गतांक से आगे …
एलिमनी-पेट्रीमनी (Alimony – Patrimony)
शादी शुदा व्यक्तियों के सम्बन्ध विच्छेद होने पर जो पैसा दिया जाता है, उसे Alimony कहते हैं। अक्सर महिला-पुरूष बिना शादी किये साथ रहते है। ऎसे लोगों के लिए इंगलैण्ड में एक नया शब्द निकाला गया Common Law Wife, और Common Law Husband। लार्ड डैनिंग, २०वीं शताब्दी के एक जाने माने इंगलैण्ड के न्यायाधीश थे। उन्होंने १९७९ में डेवीस़ बनाम जॉनसन के मुकदमे में इस प्रकार से समझाया है,
अर्थात, कॉमन लॉ के अंतर्गत इस तरह की कोई भी महिला नहीं जानी जाती थी पर इस का अर्थ उस महिला से है जो कि किसी पुरुष के साथ, एक ही घर में, पत्नी की तरह रहती है। यह रिश्ता रखैल के रिश्ते से अलग है जो कि अक्सर सामयिक, अस्थायी और गुप्त होता है।
अमेरिका के कई राज्यों में इस तरह के रहने को कानूनन नहीं माना गया फिर भी वहां लोग बिना शादी किये रहते हैं। अक्सर वे लोग भी साथ रहते हैं जो कि आपस में शादी नहीं कर सकते। उदाहरणार्थ,
- एक पति या पत्नी रहते दूसरे के साथ शादी करना ; या
- वह महिला और पुरूष जो करीबी रिश्तेदार होने के कारण कानूनन शादी नहीं कर सकते; या
- दो एक ही लिंग के लोग। एक ही लिंग के लोगों के बीच की शादी या साथ रहने की मान्यता, केवल कुछ ही देशों में है। हमारे देश में नहीं है।
ऐसे व्यक्तियों के लिए Partners शब्द का प्रयोग किया जाने लगा। यह लोग भी कभी-कभी अलग हो जाते हैं तब सवाल उठता है कि इसमें से किसी एक को भरण-पोषण भत्ता मिलना चाहिए या नहीं। इन Partners के बीच में दिया गया पैसा या भरण-पोषण भत्ते को patrimony कहा जाता है।
अपने देश में Patrimony – घरेलू हिंसा अधिनियम
उन्मुक्त जी का यह लेख महिलाओं की अपने अधिकारों की कानूनी लड़ाई के बारे में है। इसमें महिला अधिकार और सशक्तिकरण की चर्चा है। प्रस्तुत है इस की चौथी कड़ी … |
हमारे देश में दो एक ही लिंग के व्यक्ति साथ नहीं रह सकते हैं और न उन्हें कोई कानूनन मान्यता या भरण-पोषण भत्ता दिया जा सकता है।
यह भी एक महत्वपूर्ण सवाल है कि क्या किसी महिला को, उस पुरुष से, भरण-पोषण भत्ता मिल सकता है जिसके साथ वह पत्नी की तरह रह रही हो जब,
- उन्होने शादी न की हो; या
- वे शादी नहीं कर सकते हों।
पत्नी का अर्थ केवल कानूनी पत्नी ही होता है। इसलिए न्यायालयों ने इस तरह की महिलाओं को भरण-पोषण भत्ता दिलवाने से मना कर दिया। अब यह सब बदल गया है।
संसद ने, सीडॉ के प्रति हमारी बाध्यता को मद्देनजर रखते हुए, Protection of Women from Domestic violence Act 2005 (Domestic Violence Act) महिलाओं की घरेलू हिंसा सुरक्षा अधिनियम २००५ (घरेलू हिंसा अधिनियम) पारित किया है। यह १७-१०-२००६ से लागू किया गया। यह अधिनियम आमूल-चूल परिवर्तन करता है। बहुत से लोग इस अधिनियम को अच्छा नहीं ठहराते है, उनका कथन है कि यह अधिनियम परिवार में और कलह पैदा करेगा। सामान्यतः कानून अपने आप में खराब नहीं होता है पर खराबी, उसके पालन करने वालों के, गलत प्रयोग से होती है। यही बात इस अधिनियम के साथ भी है। यदि इसका प्रयोग ठीक प्रकार से किया जाय तो मैं नहीं समझता कि यह कोई कलह का कारण हो सकता है।
इसका सबसे पहला महत्वपूर्ण कदम यह है कि यह हर धर्म के लोगों में एक तरह से लागू होता है, यानि कि यह समान सिविल संहिता स्थापित करने में पहला बड़ा कदम है।
इस अधिनियम में घरेलू हिंसा को परिभाषित किया गया है। यह परिभाषा बहुत व्यापक है। इसमें हर तरह की हिंसा आती हैः मानसिक, या शारीरिक, या दहेज सम्बन्धित प्रताड़ना, या कामुकता सम्बन्धी आरोप। यदि कोई महिला जो कि घरेलू सम्बन्ध में किसी पुरूष के साथ रह रही हो और घरेलू हिंसा से प्रताड़ित की जा रही है तो वह इस अधिनियम के अन्दर उपचार पा सकती है पर घरेलू संबन्ध का क्या अर्थ है।
इस अधिनियम में घरेलू सम्बन्ध को भी परिभाषित किया गया है। इसके मुताबिक कोई महिला किसी पुरूष के साथ घरेलू सम्बन्ध में तब रह रही होती जब वे एक ही घर में साथ रह रहे हों या रह चुके हों और उनके बीच का रिश्ता:
- खून का हो; या
- शादी का हो; या
- गोद लेने के कारण हो; या
- वह पति-पत्नी की तरह हो; या
- संयुक्त परिवार की तरह का हो।
इस अधिनियम में जिस तरह से घरेलू सम्बन्धों को परिभाषित किया गया है, उसके कारण यह उन महिलाओं को भी सुरक्षा प्रदान करता है जो,
- किसी पुरूष के साथ बिना शादी किये पत्नी की तरह रह रही हैं अथवा थीं; या
- ऐसे पुरुष के साथ पत्नी के तरह रह रही हैं अथवा थीं जिसके साथ उनकी शादी नहीं हो सकती है।
इस अधिनियम के अंतर्गत महिलायें, मजिस्ट्रेट के समक्ष, मकान में रहने के लिए, अपने बच्चों की सुरक्षा के लिए, गुजारे के लिए आवेदन पत्र दे सकती हैं और यदि इस अधिनियम के अंतर्गत यदि किसी भी न्यायालय में कोई भी पारिवारिक विवाद चल रहा है तो वह न्यायालय भी इस बारे में आज्ञा दे सकता है।
-उन्मुक्त
(क्रमशः)