तीसरा खंबा

दत्तक ग्रहण (गोद) के प्रभाव, प्रकल्पना, निषेध और दंड

इस जानकारी के उपरांत कि गोद लेने की योग्यताएँ, प्रक्रिया और शर्तें तथा अज्ञात माता-पिता की संतान को गोद देने की प्रक्रिया क्या है? यह भी जान लिया जाए कि किसी भी संतान को दत्तक ग्रहण करने के फलस्वरूप गोद ली गई संतान उसे जन्म देने वाले माता पिता और दत्तक ग्रहण करने वाले माता पिता पर क्या क्या प्रभाव आएंगे?

दत्तक ग्रहण (गोद) के प्रभाव
जिस दिन से किसी भी संतान को दत्तक ग्रहण किया जाएगा, उसी दिन से दत्तक ग्रहण की हुई संतान को, सभी उद्देश्यों के लिए, दत्तक ग्रहण करने वाले माता-पिता की संतान माना जाएगा। उसी दिन से यह भी माना जाएगा कि उस का संबंध उसे जन्म देने वाले परिवार से समाप्त हो गया है और उसे दत्तक ग्रहण करने वाले परिवार द्वारा प्रतिस्थापित कर दिया गया है।
बशर्ते कि ….
क- दत्तक संतान किसी भी उस व्यक्ति से विवाह नहीं कर सकेगा/सकेगी जिस से कि वह अपने जन्म देने वाले परिवार में बना/बनी रह कर नहीं कर सकता/सकती थी।
ख- कोई भी संपत्ति जो कि दत्तक ग्रहण करने के पूर्व दत्तक संतान की थी वह लगातार उसी की बनी रहेगी तथा उस संपत्ति के स्वामित्व के साथ जुड़े हुए तमाम दायित्व, जैसे उस के जन्म परिवार के रिश्तेदारों के भरण पोषण के दायित्व, दत्तक ग्रहण के पूर्व की भांति बने रहेंगे।
ग- दत्तक व्यक्ति किसी भी व्यक्ति से उत्तराधिकार में कोई भी संपत्ति प्राप्त नहीं कर सकेगा जो वह दत्तक ग्रहण करने के पूर्व प्राप्त कर सकता था।


दत्तक ग्रहण करने वाले माता पिता के अधिकार 
किसी अनुबंध के अभाव में दत्तक ग्रहण करने वाले माता-पिता के उन की अपनी संपत्ति को स्थानान्तरित करने अथवा उसे वसीयत करने के अधिकार समाप्त नहीं होंगे।

कुछ मामलों में दत्तक की माता

  1. जहाँ किसी हिन्दू की पत्नी दत्तक ग्रहण करने के समय जीवित हो तो वह दत्तक ग्रहण करने वाली संतान की माता मानी जाएगी। 
  2. जहाँ  दत्तक ग्रहण करने के लिए एकाधिक पत्नियों की सहमति ली गई हो तो उन में जो सब से वरिष्ठ होगी वही दत्तक ग्रहण किए गए व्यक्ति की माता मानी जाएगी और अन्य पत्नियाँ उस की सौतेली माताएँ मानी जाएँगी। 
  3. जहाँ एक विदुर या अविवाहित व्यक्ति किसी को संतान दत्तक ग्रहण करता है तो कोई भी पत्नी जिस से वह भविष्य में विवाह करेगा वह दत्तक ग्रहण किये जा चुके व्यक्ति की सौतेली माता मानी जाएगी। 
  4. जहाँ विधवा या अविवाहित महिला किसी व्यक्ति को दत्तक ग्रहण करती है तो कोई भी पति जिस से वह भविष्य में विवाह करती है दत्तक ग्रहण किये जा चुकी संतान का सौतेला पिता माना जाएगा। 

वैध दत्तक ग्रहण निरस्त नहीं होगा
कोई भी दत्तक ग्रहण जो कि वैध है दत्तक ग्रहण करने वाले माता पिता या किसी भी अन्य व्यक्ति द्वारा निरस्त नहीं किया जा सकेगा, और न ही दत्तक ग्रहण की गई संतान ही स्वयं को दत्तक ग्रहण किए जाने की अवस्था को समाप्त कर के वापस अपने जन्म परिवार में वापस लौट सकेगी।

दत्तक ग्रहण के पंजीकृत दस्तावेज के मामले में प्रकल्पना
यदि किसी दत्तक ग्रहण करने के मामले में दस्तावेजों को पंजीकृत किए जाने वाले किसी कानून के अंतर्गत पंजीकृत कोई दस्तावेज किसी न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा तो न्यायालय द्वारा यही माना जाएगा कि दत्तक प्रदान करने वाले माता पिता ने संतान को दत्तक कर दिया था और दत्तक ग्रहण करने वाले माता पिता ने संतान को दत्तक ग्रहण कर लिया था, जब तक कि इस के विपरीत साबित नहीं कर दिया जाएगा।

धारा- 17. कुछ भुगतानों का निषेध और दंड

  1. कोई भी व्यक्ति दत्तक प्रदान करने के लिए न तो किसी भी उस प्रकार का धन या उपहार प्राप्त  करेगा और न ही प्राप्त करना स्वीकार करेगा और
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