समस्या-
केवल राम को अपनी पत्नी से कोई संतान नहीं हुई तो उसने दूसरी शादी कर ली। दूसरी पत्नी से एक संतान पुत्री हुई। अब उस पुत्री की उम्र १४ वर्ष है। केवल राम की पहली पत्नी ने एक लड़की को गोद ले लिया है। केवल राम के पास 14 एकड़ जमीन है जो उसने अपनी शादी से पहले खरीदी थी। हमें नहीं पता की गोदनामा लिखा है या नहीं। केवल राम की उम्र 70 वर्ष है। और वह बीमार रहता है। केवल राम पहली पत्नी के साथ ज्यादा रहता है। उस की पहली पत्नी 14 एकड़ जमीन अपनी गोद ली हुई लड़की के नाम करवाना चाहती है। केवल राम से कुछ कागजो पर पहली पत्नी ने अंगूठे लगवाये है और तहसील में आती-जाती रहती है। केवल राम की औरस संतान को अपना हिस्सा कैसे प्राप्त हो सकता है? केवल राम को जमीन गोदपुत्री के नाम करवाने से कैसे रोका जा सकता है? माँ बेटी को क्या करना चाहिए?
-करण पन्नू, पानीपत, हरियाणा
समाधान-
इस समस्या में केवल राम के पास जो 14 एकड़ भूमि है वह उस की स्वयं की खरीदी हुई है और केवल राम की स्वअर्जित सम्पत्ति है। वह इस संपत्ति को जिसे चाहे उसे हस्तांतरित कर सकता है अथवा वसीयत कर सकता है। इस मामले में केवल राम को किसी भी प्रकार से कानून के द्वारा बाध्य नहीं किया जा सकता है।
केवल राम की दूसरी पत्नी के साथ उस का विवाह यदि वह 1955 के बाद हुआ है तो अवैध है। लेकिन उस की पुत्री केवल राम की औरस पुत्री है। इस औरस पुत्री को अपने पिता की वही संपत्ति उत्तराधिकार में प्राप्त हो सकती है जो कि मृत्यु के समय केवल राम की स्वयं की संपत्ति हो और किसी अन्य के नाम वसीयत न कर दी गयी हो। यदि केवल राम अपनी संपत्ति पहली पत्नी की गोद पुत्री को हस्तान्तरित नहीं करे और वसीयत भी न करे तब भी केवल राम की संपत्ति उस की मृत्यु के समय उस के उत्तराधिकारियों को समान रूप से विभाजित हो कर प्राप्त होगी।
इस मामले में केवल राम की पहली पत्नी और दूसरी पत्नी की पुत्री उस के उत्तराधिकारी हैं। जहाँ तक गोद ली हुई पुत्री का प्रश्न है तो एक तो यह पता नहीं है कि गोद की रस्म हुई है या नहीं या गोदनामा लिखा गया है अथवा नहीं। लेकिन इतना सही है कि जब भी उसे गोद लिया गया था तब दूसरी पत्नी से उसे एक औरस पुत्री थी। इस कारण से केवल राम पु्त्री को गोद लेने के लिए सक्षम नहीं था। यदि उसे गोद लिया भी गया है तो वह अवैध है और गोद ली हुई पुत्री को गोदपुत्री नहीं माना जा सकता है। ऐसी स्थिति में केवल राम के केवल दो ही उत्तराधिकारी उस की पहली पत्नी और दूसरी पत्नी से उत्पन्न पुत्री ही है। केवल राम यदि कोई निर्वसीयती संपत्ति अपनी मृत्यु के बाद छोड़ जाता है तो वे दोनों उस की संपत्ति का आधा-आधा भाग प्राप्त करेंगी। लेकिन यदि केवल राम अपनी संपत्ति को हस्तांतरित करता है या वसीयत करता है तो उसे ऐसा करने से कानूनन नहीं रोका जा सकता है।
ऐसी स्थिति में केवल एक ही उपाय शेष रहता है कि केवल राम की दूसरी पत्नी और पुत्री दोनों किसी तरह से केवल राम को इस के लिए तैयार करें कि वह अपने बाद उन के लिए कुछ न कुछ संपत्ति अवश्य छोड़ कर जाए या जीते जी उन्हें कुछ संपत्ति दे।