एग्रीमेंट कहीं भी रजिस्टर्ड नहीं है, क्या ये एग्रीमेंट किसी विवाद के वक्त वैध या मान्य होगा?
दिनेशराय द्विवेदी
श्री साधुराम सिंघाला ने प्रश्न किया है कि …..
मैं ने एक कंपनी में कुछ धन (पैसा) निवेश (इन्वेस्ट) किया है। इस निवेश (इन्वेस्टमेंट) के बदले कंपनी ने मुझे हर महीने कुछ लाभ देने का वायदा किया है और पोस्ट-डेटेड चैक भी दिए हैं। कंपनी और मेरे बीच एग्रीमेंट हुआ है जिस की मूल प्रति मेरे पास है, मगर यह एग्रीमेंट कहीं भी रजिस्टर्ड नहीं है। क्या ये एग्रीमेंट किसी विवाद के वक्त वैध या मान्य होगा?
उत्तर-
एग्रीमेंट को हिन्दी में अनुबंध या करार कहा जाता है। एग्रीमेंट क्या है? इसे समझने के लिए आप तीसरा खंबा की कड़ी प्रस्ताव, स्वीकृति, प्रतिफल, अनुबंध और कॉन्ट्रेक्ट पढ़ लें। कोई भी एग्रीमेंट कानून के समक्ष तभी मान्य होता है जब कि वह एक कंट्रेक्ट होता है। इस के लिए आप तीसरा खंबा की कौन से अनुबंध कंट्रेक्ट हैं? कड़ी पढ़ लें, और आप चाहें तो कंट्रेक्ट से सबंधित अन्य सभी कड़ियों को भी पढ़ सकते हैं। इस से कंट्रेक्ट के बारे में आप की जानकारी अच्छी हो जाएगी और आप को बहुत से प्रश्नों के हल मिल जाएँगे।
आप की शंका केवल उस अनुबंध/करार के पंजीकृत (रजिस्टर्ड) नहीं होने को ले कर है। कोई भी अनुबंध आवश्यक रूप से पंजीकृत होना जरूरी नहीं है। हाँ यदि अनुबंध के पक्षकार चाहें तो उसे पंजीकृत करवा सकते हैं।
यदि आप ने उक्त दी गई कड़ियाँ पढ़ी ली हैं तो यह समझ चुके होंगे कि कोई भी व्यक्ति किसी करार के लिए प्रस्ताव कर सकता है और प्रस्ताव को स्वीकार कर के दूसरा व्यक्ति उसे अनुबंध में बदल सकता है। अनुबंध मौखिक भी हो सकते हैं और लिखित भी। लेकिन यदि अनुबंध लिखत में है तो सब से बेहतर है। उस में प्रस्ताव और उस की स्वीकृति आवश्यक है। यदि अनुबंध पर अनुबंध के पक्षकारों के हस्ताक्षर दो गवाहों की उपस्थिति में किए गए हैं तो इतना ही पर्याप्त है। विवाद की स्थिति में आप अपने अनुबंध को अपने बयान से तथा गवाहों के बयानों से साबित कर सकते हैं।
संक्षेप में आप के प्रश्न का उत्तर यही है कि कोई भी अनुबंध पंजीकृत न होने के आधार पर अमान्य और अवैध नहीं होता।