तीसरा खंबा

जन्म और मृत्यु का पंजीयन 21 दिनों में ही करवा लें

 रूपेश कुमार ने पूछा है – 
मेरे बेटे का जन्म करीब छह वर्ष पूर्व नोएडा में त्रिपाठी अस्पताल में हुआ था। उस का जन्म प्रमाण पत्र अभी नहीं बना है। सरकारी अस्पताल में संपर्क करने पर बताया गया कि काफी देर हो जाने के कराण 1400 रुपए खर्च करने पड़ेंगे। कृपया हमारा मार्गदर्शन करें कि हमें क्या करना चाहिए? क्या सरकारी अस्पताल द्वारा 1400 रुपए मांगना उचित है?
 उत्तर –

रूपेश जी,

न्‍म प्रमाणपत्र  पहचान का बहुत ही महत्‍वपूर्ण दस्‍तावेज है,  यह सभी प्रयोजनों के लिए किसी के जन्‍म की तारीख और तथ्‍य को प्रमाणित करता है। जैसे मत देने का अधिकार प्राप्‍त करना, स्‍कूलों और सरकारी सेवाओं में दाखिला, कानूनी रूप से अनुमत आयु के विवाह करने का दावा करना, वंशगत और सम्‍पत्ति के अधिकारों का निपटान आदि। पहले भारत में जन्म और मृत्यु का पंजीयन अनिवार्य नहीं था। लेकिन अब इसे अनिवार्य कर दिया गया है।  कि जन्‍म और मृत्‍यु अधिनियम, 1969 में कुछ व्यक्तियों पर जन्म और मृत्यु की सूचना देने का दायित्व डाला गया है। इस दायित्व की पूर्ति न करना दंडनीय अपराध भी है। लेकिन सजा इतनी कम (पचास रुपए अर्थदंड) है कि कोई उसे अपराध ही नहीं समझता। 
प किसी जन्म या मृत्यु के उपरांत उस की सूचना 21 दिनों के भीतर जन्म मृत्यु पंजीयक को दे सकते हैं। वैसे में सूचना का सत्यापन करवाया जा कर पंजीयन कर दिया जाता है। इस के उपरांत लेकिन 30 दिनों में सूचना देने पर सूचना देने वाले व्यक्ति को शुल्क देना होता है जो समय के साथ साथ बढ़ती जाती है। इस के बाद एक वर्ष की अवधि तक सूचना के साथ आप को एक शपथ पत्र देना होता है और विहित प्राधिकारी की अनुमति से सूचना पंजीकृत की जाती है। लेकिन एक वर्ष के उपरांत प्राप्त किसी भी सूचना को केवल प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट की आज्ञा पर ही पंजीकृत किया जा सकता है।
प को अपने बेटे के पंजीयन के लिए जो खर्च बताया गया है, वह अधिक लग सकता है। लेकिन इस में उस व्यक्ति का पारिश्रमिक भी सम्मिलित होना चाहिए जो आप के लिए इतनी भागदौड़ करेगा। आप चाहें तो पता कर सकते हैं कि कितनी शुल्क जमा होगी और कितना उस व्यक्ति का पारिश्रमिक है जो इस काम को कराएगा। लेकिन इतना अवश्य है कि आप अब देरी न करें, अपने बेटे के जन्म को तुरंत पंजीकृत कराएँ। जितनी देरी होगी उतना ही खर्च बढ़ता जाएगा।
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