बंटी निहाल ने पूछा है –
एक टीवी सीरियल पर मैंने देखा कि एक पति अपनी पत्नी को बैंक मैनेजर को अपना लोन पास करवाने के लिए एक रात के लिए भेज देता है, जो कि मुझे बहुत ही बुरा लगा। बिचारी पत्नी अपने पति के लिए रोते हुए उस गलत कार्य में साथ देती है। इस तरह के सीरियल को देख कर बहुत से लोगो में गलत सीख जाएगी और फैमिली के साथ भी नहीं देखा जा सकता। मैं आपसे इतना जानना चाहता हूँ कि –
१. इस तरह की गलत चीजे दिखाने वाले चैनल, निर्माता, निर्देशक के ऊपर क्या मुकदमा दर्ज किया जा सकता है और कैसे ?
२. इस पर कौन सी धारा लगेगी ?
३. क्या मैं अपने थाना में दर्ज करवा सकता हूँ ? पर कैसे ?
कृपया आप मुझे मार्गदर्शन दें कि इस तरह के सीरियल, टीवी शो और विज्ञापन पर कैसे रोक लगाई जा सकती है।
उत्तर –
बंटी भाई!
आप का प्रश्न भारतीय टेलीविजन चैनलों की गिरावट को रोकने की दिशा में एक सकारात्मक सोच का परिणाम है। टी वी सीरियल में लोन लेने के लिए पत्नी को चारे की तरह परोसने का दृश्य उसे सभी दर्शकों के देखने के अयोग्य बनाता है। इस तरह का कृत्य वेश्यावृत्ति निरोधक अधिनियम के तहत अपराध है। यदि उस की पत्नी शिकायत करे तो धारा 498 ए के अंतर्गत अपराध होगा।
आप के पहले प्रश्न कि -इस तरह की गलत चीजे दिखाने वाले चैनल, निर्माता, निर्देशक के ऊपर क्या मुकदमा दर्ज किया जा सकता है और कैसे? का उत्तर है कि -यदि सीरियल की कहानी समाज के एक सच को बताने और लोगों में इस परम्परा के प्रति घृणा की सीख देने की गरज से अगर प्रस्तुत की गई है तो फिर यह कोई अपराध नहीं। यदि यह दृश्य फिल्म सेंसर की तरह दूरदर्शन नियमावली और भारतीय नाट्य प्रदर्शन अधिनियम के प्रावधानों के अंतर्गत बोर्ड स्वीकृत है तो भी अपराध नहीं है। लेकिन अगर ऐसा नहीं किया गया है तो केबल नेटवर्क टेलीविजन एक्ट 1994 के प्रावधानों और भारतीय नाट्य प्रदर्शन अधिनियम के अंतर्गत सीरियल के निर्माण और प्रदर्शन से जुड़े व्यक्तियों को दंडित किये जाने का प्रावधान है जिस का दंड तीन माह से तीन वर्ष का कारावास और लाखों रूपये जुर्माने तक हो सकता है।
आ span>प के दूसरे प्रश्न कि -इस पर कौन सी धारा लगेगी ? का उत्तर है, -ऐसे अपराध के लियें केबल नेटवर्क टेलीविजन एक्ट के प्रावधानों के के अंतर्गत ऐसे चैनल, ऐसे नाटक या सीरियल को प्रतिबंधित कर इसके प्रदर्शन में शामिल लोगों को इस कानून के अंतर्गत दंडित किया जा सकता हे वैसे ऐसे सीरियल और प्रदर्शनों पर प्रतिबंध के लिए राजस्थान हाईकोर्ट ने स्वयमेव प्रसंज्ञान लेकर वर्ष 2002 में सरकार के लिए निर्देश जारी किया है।
