दिनेश कुमार ने पूछा है –
हमारे नाम शिमला में एक मकान है जो हमे अपने पिता जी की मौसी ने पिता जी को दान किया है पिता जी की मौसी के कोई संतान नहीं है, परन्तु उनके देवर के लडके उस मकान में पिछले 50 साल से रह रहे हैं और वे कोई किराया भी नही देते हैं। अब वे उस मकान को खाली करने से मना कर रहे हैं। यह मकान पिता जी की मौसी ने स्वयं ख़रीदा है और पुश्तैनी सम्पति नहीं है। पिता जी कि मौसी के देवर के लडकों का अपना मकान भी वहीं पर बना हुआ है, पर वह उन्होंने किराये पर दिया हुआ है। हमें सलाह दें कि इस मकान को खाली कैसे करवाएं?
उत्तर –
दिनेश कुमार जी,
आप के पिता जी उक्त मकान को उन से खाली करवा सकते हैं। लेकिन उस के पहले आप के पिता को उन्हें नोटिस देना होगा कि वे उस मकान को खाली कर के उस का कब्जा आप के पिता जी को संभला दें, अन्यथा वे मकान का कब्जा प्राप्त करने हेतु उन के विरुद्ध दीवानी वाद प्रस्तुत करेंगे। यह नोटिस आप किसी भी दीवानी वकील से भी दिलवा सकते हैं।
नोटिस की अवधि समाप्त हो जाने के उपरांत यदि आप के पिता जी की मौसी के देवर के पुत्र उक्त मकान को खाली कर के कब्जा आप के पिता जी को नहीं देते हैं तो आप के पिता जी उन के विरुद्ध कब्जा प्राप्त करने हेतु दीवानी वाद प्रस्तुत कर सकते हैं। लेकिन इस वाद पर आप को मकान के वर्तमान मूल्य के आधार निर्धारित न्यायशुल्क अदा करना होगा। इस सम्बन्ध में दीवानी वाद शिमला में ही जिला जज के न्यायालय में प्रस्तुत किया जा सकता है। आप को नोटिस देने, दीवानी वाद प्रस्तुत करने और उस में पैरवी करने के लिए शिमला के ही दीवानी मामलों के वकील से सलाह लेनी चाहिए और उस की सेवाएँ प्राप्त करनी चाहिए।