समस्या-
ज्ञान नाथ शुक्ला ने बलरामपुर, उत्तर प्रदेश से पूछा है-
मेरा विवाह दिसंबर 2020 में रिश्तेदार के माध्यम से बिना दहेज के हुआ था। पत्नी की छोटी बहन ने मुझसे तीस हजार रूपये मांगे तो मैंने मना कर दिया। रूपयों को लेकर व अलग रहने की बात पर पत्नी ने लगातार जिद की। उनकी माता ने भी कहा कि अपनी छोटी बहनों व माता को छोड़कर अलग रहो। मैं लखनऊ में प्राइवेट सेक्टर में जाब करता हूँ। पत्नी व उसके परिवार वाले लगातार रूपयों की मांग कर रहे थे। पत्नी जिद्दी व गुस्सैल किस्म की है। उसकी एक बड़ी बहन है जिसने मुझे अपने साथ सोने के लिए कहा। मेरी इस बात पर लड़ाई हो गई। जिसके बाद मेरी पत्नी घर से बिना मेरी जानकारी में मार्च 2021 में अपने घर चली गई। जिसके बाद उसने मुझ पर नपुंसक होने व सेक्सुअल पावर की दवाएं खाने, दहेज के लिए मारपीट करने आदि के आरोप लगाने शुरू किए। वे लोग रूपयों की मांग कर रहे थे। परिवार वालों के कहने पर मैंने इंतजार किया। मई में मेरे पारिवारिक सदस्य की मृत्यु हो गई। जिसके बाद मैं एकदम से शांत होकर अपने घर से दूर नौकरी कर रहा हूं। पत्नी की छोटी बहन ने उससे कई जगह शिकायतें पहुंचाई। उसने मेरी पत्नी बनकर कुछ अधिकारियों व पुलिसवालों से फोन पर बात भी की। जिसकी रिकार्डिंग है। पुलिस इंस्पेक्टर ने मुझसे कहा कि आप दस लाख रूपये दे दो हम मामला खत्म करवा देंगे आप भी शादी कर लो कहीं अलग। मैंने मना कर दिया। अब पुलिस ने धारा 498ए 323 , 504, 506 आईपीसी का मुकदमा बिना किसी समझाइश या काउंसिलिंग के दर्ज कर लिया है। मेरी छोटी बहन व माता जी व एक बड़े भाई का नाम भी एफआईआर में है जो कि अलग रहते हैं। मैंने भी सेक्शन नौ हिन्दू विवाह अधिनियम का मुकदमा उनके एफआईआर से पहले कर दिया था। जिसकी नोटिस भी भेज दी थी।
- क्या पुलिस मुझे व मेरे परिवार को गिरफ्तार कर सकती है? क्योंकि दरोगा लगातार डरा रहा है।
- क्या पत्नी व उसकी बहन व परिवार की अनैतिक मांग व झूठे मांग उचित हैं। उनके एक रिश्तेदार पुलिस में दरोगा हैं, वे लगातार मुझे गिरफ्तार करवाने व बर्बाद करने की धमकी देते हैं।
- मुझे क्या करना चाहिए ताकि मेरे परिवार की सुरक्षा हो सके।
- पत्नी की बहन द्वारा अन्य लोगों से पत्नी के नाम से बात करने की रिकार्डिंग व रूपयों की मांग के मैसेज आदि का कोई लाभ मिल सकता है।
- क्या पुलिस सीधा केस दर्ज कर गिरफ्तारी के लिए दबाव बना सकती है। कृपया मार्गदर्शन करें क्योंकि मैं बुरी तरह से फँस चुका हूँ।
समाधान-
आपके विरुद्ध आपकी पत्नी ने धारा 498ए 323 , 504, 506 आईपीसी में एफआईआर दर्ज करवाई है। इनमें धारा 498ए प्रसंज्ञेय है तथा अजमानतीय भी है। इस कारण से इस में पुलिस आपको गिरफ्तार कर सकती है। लेकिन सुप्रीमकोर्ट द्वारा अर्नेश कुमार बनाम बिहार राज्य के मुकदमे में यह निर्देश दिए गए हैं कि किसी भी 7 वर्ष या उससे कम कारावास के दंड से दंडित किए जाने वाले अपराधों में गिरफ्तारी के पूर्व पुलिस अधिकारी को एक नोटिस देना होगा और आपको अपना पक्ष पुलिस के सामने रखने को कहना होगा। ऐसे मामलों में आप उच्च न्यायालय में धारा 482 दं.प्र.संहिता के अन्तर्गत आवेदन दे कर इस प्रथम सूचना रिपोर्ट को निरस्त कराने और इस की सुनवाई तक गिरफ्तारी पर रोक का आदेश प्राप्त कर सकते हैं। इस मामले में आपके परिजनों का नाम होते हुए भी उन्हें अभियुक्त बनाया जाना आसान नहीं होगा। गिरफ्तारी की आशंका अधिक होने पर आप धारा 438 दं.प्र.संहिता में गिरफ्तारी पूर्व जमानत के लिए आवेदन कर सकते हैं।
हमारी राय है कि किसी भी परिस्थिति में झूठ और गलत के सामने नहीं झुकना चाहिए, क्योंकि झुकने की एक सीमा होती है और झुक जाने पर भी ऐसी समस्याएँ सुलझ नहीं जातीं। उसके अन्तिम नतीजे अच्छे नहीं होते। यदि धारा 482 अथवा धारा 438 दं.प्रक्रिया संहिता में आपको राहत प्राप्त नहीं होती। इस पूरे मामले में अधिक से अधिक आपकी गिरफ्तारी की जा सकती है, मामला ऐसा है कि एक-दो दिनों में जमानत हो जाएगी। यदि आप अपने नियोजक को इस मामले में विश्वास में ले लेंगे तो आपको नौकरी की कोई क्षति नहीं होगी। जहाँ तक गिरफ्तारी पूर्व जमानत या प्रथम सूचना रिपोर्ट रद्द करने का मामला है आपको स्थानीय वकीलों से राय करनी चाहिए।
जहाँ तक विवाह का प्रश्न है कि उस मामले में आपसी समझौते से कोई सुगम मार्ग निकलता हो तो अवश्य निकालना चाहिए।