तीसरा खंबा

कानूनी आधार सिद्ध कर के विवाह विच्छेद की डिक्री प्राप्त की सकती है।

rp_divorce-decree3.jpgसमस्या-

शिवकुमार शर्मा ने रावतसर राजस्थान से पूछा है-

मेरी पत्नी 15 वर्ष से मुझ से अलग अपने पिता के साथ रह रही है। मेरी दो संताने हैं, दोनों विवाहित हैं। जब से पत्नी ने घर छोड़ा है तब से मैं उसे भरण पोषण दे रहा हूँ। लेकिन वह हमेशा भरण पोषण की राशि बढ़ाने को आवेदन कर देती है। मैं ने न्यायालय में कहा है कि मैं चाहता हूँ कि वह मेरे साथ आ कर रहे लेकिन वह इसे स्वीकार नहीं करती और कहती है कि वह किसी भी कीमत पर मेरे साथ रहना नहीं चाहती है। मेरी उम्र हो चुकी है और मुझे किसी का साथ चाहिए। उस ने मेरे विरुद्ध दहेज का मुकदमा भी लगाया लेकिन उसे मेरे वकील ने मिथ्या सिद्ध कर दिया। पत्नी ने पुलिस थाने में लिखित में उस के लिए माफी भी मांगी। क्या में उस से तलाक ले सकता हूँ? मुझे ऐसे में क्या करना चाहिए?

समाधान-

मुझे लगता है कि आप ऐसा सोचते हैं कि विवाह विच्छेद (तलाक) केवल सहमति से ही हो सकता है। पर ऐसा नहीं है। हिन्दू विवाह विधि में पहले तो तलाक था ही नहीं। फिर उस में विवाह विच्छेद जोड़ा गया। जिस में कुछ खास आधारों पर विवाह विच्छेद के लिए पति या पत्नी आवेदन कर सकता था। आधारों की पुष्टि साक्ष्य से होने पर विवाह विच्छेद हो सकता था। सहमति से विवाह विच्छेद का कानून तो बहुत बाद में विवाह विधि में जोड़ा गया।

कोई भी पति या पत्नी यदि अपने जीवनसाथी से अलग रहता है तो उस का कोई उचित कारण होना चाहिए। अन्यथा वह अपने जीवनसाथी से भरण पोषण प्राप्त करने का अधिकार खो देता है। पिछले 15 वर्षों में आप को चाहिए था कि आप धारा-9 के अन्तर्गत पत्नी के विरुद्ध वैवाहिक संबन्धों की प्रत्यास्थापना के लिए डिक्री हेतु आवेदन करते। यदि पत्नी फिर भी आप के साथ रहने से इन्कार करती तो आप उस से विवाह विच्छेद की डिक्री हेतु आवेदन कर देते। अब भी आप की पत्नी 15 वर्ष से आप से अलग रह रही है और वापस नहीं आना चाहती है। इस तरह उस ने आप के साथ वैवाहिक जीवन का परित्याग कर रखा है आप इसी आधार पर विवाह विच्छेद की डिक्री प्राप्त कर सकते हैं। आप को इसी आधार पर और यदि अन्य आधार भी हों तो विवाह विच्छेद हेतु आवेदन कर देना चाहिए।

यदि जीवनसाथी न चाहे तो उसे साथ रहने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता। आप भी अपनी पत्नी को साथ रहने के लिए बाध्य नहीं कर सकते। बड़ी उम्र में जीवनसाथी के साथ का अर्थ परस्पर एक दूसरे का ख्याल रखना होता है। लेकिन जो पत्नी आप के साथ नहीं रहना चाहती वह आप के साथ रहेगी भी तो आप का ख्याल रखेगी यह सोचना भी बेमानी है। आप को अपनी इस उम्र में आप का ध्यान रखने के लिए अन्य कोई उपाय ही करना पड़ेगा। आप विवाह विच्छेद के उपरान्त दूसरा विवाह कर सकते हैं या बिना विवाह किए किसी के साथ लिव इन रिलेशन में निवास कर सकते हैं।

Exit mobile version