हम अपने मकाना में किराएदार बैठाना चाहते हैं । क्या एग्रीमेंट करना (किरायानामा) लिखाना चाहिए? हम पहली बार मकान किराए पर देंगे। अगर एग्रीमेंट कराते हैं तो उस की प्रक्रिया क्या है ? और एग्रीमेंट के बाद उस का क्या महत्व है? अगर किराएदार के दिल में मकान कब्जाने की सोच आ जाए तो ये काम में आता है क्या?
समाधानः
मै अनेक बार यहाँ यह बता चुका हूँ कि कोई भी किराएदार कभी भी मकान का स्वामी नहीं हो सकता। बस यह स्पष्ट होना चाहिए कि वह किराएदार है और आप मकान मालिक। कुछ शर्तें दोनों के बीच सुस्पष्ट होनी चाहिए। जैसे किराया क्या तय हुआ है। नल, बिजली का खर्च जो हमेशा किराए से अलग होना चाहिए वह किस हिसाब से भुगतान किया जाएगा। किराएदार मकान या उस के हिस्से को किस किस उपयोग में ले सकता है और किस किस तरह के उपयोग में नहीं ले सकता है। किराए पर लिए गए परिसर के साथ क्या क्या सुविधाएँ उसे प्राप्त होंगी? छत और आंगन का उपयोग कर सकेगा या नहीं या किस सीमा तक कर सकेगा? किराए में वृद्धि की दर क्या होगी? यदि मकान मालिक परिसर खाली कराना चाहे या फिर किराएदार खाली करना चाहे तो कितने दिन पहले नोटिस देगा? आम तौर पर एक या दो माह का नोटिस पर्याप्त माना जाता है। किराएदार हर माह का किराया एडवांस देगा या महिना पूरा होने पर अर्थात महिने के आरंभ में दिया जाएगा या अगले महने के आरंभ में और सीक्योरिटी राशि क्या होगी? आदि आदि। ये शर्तें तय करने के लिए कोई न कोई एग्रीमेंट दोनों के बीच किया जाना चाहिए।
किराएदारी का एग्रीमेंट (किरायानामा) यदि एक वर्ष या इस से अधिक अवधि का हो तो उसे पंजीकृत होना चाहिए और उस पर स्टाम्प डूयूटी भी अधिक लगती है। इस कारण से सामान्य रुप से किराएदार और मकान मालिक 11 माह के लिए मकान किराए पर देने का एग्रीमेंट लिखते हैं। जिस में यह लिखा जाता है कि दोनों पक्षों की सहमति से इस किराएनामे को आगे बढ़ाया जा सकता है। इसे एक नॉन ज्यूडीशियल स्टाम्प पेपर पर लिखा जाता है। यह स्टाम्प पेपर एग्रीमेंट के लिए आवश्यक मूल्य का होना चाहिए। हर राज्य में यह मूल्य अलग अलग हो सकता है। जो स्टाम्प बेचने वाला व्यक्ति ही आप को बता देगा। राजस्थान में एग्रीमेंट के लिए 100 रुपए का स्टाम्प आवश्यक है। इस किराया एग्रीमेंट पर मकान मालिक और किराएदार के अतिरिक्त दो गवाहों के हस्ताक्षर होना पर्याप्त है। लेकिन आप चाहें तो इस किराएनामे को नोटेरी के यहाँ जा कर सत्यापित करवा सकते हैं जहाँ नोटेरी के रजिस्टर पर मकान मालिक और किराएदार के हस्ताक्षर होते हैं।
इस के अलावा किराएदार को हर माह किराए का भुगतान कर के मकान मालिक से उस की रसीद अवश्य प्राप्त करनी चाहिए। क्यों कि किराया तभी भुगतान किया हुआ माना जाता है जब कि उस की रसीद किराएदार के पास हो। मकान मालिक को भी अपने हस्ताक्षर युक्त रसीद अवश्य देनी चाहिए और इस रसीद की एक प्रति अपने पास किराएदार के हस्ताक्षर करा कर सुरक्षित रखनी चाहिए। आपस में विवाद हो जाने पर ये रसीदें और उन की प्रतियाँ बहुत मूल्यवान दस्तावेज साबित होते हैं। किराएदार को किराए की रसीद देने के लिए बाजार में रसीदबुकें छपी छपाई मिलती हैं। इन रसीद बुकों प्रत्येक क्रमांक की एक रसीद और उस की डुप्लीकेट होती है तथा इस पर किराएदारी की शर्तें भी लिखी होती हैं। यदि इस पर मकान मालिक हस्ताक्षर कर रसीद देता है और डुप्लीकेट (दूसरी) प्रति पर किराएदार के हस्ताक्षर करवा लेता है तो हर माह किरायानामा बढ़ता रहता है। इस रसीद बुक से रसीद देना दोनों के लिए बहुत लाभदायक है।
यहाँ किराएनामे का एक नमूना प्रदर्शित किया जा रहा है जो किराया नामा लिखने में आप की मदद करेगा।
किरायानामा
