समस्या-
लुधियाना, पंजाब से रविन्द्र दीक्षित ने पूछा है –
हमने एक दुकान 15 वर्ष पहले मेरे पिता जी ने बिना किसी कागजी कारवाही के किराये पर दिया था और न ही कोई एडवांस रकम ही लिया था। 9 साल पहले किराएदार की गलत हरकत के कारण उसे दुकान खाली करने के लिए कहा गया। पर उसने हम पर अदालत में केस कर दिया। पिता जी के 7 साल पहले गायब हो जाने के बाद भी हमने दो तीन साल केस लड़ा। पर पैसों की तंगी की वजह से हमें उसके साथ सुलह करना पड़ा। पर वह न तो अब किराया ही बढा रहा है। सुलह के वक्त किराया 600 रुपए प्रतिमाह था जो मार्किट रेट से पहले ही कम था। अभी भी उतना ही है। किराएदार न तो दुकान खाली कर रहा है और न किराया दे रहा है। हमारे पास किरायेनामे का कोई भी कागजात नहीं है जिसका वह गलत फायदा उठा रहा है। या तो वह हमारा किराया बढ़ा दे या खाली कर दे।
समाधान-
आप ने बताया है कि आप के किराएदार ने मुकदमा कर दिया था और पिता के गायब होने के बाद में समझौता किया था। इस से यह स्पष्ट है कि यह समझौता आप के और किराएदार के बीच हुआ था। निश्चित रूप से उस समझौते में किराएदार ने खुद को आप का किराएदार माना होगा। समझौते तक तो उस ने आप को किराया दिया ही होगा। तो उस की रसीद भी आप ने उसे दी होगी जिस पर आप के पिता जी के अलावा आप के परिवार के किसी सदस्य के हस्ताक्षर अवश्य होंगे। यदि ऐसी रसीद की प्रति आप के पास उपलब्ध है तो आप भी कानून के अंतर्गत भूस्वामी हैं। आप अपने किराएदार के विरुद्ध मुकदमा कर सकते हैं।
आप का किराएदार किराया नहीं दे रहा है। तो आप बिना अपने पिता को मृत घोषित कराए भी उस के विरुद्ध मुकदमा कर सकते हैं। एक लंबे समय तक किराया नहीं देने से किराएदार से दुकान खाली कराने का अधिकार भूस्वामी को मिल जाता है। आप को किराया बढ़ाने, बकाया किराया प्राप्त करने और दुकान खाली कराने का मुकदमा अपने किराएदार के विरुद्ध तुरन्त कर देना चाहिए। जब भी अदालत किराया बढ़ाएगी तो आप के द्वारा अदालत में मुकदमा पेश करने की तारीख से बढ़ाएगी।
सभी राज्यों के किराया कानून अलग अलग हैं और उन में मामूली अंतर हैं। हमारे पास पंजाब में प्रभावी किराया कानून उपलब्ध नहीं हैं। आप को चाहिए कि आप अपने शहर में किराएदारी वाले मामलों में वकालत करने वाले किसी वकील से मिलें और उन्हें सारी बात बताएँ। वे आप को आप की समस्या का समाधान अवश्य बता देंगे। आप उन की सहायता से अपने किराएदार के विरुद्ध आवश्यक मुकदमा तुरंत करें। इस चीज ने घबराएँ कि मुकदमा निर्णीत होने में कितना समय लगेगा। क्यों कि जब तक आप कुछ नहीं करेंगे तब तक आप की समस्या बनी रहेगी। मुकदमा जितनी देर से करेंगे उतनी ही देर से आप की समस्या भी हल होगी।