आप के तीसरे प्रश्न कि -क्या मैं अपने थाना में दर्ज करवा सकता हूँ ? पर कैसे ? का उत्तर है कि, -नहीं, आप ऐसा नहीं कर सकते। इस मामले में सीधे थाने में मुकदमा दर्ज नहीं करवाया जा सकता। एक तो केबल टेलीविजन एक्ट 1994 और फिर संशोधन2004 के प्रावधानों के अंतर्गत जिला कलेक्टर को शिकायत कर स्क्रिप्ट के साथ न्यायालय में परिवाद पेश किया जा सकता है और ऐसे कार्यक्रमों को रुकवाने के लियें दंडित करवाने के लियें दूरदर्शन शिकायत प्राधिकरण, दूरदर्शन नियामक आयोग, दिल्ली में निर्धारित शुल्क के साथ शिकायत की जा सकती हे जो इस मामले में आर्थिक जुर्माना लगा सकते हैं। वर्तमान में यह मामला संसद में विचाराधीन है। इस पर नया कानून बनाने के लिए हाल ही में केन्द्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में अम्बिका सोनी ने इस मामले को प्रेस पुस्तक पंजीकरण अधिनियम, 1867 में दंड का प्रावधान जोड़ने का प्रस्ताव किया है। जिसे केन्द्रीय मंत्रिमंडल अनुमति दे चुका है। कानून बनना और प्रभाव में आना शेष है।
आप के पहले प्रश्न कि -इस तरह की गलत चीजे दिखाने वाले चैनल, निर्माता, निर्देशक के ऊपर क्या मुकदमा दर्ज किया जा सकता है और कैसे? का उत्तर है कि -यदि सीरियल की कहानी समाज के एक सच को बताने और लोगों में इस परम्परा के प्रति घृणा की सीख देने की गरज से अगर प्रस्तुत की गई है तो फिर यह कोई अपराध नहीं। यदि यह दृश्य फिल्म सेंसर की तरह दूरदर्शन नियमावली और भारतीय नाट्य प्रदर्शन अधिनियम के प्रावधानों के अंतर्गत बोर्ड स्वीकृत है तो भी अपराध नहीं है। लेकिन अगर ऐसा नहीं किया गया है तो केबल नेटवर्क टेलीविजन एक्ट 1994 के प्रावधानों और भारतीय नाट्य प्रदर्शन अधिनियम के अंतर्गत सीरियल के निर्माण और प्रदर्शन से जुड़े व्यक्तियों को दंडित किये जाने का प्रावधान है जिस का दंड तीन माह से तीन वर्ष का कारावास और लाखों रूपये जुर्माने तक हो सकता है।
आ span>प के दूसरे प्रश्न कि -इस पर कौन सी धारा लगेगी ? का उत्तर है, -ऐसे अपराध के लियें केबल नेटवर्क टेलीविजन एक्ट के प्रावधानों के के अंतर्गत ऐसे चैनल, ऐसे नाटक या सीरियल को प्रतिबंधित कर इसके प्रदर्शन में शामिल लोगों को इस कानून के अंतर्गत दंडित किया जा सकता हे वैसे ऐसे सीरियल और प्रदर्शनों पर प्रतिबंध के लिए राजस्थान हाईकोर्ट ने स्वयमेव प्रसंज्ञान लेकर वर्ष 2002 में सरकार के लिए निर्देश जारी किया है।
आप के तीसरे प्रश्न कि -क्या मैं अपने थाना में दर्ज करवा सकता हूँ ? पर कैसे ? का उत्तर है कि, -नहीं, आप ऐसा नहीं कर सकते। इस मामले में सीधे थाने में मुकदमा दर्ज नहीं करवाया जा सकता। एक तो केबल टेलीविजन एक्ट 1994 और फिर संशोधन2004 के प्रावधानों के अंतर्गत जिला कलेक्टर को शिकायत कर स्क्रिप्ट के साथ न्यायालय में परिवाद पेश किया जा सकता है और ऐसे कार्यक्रमों को रुकवाने के लियें दंडित करवाने के लियें दूरदर्शन शिकायत प्राधिकरण, दूरदर्शन नियामक आयोग, दिल्ली में निर्धारित शुल्क के साथ शिकायत की जा सकती हे जो इस मामले में आर्थिक जुर्माना लगा सकते हैं। वर्तमान में यह मामला संसद में विचाराधीन है। इस पर नया कानून बनाने के लिए हाल ही में केन्द्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में अम्बिका सोनी ने इस मामले को प्रेस पुस्तक पंजीकरण अधिनियम, 1867 में दंड का प्रावधान जोड़ने का प्रस्ताव किया है। जिसे केन्द्रीय मंत्रिमंडल अनुमति दे चुका है। कानून बनना और प्रभाव में आना शेष है।