कोई स्त्री अपने पुत्र या पुत्री को किसी कारण से या अकारण या अपने पति को मानसिक कष्ट पहुँचाने के लिए स्वेच्छया उपहति कारित करती है (चोट पहुँचाती है) तो वह स्त्री भारतीय दंड संहिता की धारा 323 के अंतर्गत अपराध करती है। इस की शिकायत पति यदि पुलिस से करे तो अपराध के असंज्ञेय होने के कारण वह कोई कार्यवाही नहीं कर सकती। अपितु पुलिस पति से कहेगी कि उसे कार्यवाही चाहिए तो वह अदालत में सीधे ही शिकायत करे।
धारा 323 भारतीय दंड संहिता निम्न प्रकार है-
धारा 323 भारतीय दंड संहिता
स्वेच्छया उपहति कारित करने के लिए दंड- उस दशा के सिवाय जिस के लिए धारा 334 में उपबंध है, जो कोई स्वेच्छया उपहति कारित करेगा, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिस की अवधि एक वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से या, जो एक हजार रुपए तक का हो सकेगा, या दोनों से दंडित किया जाएगा।
धारा 498-ए भारतीय दंड संहिता
किसी स्त्री के पति या पति के नातेदार द्वारा उस के प्रति क्रूरता करना- जो कोई किसी स्त्री का पति या पति का नातेदार होते हुए, ऐसे स्त्री के प्रति क्रूरता करेगा, वह कारावास से, जिस की अवधि तीन वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा।
स्पष्टीकरण – इस धारा के प्रयोजनों के लिए, ‘क्रूरता’ से निम्नलिखित अभिप्रेत है-
(क) जानबूझ कर किया गया कोई आचरण जो ऐसी प्रकृति का है जिस से उस स्त्री को आत्महत्या करने के लिए प्रेरित करने की या उस स्त्री के जीवन, अंग या स्वास्थ्य को (जो मानसिक हो या शारीरिक) गंभीर क्षति या खतरा कारित करने की संभावना है; या
(ख) किसी स्त्री को इस दृष्टि से तंग करना कि उस को या उस के किसी नातेदार को किसी सम्पत्ति या मूल्यवान प्रतिभूति की कोई मांग पूरी करने के लिए उत्पीड़ित किया जाए या किसी स्त्री को इस कारण तंग करना कि उसका कोई नातेदार ऐसी मांग पूरी करने में असफल रहा है।