योगेन्द्र मौदगिल जी पूछते हैं कि, ‘दादा इसे भी पढ़ें मुझे एक निर्यातक फर्म से लगभग ४ लाख रू लेने हैं। उन्होने अपना एक परचेज़र रखा है जिसने मुझसे डील की है। उन्हों ने ३० से ६० दिनों में भुगतान का वायदा कर माल लिया, और अब लगभग ६ माह बीतने को हैं। आज-कल-अगले हफ्ते करते हैं। अब आप बताएं मैं क्या करूं? मेरे पास लिखित में उनका आदेश तो है पर उस पर स्पष्टतः टर्म्स कंडीसन कुछ नहीं। मैं ऐसी स्थिती में कानूनन क्या कर सकता हूं? हां उसने डी२ फार्म के विरूद्ध पक्के में माल लिया है, मेरे पास उनकी रिसीविंग है, और कहीं कोई कैश वाउचर या बेरियर या क्रास चैक मुझे नहीं मिला अब मैं क्या करूं?
भाई मौदगिल जी,
आप की समस्या कोई भारी नहीं है। लगता है मंदी के चक्कर में आप के खरीददार आ गए हैं, और उन्होंने आप को भी मंदी के चक्कर में डाल दिया है। मंदी में इसी तरह से चक्र चलता है और एक व्यक्ति दो को और दो चार को इस चक्कर में फंसाते चलते हैं। आप का कानूनी पक्ष मजबूत है। मैं समझता हूँ कि आप ने जो माल क्रेता को विक्रय कर उस का कब्जा उन को दे दिया है जिस की प्राप्ति आप के पास है, उस का बिल भी खरीददार को दे दिया होगा। यदि नहीं दिया है तो अब भिजवा दें। यदि बिल भेजे हुए समय हो गया है तो आप बिल में छपी शर्तों के अंतर्गत उन को एक पत्र लिख दें कि, ‘बिल भेजे हुए काफी समय हो गया है। आप ने अभी तक भुगतान नहीं किया है और बिल की शर्तों के मुताबिक माल आप को प्राप्त होने के निश्चित दिनों के बाद बिल की रकम पर ब्याज भी चालू हो गया है। आप एक सप्ताह में भुगतान कर दें वरना आप को ब्याज भी देना होगा और रकम वसूली का खर्चा भी भुगतना होगा। कुछ प्रयत्न करें कि मुकदमा किए बिना ही आप की रकम वसूल हो जाए। यदि फिर भी वसूल न हो सके तो मुकदमा करना पड़ेगा। पर ध्यान रखें कि मुकदमा बिल जारी करने और माल भेजने के तीन वर्ष के भीतर कर दें। वरना मुकदमा अवधि बाधित हो जाएगा और पैसा डूब भी सकता है।