बांदा, उत्तर प्रदेश से मनीष शर्मा ने पूछा है –
मेरी पत्नी के दादा जी का स्वयं की आय से खरीदा हुआ एक मकान बांदा में स्थित है। दादा जी के तीन पुत्रियाँ और एक पुत्र था। पुत्र का देहान्त हो चुका है लेकिन उस की एक पुत्री जीवित है। तीन पुत्रियों में से दो की मृत्यु हो चुकी है वे अविवाहित थीं। शेष एक विवाहित पुत्री की भी मृत्यु हो चुकी है, लेकिन उस का एक पुत्र तथा एक पुत्री जीवित हैं। उक्त मकान का विभाजन किस प्रकार किया जा सकता है?
उत्तर –
मनीष जी,
आप की पत्नी के दादा जी की तीन पुत्रियों में से दो का अविवाहित अवस्था में ही देहान्त हो गया। उन का हिस्सा लेने वाला कोई शेष नहीं रहा। शेष बचे एक पुत्र व पुत्री जो दोनों भी अब जीवित नहीं हैं लेकिन उन की संतानें जीवित हैं। पुत्र का एक पुत्र जीवित है तथा एक मात्र विवाहित पुत्री की दो संतानें जीवित हैं। इस तरह आप के दादाजी के मकान के दो समान हिस्से होंगे एक हिस्सा पुत्र का होगा। चूंकि उन के पुत्र का देहान्त हो चुका है और एक पु्त्री आप की पत्नी हैं। यदि आप की सास जीवित हैं तो इस आधे हिस्से का आधा उन्हें और आधा आप की पत्नी को प्राप्त होगा। यदि आप की सास जीवित नहीं हैं तो आप की पत्नी को दादा जी के मकान में आधा हिस्सा प्राप्त होगा।
शेष आधे हिस्से के अधिकारी दादा जी की पुत्री के उत्तराधिकारी समान रूप से प्राप्त करेंगे। यदि उन के पति जीवित हैं तो उन्हें और उन की दोनों संतानों को आधे का एक तिहाई अर्थात तीनों में से प्रत्येक को 1/6 हिस्सा प्राप्त होगा और यदि दादा जी की पुत्री के पति जीवित नहीं हैं तो पुत्री की दोनों संतानों में से प्रत्येक को 1/4 हिस्सा प्राप्त होगा।