तीसरा खंबा

दहेज में प्राप्त वस्तुएँ व नकदी स्त्री-धन है स्त्री उन्हें कभी भी ससुराल वालों से मांग सकती है।

समस्या-

उन्नाव, उत्तर प्रदेश से सपना रावत ने पूछा है -.

मेरे पति घर से अलग रहते हैं, लेकिन मुझ को नहीं ले जाते हैं। मेरे पति सारा पैसा भी घर पर देते हैं और मुझे अपना घर खर्च नौकरी कर के निकालने को कहते हैं। अब उन्हों ने तलाक का नोटिस भेजा है। अपने माँ बाप के सिखाने पर मुझ से तलाक लेना चाहते हैं। क्या हम दोनों अलग रह सकते हैं? क्या मुझे दहेज में दिया गया सारा सामान और नकदी वापस मिल सकती है?

समाधान-

Desertedदि आप के पति आप को घर खर्च आप से नौकरी कर के निकालने को कहते हैं तो समझिए कि वे आप को खुद पर बोझा समझते हैं।  आप के पति के परिवार वाले भी चाहते हैं कि आप दोनों का विवाह टूट जाए। लगता है आप का विवाह हुए अधिक समय नहीं हुआ है। ऐसे में यदि आप इस विवाह को बनाए रखती हैं तो जीवन मुश्किलों से ही निकलने वाला है।

प के पति के पास तलाक का कोई मजबूत आधार नहीं है। जिस के कारण वे तलाक ले सकते हों।  इस कारण तलाक का नोटिस कोई मायने नहीं रखता है।  विवाह में रहते हुए पति पत्नी के अलग अलग रहने में कोई बाधा नहीं है लेकिन पति या पत्नी में से कोई भी जान बूझ कर अलग रह रहा हो और दाम्पत्य के दायित्वों का निर्वाह नहीं कर रहा हो तो दूसरा उस के विरुद्ध धारा 9 हिन्दू विवाह अधिनियम के अंतर्गत दाम्पत्य अधिकारों के प्रत्यास्थापन के लिए आवेदन प्रस्तुत कर सकता है। इस आवेदन पर न्यायालय दाम्पत्य अधिकारों के प्रत्यास्थापन की डिक्री पारित कर देगी। लेकिन इस डिक्री का विशिष्ट अनुपालन कराया जाना संभव नहीं है। किसी को जबरन किसी के साथ रहने को बाध्य नहीं किया जा सकता है। अधिक से अधिक भरण पोषण की राशि अदा करने का आदेश दिया जा सकता है। इस डिक्री का यही असर होता है कि दाम्पत्य अधिकारों के प्रत्यास्थापन की डिक्री पारित होने पर भी यदि कोई उस की पालना न करे तो इस पालना न करने के आधार पर तलाक प्राप्त किया जा सकता है।

किसी स्त्री को  अपने मायके से दहेज में प्रदान की गई वस्तुएँ, नकद राशि तथा अन्य उपहार उस का स्त्री-धन है।  स्त्री को अपने ससुराल से, अपने पति से तथा मायके व ससुराल वालों से मिले सभी उपहार भी स्त्री-धन हैं जिस का स्वामित्व स्त्री का है। स्त्री कभी इन की मांग अपने ससुराल वालों से कर सकती है। यदि कोई उस स्त्री के मांगने पर इन वस्तुओं को नहीं देता है तो वह अमानत में खयानत का धारा 406 आईपीसी के अंतर्गत अपराध करता है। इस के लिए वह पुलिस थाने में शिकायत दर्ज करवा सकती हैं या फिर न्यायालय के समक्ष स्वयं परिवाद प्रस्तुत कर सकती है। पुलिस स्त्री का सारा स्त्री-धन बरामद कर सकती है जिसे आप न्यायालय में आवेदन कर के प्राप्त कर सकती है। आप भी ऐसा कर सकती हैं।

दि आप के पति आप को अपने साथ नहीं रखते हैं, आप का खर्चा नहीं देते हैं या आप को मायके में रहने के लिए बाध्य करते हैं तो आप भरण पोषण के लिए धारा 125 दं.प्र.संहिता के अंतर्गत भरण पोषण की राशि प्राप्त करने के लिए आवेदन कर सकती हैं। आप के भरण पोषण के लिए राशि प्रदान करना आप के पति का दायित्व है, आप के पति को तलाक के बाद भी जब तक आप फिर से विवाह नहीं कर लेती हैं या पर्याप्त रूप से कमाने नहीं लगती हैं तब तक यह भरण पोषण की राशि आप को अदा करनी पड़ेगी।

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