समस्या-
श्री विजयनगर, जिला गंगानगर, राजस्थान से विजय जसूजा ने पूछा है-
मैं एक लड़की के साथ विवाह करना चाहता हूँ। लेकिन समस्या यह है कि हम दोनों भिन्न जातियों के हैं और लड़की के माता-पिता इस विवाह से सहमत नहीं हैं। कृपया बताएँ कि हमारा विवाह कैसे हो सकता है? कोर्ट मैरिज के बारे में विस्तार से बताएँ।
समाधान-
कोर्ट मैरिज नाम की कोई चीज नहीं होती है। लेकिन हमारे यहाँ विशेष विवाह अधिनियम के अंतर्गत होने वाले विवाह को ही कोर्ट मैरिज कहा जाता है। इस के अलावा कछ वकील लड़के-लड़की दोनों से एक एक शपथ पत्र लिखवा कर एक दूसरे को दे देते हैं जिस में लिखा होता है कि वे बालिग हैं और पति-पत्नी के रूप में स्वेच्छा से साथ रहने को सहमत हैं। इस तरह स्त्री-पुरुष का साथ रहना विवाह कदापि नहीं है। इसे अधिक से अधिक लिव इन रिलेशन कहा जा सकता है।
विशेष विवाह अधिनियम के अंतर्गत स्त्री-पुरुष जाति के अंतर और धर्म के अंतर के बावजूद भी विवाह कर सकते हैं। इस के लिए स्त्री-पुरुष को निर्धारित प्रपत्र में विवाह करने के आशय की एक सूचना ऐसे जिले के जिला विवाह अधिकारी को जो कि राजस्थान में जिलों के कलेक्टर हैं, प्रस्तुत करना होता है जिस में विवाह के पक्षकारों में से कोई एक निवास करता हो। साथ ही नोटिस जारी करने की शुल्क जमा करनी होती है जो कि नाम मात्र की होती है। इस आवेदन के साथ दोनों स्त्री-पुरुषों के फोटो पहचान पत्र प्रस्तुत करने होते हैं। इस संबंध में पूरी जानकारी जिला कलेक्टर कार्यालय में विशेष विवाह अधिनियम के मामले देखने वाले लिपिक से प्राप्त की जा सकती है। यह आवेदन प्रस्तुत करने पर यह कलेक्टर के कार्यालय की नोटिस बुक में रहता है जिसे कोई भी व्यक्ति देख सकता है और कार्यालय के किसी सार्वजनिक स्थान पर चिपकाया जाता है। यदि विवाह के इच्छुक दोनों व्यक्ति या दोनों में से कोई एक किसी दूसरे जिले का निवासी है तो यह नोटिस उस जिले के कलेक्टर को भेजा जाता है और वहाँ सार्वजनिक स्थान पर चिपकाया जाता है। इस नोटिस का उद्देश्य यह जानना है कि दोनों स्त्री-पुरुष विवाह के लिए पात्रता रखते हैं अथवा नहीं। यदि विवाह में कोई कानूनी बाधा न हो तो नोटिस जारी करने के 30 दिनों को उपरान्त तथा आवेदन प्रस्तुत करने के तीन माह समाप्त होने के पूर्व कभी भी जिला विवाह अधिकारी के समक्ष विवाह संपन्न कराया जा सकता है। जिस के उपरान्त जिला विवाह अधिकारी विवाह का प्रमाण पत्र जारी कर देता है।
आप चाहें तो आप हिन्दू विधि के अनुरूप किसी पंडित से भी अपना विवाह करवा सकते हैं और पंडित द्वारा प्रदत्त विवाह प्रमाण पत्र, विवाह के चित्रों और विवाह के साक्षियों के हस्ताक्षरों के साथ विवाह का पंजीयन नगर या ग्राम के विवाह पंजीयक के कार्यालय में करवा सकते हैं।