तीसरा खंबा

क्या पिता अपने पुत्र को दादा की ( अविभाजित ) संपत्ति के अधिकार से वंचित कर सकता है?

राजेन्द्र जी पूछते हैं…..

क्या कोई पिता अपने पुत्र को दादा की ( अविभाजित ) संपत्ति के अधिकार से वंचित कर सकता है?

उत्तर …

इस प्रश्न का उत्तर स्पष्ट रूप से है कि ऐसा नहीं किया जा सकता है। 


हिन्दू विधि में किसी भी व्यक्ति की संपत्ति के स्वामित्व में उस की मृत्यु के तत्काल बाद से ही उस के तमाम उत्तराधिकारियों के शेयर स्थापित हो जाते हैं और वह संपत्ति संयुक्त हिन्दू परिवार की अविभाजित संपत्ति हो जाती है।  यह संपत्ति इस के वैध विभाजन तक संयुक्त ही बनी रहती है।  इस संपत्ति का कर्ता परिवार के लिए संपत्ति का धारक होता है। 

सिद्धांत यह है कि प्रत्येक हिन्दु गर्भ में आते ही संयुक्त हिन्दू परिवार की संपत्ति में भागीदार हो जाता है।  इस कारण से उस के हिस्से की संपत्ति से उसे स्वयं के अलावा कोई भी अन्य वंचित नहीं कर सकता।  पिता केवल अपने हिस्से की संपत्ति का स्वामी है, वह पुत्र की संपत्ति से पुत्र को वंचित नहीं कर सकता। 


इस तरह कोई भी पिता अविभाजित हिन्दू परिवार की संपत्ति से पुत्र को वंचित नहीं कर सकता।  अधिक से अधिक वह संपत्ति का विभाजन करने के प्रयत्न आरंभ कर सकता है। 

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