समस्या-
शेख रहमुद्दीन ने छपारा, जिला सिवनी, मध्यप्रदेश से पूछा है-
मैंने अपने पारिवारिक मित्र से आठ लाख नगद देकर एक हार्वेस्टर मशीन 18 माह पहले एक हजार के स्टाम्प पेपर पर बिक्री पत्र नोटरी करवा कर खऱीदी थी। उसने गाड़ी मुझे सौंप दी किन्तु गाडी मेरे नाम नहीं किया। गाडी आरटीओ में उसके नाम पर है। मेरे पास केवल बिक्री पत्र की फोटो कापी है जो अटेस्टेट नहीं है। अब वह बिना राशि वापिस किए वह गाडी वापिस मांग रहा है। मैं क्या करू?
समाधान-
कोई भी व्यक्ति, जिसने आपसे आठ लाख रुपए ले कर अपनी हार्वेस्टर आप को बेच दी हो, उसका कब्जा दे दिया हो वह बिना रुपए लौटाए आप से हार्वेस्टर वापस कैसे मांग सकता है? और आप उसे कैसे लौटा सकते हैं? फिर भी आप उसे पारिवारिक मित्र कहते हैं? यह अजीब बात है। पारिवारिक मित्र है तो फिर परिवार क्या कर रहे हैं इस एक घटना ने पूरी पारिवारिक व्यवस्था और मित्रता दोनों पर प्रश्न चिन्ह खड़े कर दिए हैं? खैर¡ किसी वाहन विक्रेता द्वारा इस तरह का कृत्य एक अपराधिक कृत्य है।
आप सब से पहला काम यह कीजिए कि आप के पास बिक्री-पत्र की जो फोटो कापी है उसकी आठ-दस प्रतिलिपियाँ करवा लीजिए। जिस नोटेरी ने उस बिक्री-पत्र को अटेस्ट किया था उसके रजिस्टर में उसका अटेस्टेशन दर्ज होगा। उस नोटेरी से उसकी फीस दे कर उसके रजिस्टर की उसी नोटेरी द्वारा प्रमाणित प्रति प्राप्त कीजिए।
आप किसी स्थानीय वकील से संपर्क कर के एक लीगल नोटिस हार्वेस्टर विक्रेता तो दिलवाइए, कि वह हार्वेस्टर मांग कर या उसे अपने कब्जे में लेने की धमकी दे कर एक अपराधिक कृत्य कर रहा है, वह एक सप्ताह में हार्वेस्टर आप के नाम हस्तान्तरित करने के लिए आवश्यक दस्तावेजों को हस्ताक्षर करे और आप के साथ जा कर आरटीओ में उसका पंजीकरण आप के नाम हस्तांतरित करवाए, यदि वह ऐसा नहीं करता है तो आप पुलिस में धारा 420 आईपीसी में मुकदमा करेंगे तथा हार्वेस्टर का पंजीयन आपके नाम हस्तान्तरित करवाने के लिए दीवानी अदालत में कार्यवाही करेंगे।
इसके बाद भी वह हार्वेस्टर आपके नाम हस्तान्तरित नहीं करवाता है तो आप पुलिस में वाकई रिपोर्ट करवा दें। यदि पुलिस रिपोर्ट तुरन्त दर्ज नहीं करती है तो आप उसी दिन या अगले दिन एस.पी. पुलिस को परिवाद दें कि पुलिस रिपोर्ट दर्ज नहीं कर रही है। एस.पी. पुलिस को परिवाद दिए जाने के दो-चार दिनों में कोई कार्यवाही नहीं होती है तो मजिस्ट्रेट की अदालत में परिवाद (इस्तगासा) पेश करवाएँ। यदि आपको लगता है कि हार्वेस्टर विक्रेता लीगल नोटिस देने के बाद तुरन्त कोई कार्रवाई कर के हार्वेस्टर आपसे छीन सकता है तो आप लीगल नोटिस देने के पहले भी पुलिस में रिपोर्ट दर्ज करवा सकते हैं और यदि पुलिस कार्यवाही नहीं करती है और अदालत में परिवाद देने की स्थिति बनती है तो आप अदालत में परिवाद देने के दिन ही उसे एक सप्ताह का लीगल नोटिस भी दें और एक सप्ताह की अवधि व्यतीत हो जाने के बाद घोषणा और स्थायी निषेधाज्ञा का वाद दीवानी न्यायालय में प्रस्तुत करवाएँ कि उस हार्वेस्टर का आप को स्वामी घोषित किया जाए तथा विक्रेता को अस्थायी व्यादेश जारी किया जाए कि वह हार्वेस्टर आरटीओ में आपके नाम हस्तान्तरित कराए। इसी वाद के साथ अस्थायी निषेधाज्ञा का वाद भी पेश करें कि हार्वेस्टर को आपके कब्जे से वापस न मांगे या उसका कब्जा प्राप्त करने के लिए किसी तरह के बल या अवैधानिक रीति का सहारा न ले।
ये सारी कार्यवाहियाँ हैं जो की जा सकती हैं। इसमें से कौन सी पहले और कौन सी बाद में की जानी चाहिए यह परिस्थितियों पर निर्भर करता है। यह निर्णय आप और आप का वकील आपस में परामर्श कर के ले सकते हैं। आप बिना लीगल नोटिस दिए दीवानी वाद और अपराधिक परिवाद एक साथ भी दर्ज करवा सकते हैं।