हमारे घर पर एक बहुत पुराना तकरीबन ९० साल कागज है। यूँ ही पुराने कागज पलट रहा था, अधिकतर अंग्रेजी या उर्दू में थे। अब खेतों के लिए (चकबंदी के बाद) उनकी जगह नए कागज आ गए हैं। उन्ही में एक ऐसा कागज मिला जो हिन्दी में लिखा हुआ था, पीले कागज पर… पढ़ा तो पता चला की आपसी पारिवारिक बंटवारे का एक कागज है… जो स्थानीय भाषा में लिखा गया था। कुछ यूँ था की ‘इस पत्थर से ५० हाथ की जमीन है, जिसमें से ३० हाथ उत्तर की तरफ़ का फलाने का हुआ और दक्षिण की तरफ़ का…’ नीचे हस्ताक्षर थे। अब उस जमीन पर हमारा एक घर बना हुआ है तो कोई समस्या नहीं। लेकिन मैं सोच रहा था की ऐसे कागज की क्या मान्यता हो सकती है? पंचायत के कुछ लोगों के हस्ताक्षर थे लेकिन कोई स्टांप नहीं। उनमें लिखित कोई आदमी जिन्दा नहीं। ऐसे कागज को क्या कभी किसी केस में इस्तेमाल किया जा सकता है?
अभिषेक जी यह दस्तावेज बहुत महत्वपूर्ण है। कोई भी दस्तावेज जिसे लिखे 30 वर्ष से अधिक समय हो चुका हो केवल यह साबित कर देने पर कि वह तीस वर्ष से अधिक पुराना है, उस में अंकित हर बात और हस्ताक्षर आदि को ऐसा माना जाता है जैसे वह लिखत और उस के हस्ताक्षर तथा उस का अनुप्रमाणन उसी प्रकार से है जैसे वह उस दस्तावेज द्वारा होना तात्पर्यित होता है।
आप का यह दस्तावेज भूमि के आपसी बंटवारे का सबूत है। इस बात का भी कि उस समय कौन सी भूमि किस व्यक्ति के कब्जे में थी। यदि किसीलिए इस की आवश्यकता पड़ जाए तो बहुत काम का दस्तावेज है और यदि किसी मुकदमे में पेश किया जाए तो सब से मजबूत सबूत है। यदि यह दस्तावेज काम न भी आए तो भी एक पुरानी लिखावट, उस वक्त की कानूनी काम काज की भाषा, और लिपि के संग्रहण की दृष्टि से बहुत महत्व का है।