तीसरा खंबा

झुकने से हल निकल आए तो झुकना क्या बुरा है?

two wives one husbandसमस्या-

सुनील ने भोपाल, मध्यप्रदेश से समस्या भेजी है कि-

मेरा विवाह 22 मे 2013 को हुआ था। मेरी पत्नी और उनके घर वाले मेरे परिवार पर दबाव बना रहे थे कि मेरे पिताजी द्वारा तैयार मकान मैं उन की लड़की यानी मेरी पत्नी के नाम करवा दूँ। जब मैं ने उनसे मना किया इस टॉपिक को लेकर तो मुझे नाना प्रकार से मेरी पत्नी परेशान करने लगी। हमेशा फोन पर लगी रहती थी मेरे ससुराल वालों से और कहती थी मैं इन लोगो को अच्छा सबक सीखाउंगी। उस के बाद मुझ से अलग रहने की ज़िद करने लगी। तब मैं ने परिवार से कहा कि मैं अलग रहना चाहता हूँ। मम्मी पापा ने कहा कि बेटा जब ये घर मे इतने नाटक कर रही है तो अकेले मे तुझे बहुत सहना पड़ेगा। लेकिन मैं ने सोचा कि अगर ऐसा हुआ तो इस मे मेरे परिवार पर कोई आँच नहीं आएगी। मुझे लगा ही था की ये कोई बड़ी प्राब्लम करने वाली है। घर का सारा काम मुझे करना पड़ता था। अब मैं पूरी तरीके से टूट चुका था। कुछ समझ नहीं आ रहा था। मेरी पत्नी द्वारा मुझ पर और मेरे परिवार में वर्णित सभी सदस्यो पर 498-क लगा दिया है। मैं ने तलाक़ के लिए आवेदन दिया था, काउंसलिंग हुई पर कोई नतीजा नहीं निकला। उस के बाद मेरी पत्नी ने 125 धारा (मैनटेनेंस) का लगाया है। मैं पार्ट टाइम नौकरी करता हूँ। हमारी कोई संतान नहीं है और उनका कहना है कि मैं 10,000 रुपए मासिक दूं। ऐसे में कैसे मैं उसे ये राशि दे पाउंगा। जब कि मैं ने तलाक़ में कहा कि मैं इतनी रकम नहीं सकता। क्या इस के बाद भी मुझे इतने रुपए पत्नी को देने होंगे। और यदि मैं 2500 रुपए प्रतिमाह कमाता हूँ तो कानून के हिसाब से कितने रुपए देने चाहिए?

समाधान-

प का विवाह होने के पहले क्या आप अपनी पत्नी और उस के माता-पिता के परिवार को नहीं जानते थे? यदि नहीं जानते थे तो आप ने विवाह क्यों किया। जैसा कि हमारे यहाँ होता है आम तौर पर माता-पिता की मर्जी से लड़के विवाह करते हैं। विवाह के पूर्व माता-पिता लड़की वालों को बताते हैं कि उन का लड़का इतनी अच्छी नौकरी करता है। उन के पास अच्छा खासा मकान है, यह सारी संपत्ति लड़के की होने वाली है। लड़का कोई नौकरी कर रहा होता है तो माता-पिता उस की वास्तविक आय न बता कर समूचे परिवार की आय बताते हैं कि 10-20 हजार या 50 हजार प्रतिमाह कमाई है, वगैरा वगैरा।

ब लड़की ससुराल में आती है तो बिलकुल अनजान होती है। उसे कोई तथ्य लड़के और उस के परिवार के बारे में पता नहीं है। उस ने जो कुछ सुना होता है वही जानती है। जब वास्तविकता देखती है तो उसे लगता है कि उसे धोखा दिया गया है, झूठ बोल कर उस का विवाह कर दिया गया है। वह जब ये शिकायत माता-पिता से करती है तो वे भी यही कहते हैं कि उन के साथ धोखा हुआ है। अब जिन के साथ धोखा हुआ है वे तो उस का बदला लेंगे। बदला लेने के लिए जो भी औजार उन्हें मिलेगा उस का उपयोग करेंगे। 498 क और 125 का उपयोग भी करेंगे। अन्य कानूनों का भी करेंगे। इस पूरे मामले में लड़के लड़की के बीच प्रेम जैसी कोई चीज तो है नहीं, अपितु नफरत का रिश्ता और बन जाता है। जब प्रेम के स्थान पर नफरत नजर आती है तो उस से पीछा छुड़ाने के लिए लड़का तलाक चाहता है। लड़की और उस के ससुराल वालों का बदला पूरा तो हुआ नहीं है तो वे तलाक की जगह लड़ाई को तरजीह देते हैं। दोनों परिवार इसी लड़ाई में बरसों उलझे रहते हैं। आप भी इसी में फँसे हुए हैं। न जाने कब लोग विवाह की इस पद्धति को त्याग कर लोग इस मामले को अपने बच्चों पर छोड़ेंगे।

प ने केवल 125 में मिलने वाली भरण पोषण रशि के बारे में जानकारी चाही है। धारा 125 में भरण पोषण की राशि कितनी मिलनी चाहिए यह पूरी तरह न्यायालय पर निर्भर करता है। लेकिन न्यायालय इस मामले में इन तथ्यों की जाँच अवश्य करता है कि पत्नी को उस के सामाजिक स्तर के हिसाब से प्रतिमाह कितनी राशि की आवश्यकता है। वह इन आवश्यक्ताओं की पूर्ति किस प्रकार कर रही है। पति की वास्तविक आय क्या है? और पति के दूसरे दायित्व क्या हैं। यदि पति अपनी ओर से संबधित तथ्यों के बारे में पर्याप्त सबूत व साक्ष्य प्रस्तुत करे तो भरण पोषण की उपयुक्त राशि ही निर्धारित होती है। अधिकांश लोग आवेदन के जवाब में जो कुछ लिखते हैं उसे प्रमाणित नहीं कर पाते इस कारण से उन्हें अप्रत्याशित आदेशों का सामना करना पड़ता है। आप को वकीलों से सहायता प्राप्त है। आप को चाहिए कि इस मामले में आप वकीलों से सारे तथ्य जानें और साक्ष्य प्रस्तुत करने में पीछे न रहें। यदि आप ने और आप के वकील ने प्रतिरक्षा में मेहनत की तो आप को अप्रत्याशित राशि का आदेश नहीं देखना पड़ेगा। बेहतर तो यह है कि आप आपस में मिल जुल कर पहले तो एक दूसरे के प्रति दुर्भावना को समाप्त करें और फिर सहमति से किसी हल को खोजें। इस मामले में नाक ऊँची रखने से काम न चलेगा। कहीं तो झुकना पड़ेगा। झुकने से हल निकल आए तो क्या बुरा है।

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