राजकुमार रजक पूछते हैं : मेरे पिता जी ने दो शादी कर ली है, जिस से पहले के तीन पुत्र हैं और दूसरी से भी दो पुत्र हैं। धन सम्पत्ति का बंटवारा किसी हिसाब से होगा?
उत्तर- भाई रजक जी, आप का प्रश्न ही स्पष्ट नहीं है। आप के पिता ने दो शादी किस तरह की हैं? पहली पत्नी के देहान्त अथवा तलाक के उपरांत, या पहली पत्नी के पत्नी रहते हुए? यह भी स्पष्ट नहीं कि धन सम्पत्ति किस प्रकार की हैं? स्वअर्जित हैं अथवा कोई पुश्तैनी संपत्ति भी है। यदि पुश्तैनी संपत्ति है, तो वह किस प्रकार उन्हें मिली है? आदि आदि। उत्तराधिकार के प्रश्नों का उत्तर सारे तथ्यों को जाने बिना दिया जाना संभव नहीं है।
आप ने केवल पुत्रों के सम्बन्ध में प्रश्न किया है। किसी भी व्यक्ति के देहावसान के बाद स्वयँ उस के द्वारा अर्जित संपत्ति हिन्दू उत्तराधिकार कानून के अनुसार मृतक के प्रथम श्रेणी को उत्तराधिकारियों को समान भागों में प्राप्त होगी। इन उत्तराधिकारियों में सभी पुत्र, पुत्री, विधवा और माँ सम्मिलित हैं। यहाँ आप के मामले में दूसरे विवाह की सभी संतानों पर यह कानून लागू होगा। लेकिन दूसरी पत्नी के मामले में तभी लागू हो सकेगा जब कि वह वैध पत्नी हो। यहाँ आपने कुल 5 संतानें बताई हैं, लेकिन मुझे ऐसा प्रतीत होता है कि आप ने पुत्रियों को उन में सम्मिलित ही नहीं किया है। जीवित पत्नी और माँ का भी समान भाग है। इस तरह प्रथम श्रेणी के जितने उत्तराधिकारी होंगे, संपत्ति के उतने ही समान भाग किए जाएंगे और प्रत्येक को एक भाग प्राप्त होगा। जवाब से संतुष्ट न हों तो सभी तथ्यऔर विवरण पुनः प्रेषित करें।
अभिषेक ओझा ने पूछा है : गोद लेने के लिए कैसे कानून हैं? और उम्र सीमा क्या है? यदि बच्चे के माता-पिता राजी हों और कोई १५ साल के बच्चे को गोद लेना चाहे तो क्या सम्भव है?
कोई कंपनी अपने कर्मचारियों को पुत्र लाभ का धन दे रही है, तो क्या वह गोद लिए पुत्र/पुत्री को मिलेगा? मेरा मतलब है कि इसमें उम्र सीमा से फर्क पड़ेगा क्या?
उत्तर – अभिषेक जी, हिन्दुओं के लिए हिन्दू दत्तक एवं भरण पोषण अधिनियम 1956 है। जिस में वर्णित हिन्दू पुरुष और महिलाएँ किसी बालक या बालिका को पुत्र या पुत्री के रूप में गोद ले सकते हैं। यदि आप का मन्तव्य संपूर्ण कानून के प्रावधानों से है, तो उन का विवरण एक आलेख की सीमा के बाहर है उस पर कभी पूरी श्रंखला प्रस्तुत करने का प्रयत्न किया जाएगा।
गोद लिए जाने वाले बालक अथवा बालिका की उम्र गोद लिए जाने के समय 15 वर्ष से अधिक की नहीं हो सकती है। हाँ यदि गोद देने वाले और गोद लेने वाले व्यक्तियों के परिवारों या बिरादरी में ऐसा रिवाज पहले से रहा है कि पन्द्रह वर्ष से अधिक के बालक-बालिका गोद लिए जाते रहे हों तो उन्हें कानून ने छूट दी है। वे 15 वर्ष से अधिक उम्र के बालक-बालिका को गोद ले सकते हैं।
प्रश्न के अंतिम भाग के उत्तर के लिए आप ने आवश्यक विवरण नहीं दिए हैं। यह सामान्य कानून का प्रश्न नहीं है। कंपनी जो भी लाभ दे रही है वह अपने नियमों के अनुसार दे रही है। उस ने जो नियम इस के लिए बनाए हैं उन्हीं के अंतर्गत वह लाभ प्राप्त होगा। उन नियमों का अध्ययन किए बिना आप के इस प्रश्न का उत्तर दिया जाना संभव नहीं है।