रवि सहगल ने परीदकोट, पंजाब से भेजी है कि-
मेरी मौसी जी मोगा पंजाब में रहती है, उन की लड़की की शादी सात साल पहले हुई थी। उसकी एक लड़की भी है। उसके पति का शादी से पहले का अफेय्यर था जो हमें बाद में पता चला। हम ने उसे कई बार समझाया पर वो नही समझा। फिर मौसी अपनी लड़की और बच्ची को लेकर आ गई। मौसी ने काफ़ी देर बाद उसके पति पर उसके परिवार पर दहेज का ओर खर्चे का केस कर दिया। अब केस दो साल से चल रहा है। अब हमें पता चला है के वो लड़का उसी लड़की के साथ ही रह रहा है और उसका एक लड़का भी है। हमें ये भी पता चला है कि वो बिना शादी के रह रहे हैं। लड़का बात्टाला शहर से है, हम उसे सज़ा दिलवाना चाहते हैं। मेरे दिल में उस बच्चे के लए हमदर्दी भी आती है ओर कभी गुस्सा भी। हम लोग क्या करें, ओर अगर सज़ा दिलवाना चाहे तो कैसे दिलवाए? ओर अपनी बहन का भी हक उसे कैसे दिलवाया जाए। अगर बच्चे का जन्म सर्टिफिकेट या राशन कार्ड मिल जाए तो क्या उसे सज़ा मिल सकती है? लड़का अपने मा बाप के साथ नहीं रह रहा वो अब पठानकोट में रह रहा है।
समाधान –
आप की मौसी ने ठीक किया जो बेटी को वापस ले आई और स्त्रीधन न देने व भरण पोषण के लिए कार्यवाही की है। आप ने लिखा है कि दहेज का मुकदमा किया है वह वास्तव में दहेज का न हो कर स्त्री धन न लौटाने व क्रूरता बरतने का मुकदमा ही होना चाहिए। इस मुकदमे की पैरवी ठीक से हो तो इस में भी आप की बहिन के पति को सजा हो सकती है। आप की मौसी ने बहुत देरी की। जब पहली बार पता लगा था कि उस के पति का अफेयर है तभी बेटी को वापस ला कर कार्यवाही करनी चाहिए थी।
किसी भी व्यक्ति को जो अपनी पत्नी के साथ नहीं रहना चाहता है उसे बाध्य नहीं किया जा सकता है। बेहतर है कि आप की बहिन को अब विवाह विच्छेद के लिए कार्यवाही कर के विवाह विच्छेद की डिक्री प्राप्त कर स्वतंत्र हो जाना चाहिए।
आप किसी तरह यह साबित कर सकते हों कि आप की बहिन के साथ विवाह होने के उपरान्त उस के पति ने किसी अन्य स्त्री के साथ यौन संबंध बनाए हैं तो यह आप की बहिन के लिए विवाह विच्छेद का पर्याप्त आधार होगा। इस के अतिरिक्त भी अन्य आधार हो सकते हैं। इस तरह का विवाह विच्छेद होने के बाद भी आप की बहिन किसी दूसरे व्यक्ति से विवाह करने तक अपने पति से स्वयं के लिए तथा पुत्र के लिए उस के वयस्क होने तक भरण पोषण राशि प्राप्त कर सकती है।
पत्नी के रहते हुए किसी दूसरी स्त्री से यौन संबंध बनाना किसी भी कानून के अन्तर्गत अपराध नहीं है। जिस के कारण उस कृत्य के लिए कोई दंड नहीं दिलाया जा सकता। पत्नी चाहे तो इस कृत्य के लिए अपने पति से विवाह विच्छेद कर सकती है, एक मुश्त भरण पोषण अथवा प्रतिमाह भरण पोषण प्राप्त कर सकती है।