क्या कोई पिता अपने पुत्र को दादा की ( अविभाजित ) संपत्ति के अधिकार से वंचित कर सकता है?
इस प्रश्न का उत्तर स्पष्ट रूप से है कि ऐसा नहीं किया जा सकता है।
सिद्धांत यह है कि प्रत्येक हिन्दु गर्भ में आते ही संयुक्त हिन्दू परिवार की संपत्ति में भागीदार हो जाता है। इस कारण से उस के हिस्से की संपत्ति से उसे स्वयं के अलावा कोई भी अन्य वंचित नहीं कर सकता। पिता केवल अपने हिस्से की संपत्ति का स्वामी है, वह पुत्र की संपत्ति से पुत्र को वंचित नहीं कर सकता।
इस तरह कोई भी पिता अविभाजित हिन्दू परिवार की संपत्ति से पुत्र को वंचित नहीं कर सकता। अधिक से अधिक वह संपत्ति का विभाजन करने के प्रयत्न आरंभ कर सकता है।