अश्विनी ने पूछा है –
किसी फौजदारी मुकदमे में बरी हो जाने के बाद जो हमारा समय और रुपया बरबाद हुआ है उस की पूर्ति कौन करेगा? इस के लिए क्या कार्यवाही की जा सकती है?
उत्तर – – –
अश्विनी जी,
आप का प्रश्न बहुत महत्वपूर्ण है। अक्सर ही ऐसा होता है कि किसी व्यक्ति की अकारण और दुर्भावनापूर्ण शिकायत पर पुलिस प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करती है, उस पर अन्वेषण करती है, जो अक्सर ही एक तरफा होती है। अन्वेषण में इस बात पर ध्यान दिया जाता है कि कैसे आरोपित अपराध को साबित किया जा सकता है, इस बात पर बिलकुल नहीं सोचा जाता है कि प्रथम सूचना रिपोर्ट में जिस अपराध का घटित होना कहा गया है वह सत्य भी है या नहीं। अन्वेषण के उपरांत पुलिस न्यायालय के समक्ष आरोप पत्र प्रस्तुत करती है और मुकदमे का विचारण आरंभ हो जाता है। विचारण के अंत में सबूतों के अभाव में आरोप साबित नहीं हो पाता है और अभियुक्त दोष मुक्त करार दिया जाता है। जिन मामलों में प्रथम सूचना रिपोर्ट का कोई आधार नहीं हो और अभियोजन दुर्भावनापूर्ण हो तो अभियुक्त दोष मुक्त करार दिए जाने के उपरांत अपने खर्चों के लिए दीवानी न्यायालय में दुष्कृति (Tort) के आधार पर दावा ला सकता है, जिस में उसे हर्जाना प्राप्त हो सकता है।
दुर्भावना को अभियोजन चलाने वाले व्यक्ति से पूर्व के तनावपूर्ण संबंधों, अनुचित व्यवहार जैस