जब से चुनाव की दुंदुभी बजी है तभी से रोज अखबारों में खबरें आ रही हैं कि फलाँ नेता ने चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन किया। सारे राजनैतिक दलों की फौजी टुकड़ियों में से एक इसी काम में लगी है कि किस तरह से विपक्षी द्वारा की जा रही चुनाव आचार संहिता के उल्लंघन की घटनाओं के सबूत इकट्ठे किए जाएँ? फिर चुनाव आयोग को उस की शिकायत की जाए, और फिर उस का प्रचार में इस्तेमाल किया जाए। यह भी खबर है कि मंदी के इस दौर में भी देश की नामी गिरामी जासूसी एजेंसियाँ इस काम से खूब कमाई कर रही हैं। यह भी हो सकता है कि एक ऐजेंसी की ही विभिन्न टीमें एक ही क्षेत्र के विपक्षी उम्मीदवारों के लिए काम कर रही हों। इधर से भी कमाई और उधर से भी कमाई। चलिये कुछ स्किल्ड लोगों को कुछ दिन के लिए रोजगार मिला।
लेकिन यह सब धंधा जो चल रहा है, आप को रिझाने और नाराज करने के लिए किया जा रहा है। जैसे कोई लाइव कम्पीटीशन हो रहा हो। आप के वोट से ही यह निर्णय होना हो कि अच्छे और सब से घटिया रिझाउना कौन है? इस काम में कौन सी पार्टी या उम्मीदवार खरा उतरा। लेकिन इतना होने पर भी आप हैं कि चुपचाप तमाशा देखे जा रहें हैं। जरा कानूनी जानकारी हासिल कर लीजिए। जिस से आप जान सकें कि आचार संहिता का उल्लंघन कौन कर रहा है? और कितना कर रहा है? क्यों कि अखबार और मीडिया वाले जितना अपने चैनलों पर दिखा रहे हैं वे सब वास्तविक उल्लंघन नहीं हैं। यह भी कि जितनी शिकायतें की जा रही हैं उतनी दर्ज भी नहीं हो रही हैं क्यों कि कोई प्रथम दृष्टया प्रकरण ही नहीं बनता है।