नगेन्द्र पाण्डेय ने फैजाबाद, उत्तर प्रदेश से समस्या भेजी है कि-
हम ने एक ज़मीन का बैनामा १९८१ में करवाया था, उस ज़मीन पर तबसे हमारा कब्ज़ा भी है, ज़मीन का ख़ारिज दाखिल भी हो गया है, और २००७ में हमारे यहाँ चकबंदी भी हुई तब तक सब कुछ ठीक था। पिछले वर्ष एक व्यक्ति आया और उसी ज़मीन के बैनामे का कागज़ दिखाया जिस में उसने १९७७ में उसी ज़मीन का बैनामा कराया था परन्तु उसका खारिज दाखिल नहीं हुआ है उसके नाम। अब बताइए उसमे क्या हो सकता है।
समाधान –
वह व्यक्ति कुछ नहीं कर सकता, सिवा इस के कि बाहुबल के बूते पर आप की जमीन पर कब्जा करने की कोशिश करे। बस इस का ध्यान रखें। अपनी जमीन पर कब्जा बनाए रखें और उस व्यक्ति को मजबूर करें कि वह यदि उस का कोई अधिकार है तो उस के लिए कानून का सहारा ले।
जिस जमीन को उस ने 1977 में बैनामा कराया था तब से अब तक वह कहाँ बैठा रहा? इतनी देर से न्यायालय के पास जा कर कोई भी व्यक्ति कोई राहत प्राप्त नहीं कर सकता। कोई अदालत उसे कोई राहत प्रदान नहीं करेगी। उस का इरादा सिर्फ इतना है कि किसी तरह जमीन पर कब्जा कर ले और फिर कहे कि वह तो 1977 से जमीन पर कब्जे में है बस उस ने दाखिल खारिज नहीं कराया था। आप के द्वारा जो बैनामा, दाखिल खारिज कराया गया है वह सब चोर दरवाजे से कराया गया है। यदि आप उस के कब्जा करने से बचने के लिए किसी निषेधाज्ञा के लिए अदालत जाएंगे तब भी वह अपने जवाब में यही कहेगा कि जमीन पर कब्जा उस का है। इस कारण उसे ही अदालत जाने दें और कब्जा बनाए रखें।