तीसरा खंबा

जारकर्म (Adultery) का अपराध क्या है?

Adulteryसमस्या-

रामचन्द्र चौधरी ने जोधपुर, राजस्थान से समस्या भेजी है कि-

दि किसी की पत्नी के शादी के बाद दूसरे व्यक्तियों के साथ अवैध शारीरिक सम्बंध हैं और ऐसे व्यक्तियों द्वारा ऐसी औरत को गर्भनिरोधक गोलियां खिलाकर बांझ कर दिया है जिस से अभी तक कोई बच्चा भी पैदा नहीं हुआ है और ऐसा पिछले 14 वर्षों से चल रहा है तो क्या ऐसी परिस्थिति में उस पत्नी के पति द्वारा आईपीसी की धारा 497 के तहत वाद दायर किया जा सकता है और क्या 497 के अंतर्गत दायर वाद गैर जमानती है अथवा नहीं। और क्या ऐसे वाद में न्यायालय शादी के बाद विवाहेतर सम्बंधों को सही साबित करने के लिए औरत का डीएनए टेस्ट करवा सकता है अथवा और उदाहरण के तौर पर यदि किसी व्यक्ति ने 3 साल पहले किसी औरत के साथ शारीरिक सम्बंध बनाये तो उसका खुलासा डीएनए टेस्ट में हो सकता है अथवा नहीं। इस मामले में एक राजकीय कर्म चारी-शिक्षक होते हुए भी इस प्रकार के कुकृत्य को अंजाम दे रहा है तो शिक्षित व्यक्ति के इस प्रकार के कृत्य किये जाने को न्यायालय द्वारा गंभीरता से लिया जायेगा अथवा नहीं?

समाधान-

प ने धारा 497 आईपीसी के बारे में पूछा है। यह धारा जारकर्म (Adultery) के बारे में बताती है भारतीय दंड संहिता के अनुसार जिसे कोई पुरष ही कर सकता है और जो किसी पुरुष का किसी विवाहित पुरुष के प्रति अपराध है। यह धारा कहती है कि यदि कोई व्यक्ति यह जानते हुए कि कोई स्त्री किसी की पत्नी है उस के पति की सम्मति या मौनानुकूलता के बिना उस के साथ यौन संबंध स्थापित करता है तो वह 497 का अपराध करता है। आप खुद इस धारा को पढ़ लीजिए-

  1. जारकर्म–जो कोई ऐसे व्यक्ति के साथ, जो कि किसी अन्य पुरुष की पत्नी है और जिसका किसी अन्य पुरुष की पत्नी होना वह जानता है या विश्वास करने का कारण रखता है, उस पुरुष की सम्मति या मौनानुकूलता के बिना ऐसा मैथुन करेगा जो बलात्संग के अपराध की कोटि में नहीं आता, वह जारकर्म के अपराध का दोषी होगा, और दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि पांच वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा । ऐसे मामले में पत्नी दुष्प्रेरक के रूप में दण्डनीय नहीं होगी ।

ह अपराध असंज्ञेय है और जमातीय है। अर्थात इस के लिए आप को न्यायालय को सीधे परिवाद प्रस्तुत करना होगा और साबित भी आप को ही करना होगा। इस में अभियुक्त को सम्मन से ही बुलाया जाएगा और जमानत प्रस्तुत करने पर न्यायालय उसे जमानत पर छोड़ देगा।

डीएनए टेस्ट से यह साबित नहीं किया जा सकता कि किसी खास व्यक्ति ने किसी खास व्यक्ति के साथ यौन संबंध स्थापित किया है। इस कारण डीएनए टेस्ट इस मामले में बेकार सिद्ध होगा। यदि आप साबित कर दें कि उस अध्यापक ने आप की पत्नी के साथ आप की सम्मति और मौनानुकूलता के बिना यौन संबंध स्थापित किया है तो अदालत उसे दंडित कर देगी और उस की नौकरी पर भी उस का बुरा प्रभाव पड़ेगा। लेकिन यह कार्यवाही आप तभी करें जब आप अपराध को साबित कर सकें। अन्यथा वह व्यक्ति आप पर उलटा मानहानि का मुकदमा कर देगा जिस में आप को सजा, जुर्माना और क्षतिपूर्ति करनी पड़ सकती है। जगहँसाई होगी वह अलग है।

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