तीसरा खंबा

कब्जे से बेदखली की आशंका होने पर न्यायालय से निषेधाज्ञा जारी कराई जा सकती है।

court-logoसमस्या-

चन्दन गिरी ने ग्राम भैरोंताल, कटघोरा, कोरबा, छत्तीसगढ से समस्या भेजी है कि-

दिए गए पते पर मैं निवास करता हूँ | यहाँ मेरे बाबा आये थे जो कि बिहार के स्थाई निवासी थे। यहाँ हम लोग 1980 से निवास कर रहे हैं | यह जमीन यहाँ के स्थाई निवासी(महेशराम) की थी। जिस ने बाबा को यहाँ निवास करने की अनुमति दी थी| यहाँ की अधिकतर जमीन को कोल इंडिया ने खरीद लिया है परन्तु यह अभी तक पता नहीं है कि इस जमीन का भू स्वामित्व किस के नाम पर है पर महेशराम के पुत्र इस जमीन को अपना बताते हैं| हम यहाँ 1991 में बाढ़ के बाद कच्चा घर बनाकर निवास कर रहें थे | घर की जर्जर हो जाने के बाद अब उसे पक्का मकान बनाया है | यह लगभग 900 स्कवायर फीट है | अब महेशराम के पुत्र इस घर को तोड़ दिए जाने की धमकी तथा थाना में केस करने की धमकी दे रहे हैं | हमें क्या करना चाहिए? क्या हम इस सन्दर्भ में क़ानूनी मदद ले सकते हैं?

समाधान-

प का उक्त भूमि पर 1980 से निवास है। अर्थात आप का कब्जा उक्त भूमि पर विगत 35 वर्षों से है। इस बीच किसी ने भी उस भूमि पर अपना स्वामित्व प्रदर्शित नहीं किया है। आप को कुछ दस्तावेजी सबूतों से अपने इस लंबे कब्जे को साबित करना होगा कि आप 1980 से इस स्थान पर काबिज हैं। उस के बाद कोई भी आप को वहाँ से नहीं हटा सकेगा। किसी भी भूमि के स्वामित्व का प्राथमिक सबूत उस का कब्जा है। यदि कोई इस के विपरीत प्रमाणित करता है तो वह उस कब्जे को हटा कर अपने स्वामित्व को पुनर्स्थापित कर सकता है। लेकिन कानूनन कब्जा हटाने को ले कर केवल 12 वर्ष की अवधि में ही दीवानी वाद प्रस्तुत किया जा सकता है। इस कारण यदि आप का कब्जा हटाने के लिए कोई कानूनी कार्यवाही की जाती है तो वह विफल हो जाएगी।

प के विरुद्ध पुलिस में रपट लिखाने और जबरन आप को बेदखल करने की धमकी दी जा रही है। यह एक अपराध है और आप को इस अपराध की रिपोर्ट खुद पुलिस को देनी चाहिए। जिस से ऐसे लोगों के विरुद्ध पुलिस कार्यवाही कर सके।

स के अतिरिक्त आप लंबे कब्जे के आधार पर ऐसे लोगों के विरुद्ध न्यायालय से स्थगन प्राप्त कर सकते हैं कि ये लोग आप को वहाँ से बिना किसी कानूनी कार्यवाही के बेदखल न करें। इस के लिए आप को स्थाई निषेधाज्ञा के लिए दीवानी वाद प्रस्तुत करना होगा तथा वाद के लंबित रहने की अवधि के लिए अस्थाई निषेधाज्ञा प्राप्त करने के लिए अलग से एक आवेदन प्रस्तुत करना होगा। इस के लिए आप को अपने क्षेत्र के दीवानी मामलों के अच्छे वकील से संपर्क कर के उस की प्रोफेशन सेवाएँ प्राप्त करनी चाहिए।

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