तीसरा खंबा

तलाक चाहते हैं तो आवेदन करने में देरी न करें

समस्या-

जलगाँव, महाराष्ट्र से भोजराज पूछते हैं-

मेरी पत्नी ने घरेलू हिंसा का केस दर्ज कराया है।  उस का उनका मायका यवतमाल जिले में है और मैं जलगाँव जिले में रहता हूँ।  उसने केस यवतमाल में दर्ज कराया। लेकिन वहाँ के न्यायाधीश ने क्षेत्राधिकार न होने से केस खारिज कर दिया।  लेकिन उसने फिर आवेदन प्रस्तुत कर दिया।  125 दंड प्रक्रिया संहिता का भी केस शुरू कर दिया है।  केस अक्टूबर 2011 में दर्ज हुआ था।  मेरी पत्नी यहाँ प्राइवेट कंपनी में काम करती है जिसे उसने  कोर्ट में भी यह कबूल किया है।  उस का मासिक वेतन मुझ से अधिक है। वह मुझे न तो तलाक दे रही है और न वापस आ रही है।  अब उसे नहीं रखना चाहता हूँ। वकील बोलते हैं कि दोनों केसों में निर्णय होने दो तब तलाक का मुकदमा करना। मेरी उम्र 35 वर्ष है और उस की 24 वर्ष है।  की उम्र तो अभी विवाह की है लेकिन मेरी तो निकली जा रही है। घऱ की हालत बहुत खराब है, मम्मी-पापा की उमर 70 से ऊपर है वे लोग ठीक से चल भी नहीं सकते हैं।   ऐसे में मुझे शादी करना ज़रूरी है।  मेरा मासिक वेतन 4500 रुपए है जिस में घर चलना मुश्किल हो गया है।  अब आप बताएँ 125 दं.प्र.सं. में मुझे कितने पैसे उसे देने होंगे? उसका मासिक प्रतिमाह 9000 रुपये तक मिलता है। उस का भुगतान अभी 5000 रुपए है और इंसेटिव अलग मिलता है।  कोर्ट में उस ने प्रति परीक्षण में यह बताया है कि वह नौकरी करती है और उसका भुगतान उस वक़्त 3500 रुपये था और इंसेन्टिव भी मिलता है वह यहाँ जलगाँव में रहती है लेकिन उसने मुकदमा यवतमाल जिले में किया है।

समाधान-

रेलू हिंसा का मुकदमा दुबारा यवतमाल में ही किया है तो वह पुराने निर्णय के आधार पर खारिज हो जाएगा, क्यों कि आप की पत्नी जलगांव में रहती है। मुझे लगता है कि उस ने दुबारा कोई मुकदमा नहीं किया अपितु जो मुकदमा पहले किया था उसी की अपील प्रस्तुत की होगी जिसे आप दुबारा मुकदमा करना कहते हैं।  धारा 125 दं.प्र.सं. में मुकदमा कहाँ किया है यह आप ने नहीं बताया।

दि आप की पत्नी आप से अधिक कमाती है और जलगाँव में निवास करती है तो जैसा कि उस ने अपने बयान में स्वीकार किया है तो यवतमाल में किए गए सभी मुकदमे खारिज हो जाने चाहिए।  आप की पत्नी आप से अधिक कमाती है और ऐसा साबित हो जाता है तो अदालत आप से आप की पत्नी को खर्चा दिलाने का आदेश नहीं करेगी। मुकदमों में समय तो लगेगा।  इस का कोई इलाज नहीं है।  देश में अदालतें जरूरत की बीस प्रतिशत हैं।  इस का इलाज तो अदालतें बढ़ाए बगैर नहीं किया जा सकता जिसे केवल सरकार ही बढ़ा सकती है।

प के माता-पिता आप की जिम्मेदारी हैं आप की पत्नी की नहीं। आप का और आप के माता-पिता का खर्च आप की कमाई से नहीं चलता तो इस का कोई संबंध आप की पत्नी से नहीं है। कोई भी स्त्री आप से विवाह करेगी और आप के माता-पिता का दायित्व उठाएगी, ऐसा संभव नहीं लगता। इन परिस्थितियों में इन शर्तों के साथ कोई भी स्त्री आप से विवाह करने से कतराएगी।

प को अपनी पत्नी के साथ समझौते के प्रयास करने चाहिए। यदि आप की पत्नी आप से अधिक कमाती है तो परिवार उस के खर्च से चलाया जा सकता है, लेकिन वह काम करेगी तो आप से यह प्रत्याशा रखेगी कि आप के माता-पिता को आप संभालें। आप को अपने जीवन को स्वयं व्यवस्थित करने का प्रयत्न करना चाहिए।  फिर आप यदि तलाक लेना ही चाहते हैं तो तलाक (विवाह विच्छेद) के लिए मुकदमा तुरंत कर दें।  विवाह विच्छेद के मुकदमे में भी समय लगेगा और इस तरह फिर आप के मुताबिक आप विवाह के योग्य नहीं रह जाएंगे।

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