समस्या-
मेरी शादी 18 फरवरी 2011 को हुई थी। मेरे पति एक ठेकदार हैं। हमारी शादी एक प्रेम विवाह था जो अरेंज तरीके से हुआ था। मैं आठ माह तक ससुराल में रही। मेरे पति और उन के छोटे भाई की शादी साथ-साथ ही हुई थी। देवरानी जल्दी ही गर्भवती हो गई, जिस के कारण सभी उसे चाहने लगे। धीरे-धीरे मुझे और मेरे पति को ताने दिए जाने लगे। 19 नवम्बर 2011 को मेरे पति और मेरे सास-ससुर के बीच अनबन हो गई और हम दोनों उसी दिन घर छोड़ कर मेरे मायके के में आ गए। यहाँ केवल मेरी माता जी रहती हैं और कोई नहीं रहता। माँ का स्वास्थ्य भी खराब रहता है और उन की देखभाल करने वाला कोई नहीं है। हम चार माह वहाँ शान्तिपूर्वक रहे। फिर मेरे सास-ससुर के फोन मेरे पति के पास आने लगे। कुछ दिन बाद मेरे पति मुझ से झगड़ा करने लगे और दिनांक 23.03.2012 को वे हमारी सगाई और विवाह में ससुराल से मुझे भेंट किए गए जेवर मुझ से झगड़ा कर के ले गए। अपने पिताजी के यहाँ जा कर फोन पर मुझ से कहा कि अब यहाँ मत आना। माँ पापा तुझे रखना नहीं चाहते। इसलिए मैं भी तुझ को रखना नहीं चाहूंगा। मुझे तुम से तलाक लेना है। मैं तनाव में आ गई और मैं ने कोतवाली में समझौते के लिए आवेदन किया। जहाँ मेरी सास और मेरे पति मुझे अपने घर ले जाने के लिए मान गए। लेकिन फिर फोन कर के धमकाया कि यहाँ आने की सोचना भी मत, यहाँ आ गई तो तुझे जान से मार देंगे। धमकी के कारण मैं ससुराल नहीं गई। मेरी माँ का स्वास्थ्य़ भी ठीक नहीं रहता। उसे भी देखभाल करने की जरूरत है। हम दो बहनें हैं दीदी की शादी हो चुकी है और वे माँ के पास आ कर नहीं रह सकती। माँ के घर की भी देखभाल करने वाला कोई नहीं है जिस से मुझे बहुत परेशानी हो रही है। अब मैं क्या करूँ? क्या मुझे पति से बिना तलाक लिए मुआवजा मिल सकता है?
-सोनू, जगदलपुर बस्तर, छत्तीसगढ़
समाधान-
कोतवाली में पति और सास आप को अपने घर रखने को मान गए। लेकिन बाहर आते ही फिर धमकी दे दी। इस से ऐसा लगता है कि अभी आप के पति और आप के बीच बहुत बाधाएँ हैं। लेकिन अभी आप के पति ने आप के विरुद्ध तलाक का मुकदमा नहीं लगाया है। भविष्य में कोई स्थिति ऐसी भी आ सकती है कि वे आप के साथ रहने लगें। आप तलाक लेना नहीं चाहती हैं, आप के पति के पास कोई ऐसा आधार नहीं है जिस से वे आप से तलाक ले सकें। बिना दोनों की सहमति के तलाक संभव नहीं है।
आप को ससुराल से उपहार में मिले जेवर आप की संपत्ति हैं, जिन्हें आप के पति अपने साथ ले गए हैं। वे जेवर तथा आपको अपने मायके से व अन्य व्यक्तियों से प्राप्त वस्तुएँ जो आप के पति के घर में छूट गई हैं आप के पति के पास आप की अमानत हैं। आप उन वस्तुओँ को अपने पति से मांग सकती हैं। आप के पति या आप की सास या ससुर इन जेवरों और वस्तुओँ को देने से इन्कार करें तो यह धारा 406 भारतीय दंड संहिता के अंतर्गत अपराध है। आप पुलिस में इस के लिए रिपोर्ट लिखा सकती हैं या न्यायालय में परिवाद प्रस्तुत कर सकती हैं। इस मामले मेँ आप के पति की गिरफ्तारी हो सकती है।
आप के पति स्वयं आप के साथ अपने पिता का घर छोड़ कर आए थे और आप की माता के घर में शरण ली थी। फिर वे स्वयं ही आप को यहाँ छोड़ गए हैं। अब वापस नहीं आने देना चाहते। आप भी माँ के प्रति अपना कर्तव्य निभाने के लिए वहाँ नहीं जाना चाहती हैं। आप को इन कारणों से अपनी माता जी के पास रहने का अधिकार है। आप के पति आप को अपने साथ लॉ जाना भी चाहें तो भी आप को माता जी के पास रहने का अधिकार है। आप के पति के माता-पिता की देखभाल के लिए आप के देवर हैं। आप के पति आप के साथ रहना चाहें तो आप के साथ आ कर रह सकते हैं, उस में कोई बाधा नहीं है। वैसे भी यदि मकान आप के पिता का था तो उस में आपका भी एक तिहाई हिस्सा है। आप अपने मकान में रह रही हैं जब कि आप के पति अपने पिता के मकान में रह रहे हैं।
आप के पति कमाते हैं आप का भरण पोषण करना उन का दायित्व है। आप उन से बिना तलाक लिए गुजारा भत्ता प्राप्त करने की अधिकारी हैं। आप दंड प्रक्रिया संहिता की धारा-125 में न्यायालय के समक्ष गुजारा भत्ता प्राप्त करने के लिए आवेदन प्रस्तुत कर सकती हैं। न्यायालय आप को गुजारा भत्ता दिला देगा। आप के इस आवेदन का निर्णय न्यायालय द्वारा साक्ष्य लेने और पूरी सुनवाई के उपरान्त किया जाएगा, जिस में समय लगेगा। लेकिन आप के द्वारा निवेदन करने पर न्यायालय तुरंत भी अंतरिम गुजारा भत्ता आप को दिला सकता है।