सोमवार का दिन केवल दलाल स्ट्रीट के कारण ही कॉरपोरेट जगत के लिए बुरानहीं गुजरा, उसे चैक बाउंस के एक मामले में सुप्रीम कोर्ट की फटकार भीसुननी पडी। पिछले दिनों भारत के मुख्य न्यायाधीश ने एक समारोह में बोलतेहुए देश की अदालतों में फैसलों का इन्तजार कर रहे तीन करोड़ से भी अधिकमुकदमों का उल्लेख करते हुए कहा था-‘निजी क्षेत्र की एक टेलीकॉम कंपनी ने एक ही दिन में चैक बाउंस होने के ७३००० (तिहत्तर हजार) मुकदमें निगोशिएबुल इन्स्ट्रूमेंट एक्ट की धारा १३८ के अंतर्गत दाखिल किए हैं।’कल देश की सबसे बड़ी अदालत में न्याय करते समय न्यायमूर्ति के मुख से भी इस का स्वर सुनाई दिया, साथ ही यह चेतावनी भी कि कॉरपोरेट जगत अदालतों को कलेक्शन ऐजेण्ट न समझे।
चैक बाउंस का मामला क्या है?
हम इसे इस तरह समझ सकते हैं कि मुझे आप को किसी भी प्रकार की देनदारी के लिए सौ रुपए देने हैं। मैं आप को ये सौ रुपए अदा करने के लिए चैक दे देता हूँ। आप इस चैक पर पड़ी तारीख से छह माह में या चैक के वैध रहने की तारीख तक जो भी पहले हो इस चैक को बैंक में अपने खाते में जमा करते हैं और बैंक उस चैक को यह कहते हुए लौटा देता हैं कि मेरे खाते में राशि पर्याप्त नहीं है या फिर मैं ने वह खाता बन्द कर दिया है तो यह कहा जाएगा कि चैक बाउंस हो गया है। अब आप को उक्त चैक के बाउंस होने की सूचना बैंक से मिलने की तारीख से तीस दिनों के भीतर मुझे एक माह के भीतर लिखित में यह नोटिस देना है कि मेरा चैक बैंक ने भुगतान किए बिना वापस लौटा दिया है, और मैं तुरन्त इस राशि का भुगतान आप को कर दूँ। यह नोटिस मिलने के पन्द्रह दिनों में मैं आप को आप की राशि रुपए सौ का भुगतान नहीं करता हूँ तो आप मुझे नोटिस मिलने की तारीख से एक माह के भीतर सीधे न्यायालय में शिकायत पेश कर सकते हैं। आप की इस शिकायत पर अदालत मेरे विरुद्ध मुकदमा चलयेगी। यदि यह साबित हो गया कि मेरा चैक बाउंस हो गया था और आप ने चैक बाउंस होने की सूचना मिलने के तीस दिनों में मुझे नोटिस दिया था, इस नोटिस मिलने की तारीख से पन्द्रह दिनों में मैं ने आप की राशि का भुगतान आप को नहीं किया तो अदालत मुझे दो साल तक की कैद की या चैक की राशि से दुगनी राशि तक के जुर्माने की या दोनों सजाऐं एक साथ सुना सकती है। यहां यह भी उपधारणा है कि यदि मैं ने जो चैक आप को दिया था वह किसी देनदारी के भुगतान के लिए ही था। अगर वह मैं ने देनदारी के भुगतान के लिए नहीं बल्कि आप की मदद के लिए या आप को उधार दिया था तो यह भी मुझे ही साबित करना होगा, आप यानी शिकायतकर्ता को नहीं।
उक्त कानून पहली अप्रेल १९८९ से पहले अस्तित्व में नहीं था। इस कानून को यह कहते हुए बनाया गया था कि इस से आर्थिक देनदारियों के निपटान में चैकों की स्वीकार्यता में बढ़ौतरी होगी। मगर आज जब इस कानून के परिणाम सामने आने लगे हैं तो तस्वीर बिलकुल दूसरी ही बन गई है। अनेक पहलू सामने आ खड़े हुए हैं। जिन की चर्चा हम कल अगली कड़ी में करेंगे। …….(आगे और)
नोटः- मैं ने अनजाने में ही सही निगोशिएबल इन्स्ट्रूमेंट एक्ट की धारा १३८ जो कि चैक बाउंस से उत्पन्न होने वाले मामले से सम्बन्धित है के लगभग सभी सामान्य तत्वों की यहां सरल व्याख्या प्रस्तुत कर दी है। फिर भी इस अपराध के ट्रॉयल और दण्ड से सम्बन्धित अनेक पहलुओं की व्याख्या यहाँ नहीं है। इस कारण से इस मामले से जुड़े हुए अनेक प्रश्न पाठकों के समक्ष उठ खड़े हो सकते हैं। यह भी हो सकता है कि कोई कोई पाठक इस कानून के कारण परेशानी से जूझ रहा हो। इस कारण से इस आलेख के दो भाग कर दिए गए हैं। दूसरा भाग आप कल यहाँ देख सकते हैं। यदि किसी पाठक का इस मामले में कोई प्रश्न हो तो वह इस आलेख पर टिप्पणी के माध्यम से पूछ सकता है, अथवा ई-पते पर प्रश्न सीधे भी भेज सकता है। सभी प्राप्त प्रश्नों का उत्तर इस आलेख के अगले भाग में अथवा एक नए आलेख के द्वारा देने का प्रयत्न किया जाएगा।