समस्या-
सिकन्दर ने डीडवाना, जिला नागौर, राजस्थान से पूछा है –
मेरे दोस्त को नकली नोट के साथ गिरफ्तार किया है धारा 489 बी और सी लगाई है। दो दिन का रिमांड भी हुआ। फिर 14 दिन की जुडिशल कस्टडी दे दी है, कोर्ट ने। क्या उसकी ज़मानत होगी या नहीं? और होगी तो प्रोसेस बतायें। इसमे कितनी साल की सजा का प्रावधान है?
समाधान-
नकली मुद्रा या नकली बैंक नोटों को यह जानते हुए कि वह नकली है उन्हें किसी से प्राप्त करना, उन्हें असली की तरह प्रयोग करते हुए उससे कोई वस्तु खरीदना या उन्हें बाजार में चलाना भारतीय दंडसंहिता की धारा 489 बी के अन्तर्गत गंभीर अपराध है। इस अपराध के लिए आजीवन कारावास अथवा किसी अन्य अवधि के कारावास से दंडित किया जा सकता है जो 10 वर्ष तक की हो सकती है। इसके साथ जुर्माने से भी दंडित किया जा सकता है जो न्यायालय के विवेक पर निर्भर करता है। यह अपराध अजमानतीय है।
इसी तरह नकली मुद्रा या नकली बैंक नोटों को यह जानते हुए कि वह नकली है इस इरादे के साथ अपने पास रखना, या यह समझते हुए अपने पास रखना कि इनका उपयोग असली की तरह किया जा सकता है भा.दं.संहिता की धारा 489 सी के अन्तर्गत गंभीर अपराध है इस अपराध के लिए 10 वर्ष तक के कारावास के दंड से या जुर्माने से या दोनों से दण्डित किया जा सकता है जो न्यायालय के विवेक पर निर्भर करता है। यह अपराध जमानतीय है। यदि केवल इस धारा में ही आरोप होता तो जमानत पुलिस पुलिस स्टेशन पर ही ले सकती थी।
धारा 489 बी एक अत्यन्त गंभीर अपराध है। इस धारा का आरोप होने पर जमानत होना इस बात पर निर्भर करता है कि मामले के तथ्य क्या हैं? प्रथम सूचना रिपोर्ट से तथ्य स्पष्ट नहीं होते। अनेक बार जब तक अन्वेषण पूरा नहीं हो जाता तब तक पूरे तथ्य स्पष्ट नहीं हो पाते। इस कारण हो सकता है कि इस मामले में जब तक अदालत के समक्ष आरोप पत्र (चालान) दाखिल न हो जाए तब तक जमानत न हो। उसके बाद तथ्यों के आधार पर सेशन्स जज जमानत ले सकता है और यदि सेशन्स जज जमानत न ले तो उच्च न्यायालय से जमानत हो सकती है।