वह 31 दिसंबर 1995 की रात थी। अर्धरात्रि को एक नया वर्ष 1996 आरंभ होने को था। बितरा चाहता था कि वह रात वह अपनी पत्नी के साथ बिताएगा और नए वर्ष का स्वागत करेगा। लेकिन पत्नी शाम को ही कहीं चली गई थी। वह प्रतीक्षा करता रहा कि वह लौट कर आएगी। लेकिन रात ग्यारह बज चुके थे। उस ने उसे तलाश भी किया किंतु जहाँ जहाँ वह हो सकती थी वहाँ वह कहीं नहीं मिली। बितरा ने वह रात बैचेनी के साथ बिताई। अगले दिन पत्नी वापस लौट कर आ गई। दोनों के बीच झगड़ा हुआ कि वह बिना बताए वहाँ से क्यों चली गई थी। झगड़े ने बितरा के जीवन में कड़ुआहट भर दी थी। उसे लगा कि ऐसे किस तरह उस का जीवन चलेगा। उस ने पत्नी के पिता को बुलवा भेजा। ससुर आए तो उस ने पत्नी को उन के साथ भेज दिया कि वे पत्नी को समझाएँ कि वह अपना व्यवहार सुधारे। वे अपनी बेटी को साथ ले गए।
पत्नी को उस के पिता के साथ गए कुछ ही घंटे बीते होंगे कि श्रीनू वहाँ आया। उस ने बितरा से पूछा कि क्या उस की पत्नी घर पर है? बितरा अपनी पत्नी के व्यवहार से परेशान तो था ही श्रीनू के पूछने पर उस ने कहा कि उसे उस की पत्नी से क्या लेना देना है वह उस के घर न आया करे। वाद विवाद और चिल्ला कर बोलने की आवाज से पूरा घर और पड़ौस वहाँ इकट्ठा हो गया था। श्रीनू ने सब के सामने बितरा को स्पष्ट कह दिया कि वह वहाँ आने से न रुकेगा। बितरा की पत्नी उस की प्रेमिका है और जब तक वह खुद उसे मना नहीं करती तब तक वह यहाँ आता रहेगा। बितरा के घर वालों ने बताया कि बितरा की पत्नी उस के पिता के साथ गई है। यह सुन कर श्रीनू वहाँ से चला गया। इस खुलासे से कि उस की पत्नी श्रीनू की प्रेमिका है और वह जबरन उस के घर में घुसने लगा है बितरा का मन खराब हो गया उसे अपना जीवन ही व्यर्थ लगने लगा।
श्रीनू वहाँ से बितरा के ससुर के घर गया तो उसे पता लगा कि उस की प्रेमिका को उस के पिता ने उस के भाई के घर रख छोड़ा है। वह वहाँ पहुँच गया और उसे अपने साथ चलने को कहा, वह श्रीनू के साथ जाने को तैयार हो गई। भाई ने अपनी बहिन के श्रीनू के साथ जाने का विरोध किया लेकिन वह उस के विरोध के बाद भी श्रीनू उस की बहिन को अपने साथ ले गया। बितरा की पत्नी श्रीनू के साथ चार दिन रही फिर बितरा के साथ रही। पाँचवे दिन श्रीनू उसे उस के भाई के घर छोड़ कर चला गया। भाई ने भी उसे अपने पास नहीं रखा और अपने पिता के घर छोड़ आया।
जब बितरा को पता लगा कि श्रीनू उस की पत्नी को उस के भाई के घर से साथ ले गया था और चार दिन साथ रख कर छो़ड़ गया है, तो बितरा ने खुद को बहुत अपमानित महसूस किया, वह गुमसुम हो गया। उसी रात उस ने फाँसी लगा कर अपनी इहलीला समाप्त कर ली। इस आत्महत्या की खबर पुलिस को की गई। पुलिस ने बितरा के शव का पोस्टमार्टम कराया और मामले की जाँच की, विभिन्न लोगों के बयान लिए। पुलिस ने पाया कि परिस्थतियाँ ऐसी हैं कि बितरा को उस की पत्नी और उस के प्रेमी श्रीनू ने आत्महत्या के लिए प्रेरित किया। पुलिस ने भारतीय दंड संहिता की धारा 306 के अंतर्गत अदालत में आरोप पत्र दाखिल किया। अदालत ने गवाहियाँ और अन्य सबूतों के आधार पर अपना निर्णय सुनाते हुए दोनों को बितरा को आत्महत्या के लिए प्रेरित करने का दोषी पाया और श्रीनू को पाँच साल के कठोर कारावास व सौ रुपए जुर्माने व जुर्माना अदा न करने पर एक माह और कैद भुगतने की सजा दी। बितरा की पत्नी को पाँच वर्ष कैद की सजा सुनाई गई।
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