरे 11.80 लाख के लिए ही दीवानी वाद प्रस्तुत किया जाना चाहिए। आप को इस सब के लिए ऐसे अच्छे अनुभवी वकील की मदद लेना होगा जो दीवानी और अपराधिक मामलों की अच्छी समझ रखता हो।

और अन्त में एक और बात जो सभी को ध्यान रखनी चाहिए। किसी भी रिश्तेदार या मित्र की मदद अवश्य करें। पर  बिना लिखा पढ़ी के उतना ही रुपया उसे दें जितना आप उसे उपहार स्वरूप दे सकते हैं।   इस में रुपया मांगने वाले को भी कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए और  देने वाले को भी लिखवाने मे कोई संकोच या लज्जा नहीं होना चाहिए।

Exit mobile version