अरविन्द साद ने ग्राम –मर्दाना. तह. सनावद,जिला- खरगोन, म.प्र. से समस्या भेजी है कि-
मेरे दादा जी (पिताजी के पिताजी )ने अपनी मृत्यु पूर्व दो गवाहों के समक्ष एक रजिस्टर्ड वसियेत की थी। जिस में उन्होने अपनी पैतृक जमीन (कृषि भूमि ) में से कुछ भाग मेरे नाम कर दिया है जब कि मेरे पिताजी सहित मेरे दादा जी के कुल 05 पुत्र व 01 पुत्री (मेरे बुवा)है, जिन्होंने मेरे दादा जी की मृत्यु के तत्काल बाद हमारी जानकारी के बिना ग्राम पंचायत से मृत्यु प्रमाण पत्र लेकर हल्के के पटवारी व तहसीलदार से मिलकर सम्पूर्ण जमीन सभी 06 लोगों के नाम दर्ज करा लिए (जिस में मेरे पिताजी सहित मेरी बुवा भी है), लेकिन जब मैं और मेरे पिताजी पटवारी व तहसीलदार को वसियत के साथ नामान्तरण का आवेदन देने गये तो बहुत दिनों तक हमें घुमाते रहे और करीब तीन माह बाद बताया कि आपकी वसीयत अब काम की नहीं है क्यों कि आपकी जमीन पर मृत्यु नामांतरण के आधार पर मृत्यु नामांतरण हो चुका है जिस से आपके परिवार के सभी भाई बहनों के नाम दर्ज हो चुके हैं। जब कि न तो मेरे पिताजी की और ना ही मेरी कही पर हस्ताक्षर ली है , वास्तविकता में मैं (अरविन्द) और मेरे पिताजी ही खेती देखते हैं बाकी सभी ग्राम से बाहर बड़े पदों पर कार्यरत हैं जिसका फायदा उन्होंने उठाया है।
समाधान-
आप के दादा जी के पास जो भूमि पुश्तैनी थी उस में उन के पुत्रों सहित उन का खुद का भी हिस्सा था। इसे ऐसे समझें कि यदि दादाजी के समय बँटवारा होता तो कुछ भूमि उन्हें अपनी खुद की भी मिलती। जितनी मिलती उसे वे वसीयत कर सकते थे। वही उन्हों ने वसीयत की है। आप की वसीयत वैध है। जो नामान्तरण किया गया है वह गलत किया गया है। भूमि पर आप काश्त करते हैं तो आप के पास उस का कब्जा है।अपना कब्जा बनाए रखें। यदि उस कब्जे में किसी तरह के दखल की संभावना हो तो अनुचित दखल के लिए न्यायालय से अस्थाई निषेधाज्ञा प्राप्त कर सकते हैं।
आप को गलत नामान्तरण आदेश की प्रमाणित प्रतिलिपि प्राप्त कर उस की अपील प्रस्तुत करनी चाहिए और उसे निरस्त कराना चाहिए और यह आदेश प्राप्त करना चाहिए कि वसीयत को ध्यान में रखते हुए नया नामान्तरण किया जाए। इस संबंध में आप किसी अच्छे राजस्व मामलों के वकील से संपर्क करें और उस की मदद से कानूनी कार्यवाही करें।