यह किरायानामा प्रथम पक्ष- श्री हरिदत्त आसोपा, उम्र 67 वर्ष, पुत्र श्री रामेश्वर दत्त जी, निवासी मकान नम्बर 27/188, रेतवाली, कोटा, राजस्थान जिसे आगे मकान मालिक कहा जाएगा तथा द्वितीय पक्ष- श्री पन्ना लाल कोठारी, उम्र 63 वर्ष, निवासी मकान नम्बर, 1-घ-25, दादाबाड़ी, कोटा जिसे आगे किराएदार कहा जाएगा, के मध्य आज दिनांक 06.06.2007 को निम्न शर्तों पर निष्पादित किया जाता है:-
कि प्रथम पक्ष मकान मालिक का 27/188 नम्बर का एक मकान रेतवाली, कोटा राजस्थान में स्थित है, जिस में एक कमरा 15x 8 वर्ग फुट का प्रथम तल पर स्थित है, जो अभी खाली है। द्वितीय पक्ष का स्वयं का मकान दादाबाड़ी, कोटा में स्थित है, किन्तु उस के भू-तल में जो किराएदार है वह मकान खाली नहीं कर रहा है। प्रथम पक्ष ने अपने किराएदार के विरुद्ध मकान को खाली कर कब्जा प्राप्त करने के लिए मुकदमा कर रखा है, जिसका नतीजा आने में अभी समय लगेगा। द्वितीय पक्ष को अपने मकान का प्रथम तल पर बना हुआ हिस्सा अपने परिवार के निवास के लिए कम पड़ता है और निवास में परेशानी आती है, खास तौर पर बच्चों की पढ़ाई का नुकसान होता है। इस कारण से द्वितीय पक्ष प्रथम पक्ष के मकान के उक्त वर्णित खाली कमरे को किराए पर लेना चाहता है, जिस से प्रथम पक्ष सहमत है।
कि द्वितीय पक्ष की किराएदारी आज दिनांक 06.06.2007 से प्रारम्भ हो जाएगी किन्तु इस के बाद प्रत्येक अंग्रेजी माह की पहली तारीख से प्रारम्भ हो कर अन्तिम तारीख तक चलेगी।
कि किराए पर लिए जा रहे इस कमरे का किराया रूपए 400.00 अक्षरे रूपए चार सौ मात्र प्रतिमाह होगा। प्रत्येक माह का किराया उस माह से अगले माह की 10 तारीख तक किराएदार मकान मालिक को अदा करेगा तथा रसीद प्राप्त करेगा। बिना रसीद के किराया भुगतान किया नहीं माना जाएगा।
कि किराएदार ने दो माह का किराया रूपए 800.00 अक्षरे रुपए आठ सौ मात्र अग्रिम मकान मालिक को अदा कर दिया है जो बतौर अमानत मकान मालिक के पास तब तक रहेगा जब तक किराएदार समस्त बकाया किराया अदा कर कमरा खाली कर मकान मालिक को वापस नहीं सोंप देता है। इस धनराशि का कोई ब्याज देय नहीं होगा।
कि किराएदारी केवल ग्यारह माह के लिए होगी जो दोनों पक्षों की सहमति से आगे बढ़ाई जा सकेगी।
कि यह किराएदारी एक वर्ष से अधिक समय तक चालू रहने की दशा में उसे राजस्थान किराया नियन्त्रण अधिनियम के अनुसार प्रतिवर्ष किराया बढा कर देना होगा।
कि पानी व बिजली का खर्च किराए से अलग होगा जो कि कमरे में निवास कर रहे व्यक्तियों की संख्या के अनुसार एक सौ रुपया प्रतिमाह, प्रति व्यक्ति होगा। जो किराएदार प्रत्येक माह किराए के साथ भुगतान करेगा।
कि किराएदार शौचालय व स्नानघर की सुविधाओं का उपयोग मकान के अन्य रहवासियों के साथ शान्तिपूर्वक करेगा तथा परिसर को साफ सुथरा रखेगा व इसी हालत में वापस मकान मालिक को सम्भलाएगा।
कि किराएदारी की सहमत अवधि के पूर्व किसी भी पक्ष द्वारा किराएदारी समाप्त किए जाने की स्थिति में किराएदारी समाप्त किए जाने की तिथि से पूर्व एक माह का नोटिस दूसरे पक्ष को दिया जाएगा। अविलम्ब किराएदारी समाप्त किए जाने की स्थिति में किराएदारी समाप्त करने वाले पक्ष को एक माह के किराए के बराबर राशि दूसरे पक्ष को अदा करनी होगी।
कि किराए पर लिए गए कमरे के स्वरूप में किराएदार किसी प्रकार का कोई परिवर्तन मकान मालिक की सहमति के बिना नहीं करेगा। परिसर में किसी प्रकार का कोई मेटेरियल आल्ट्रेशन भी नहीं करेगा।
अत: यह किरायानामा सौ रुपए के नॉन जुडिशियल स्टाम्प पेपर पर (मकान मालिक प्रति) तथा दस रुपए के स्टाम्प पेपर (किराएदार प्रति) पर आलेखित कर दिया जो समय पर काम आए।