तीसरा खंबा

किसी भी निर्णीत कानूनी विवाद में पूरी पत्रावली का अध्ययन किए बिना कोई सलाह दिया जाना सम्भव नहीं है।

Lawyers in courtसमस्या-

कैथल, हरियाणा से विजय कुमार ने पूछा है-

मेरे दादा जी की मृत्यु 1988 में हो गई थी, वो एक वसीयत कर गए थे।  मार्च 1987 में जो कि रजिस्टर नहीं थी, गवाहों के (अंगूठे) उस वसीयत पर लगे हैं, वह वसीयत मेरे पिता जी के पास थी, उन्हों ने उस समय ध्यान नहीं दिया। वसीयत में मेरे दादाजी ने सारी प्रॉपर्टी अपने 4 लड़कों के नाम लिखी थी।  मेरे चाचाओं को उसके बारे में पता नहीं था। कुल ज़मीन 5 किले 4 कनाल है। मेरे पिताजी 4 भाई ओर उनकी 3 बहनें हैं। ज़मीन 5 किले 4 कनाल में मेरी 3 बुआ के नाम भी चढ़ गए हैं।  मेरी 3 बुआ ने मेरे पिताजी को छोड़कर मेरे 3 चाचा के नाम अपना हिस्सा कर दिया। मेरे पिता जी ने उस वसीयत के आधार पर कोर्ट मे केस किया, पर मेरे पिता जी वह केस हार गए।  वसीयत पर जो हस्ताक्षर और अंगूठे थे वे मेरे पिताजी ने साबित कर दिये थे।  अब मेरे पिता जीने आगे अपील कर रखी है।  अब केस का क्या होगा? उस ज़मीन पेर धारा 145/146 लगी हुई है।

समाधान-

प के पिता जी के पास वसीयत थी तो उन्हें दादा जी के देहान्त के तुरन्त बाद उस के आधार पर कृषि भूमि में नामान्तरण कराने चाहिए थे। मुकदमे में आप के पिता जी को वसीयत को साबित करना था। केवल गवाहों के हस्ताक्षरों को साबित कर देने मात्र से वसीयत साबित नहीं होती है। उस के लिए वसीयत करने की सभी शर्तों का साबित किया जाना जरूरी है।

किसी भी मामले में जहाँ न्यायालय का निर्णय हो चुका हो और अपील लंबित हो तब तक कोई राय या सलाह नहीं दी जा सकती जब तक कि उस मुकदमे की पूरी पत्रावली का अध्ययन नहीं कर लिया जाए। यहाँ तीसरा खंबा में हम इस तरह की समस्याओं का हल प्रस्तुत नहीं कर सकते। यहाँ हम केवल लोगों की कानून से सम्बन्धित समस्याओं पर सलाह देते हैं कि उन के पास क्या कानूनी उपाय है।

प को अपने ही वकील से यह प्रश्न पूछना चाहिए और अपनी संतुष्टि करनी चाहिए। यदि आप को लगता है कि आप का वकील अक्षम सिद्ध हो  रहा है तो किसी अन्य अनुभवी वकील को मुकदमे की पूरी पत्रावली ले कर मिलें। वह आप को उचित सलाह दे सकता है।

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