समस्या-
महेन्द्र सिंह ने पोर्वोरिम, गोआ से समस्या भेजी है कि-
मै उत्तराखण्ड का रहने वाला हूँ, मैं गोआ के 4 स्टार होटल मे काम करता था। एक साल काम करने के बाद कुछ कारणवश मुझे काम छोड़ना पडा। उसके बाद जल्दी कहीँ काम न मिलने पर मैं एक छोटा होटल में जनवरी से मई तक 5 माह काम किया। उनसे 10 हजार रुपयोँ पगार की बात हुई थी। जिसमें उसने केवल जनवरी का एक महिने का पगार दिया था। उसके वह बात टालने लगा। कल दूँगा.परसोँ दूँगा. 2-3 दिन मेँ दूँगा, ऐसे करके बात टालने लगा। मैंने मई लास्ट में काम छोडा। उनकी ओर मेरा 40 हजार रुपया बाकी है। घर वालोँ ने मेरी सगाई तय किया था, जिससे मुझे जून मे घर जाना था पैँसे न मिलने के कारण घर नहीं जा पाया। मेँ घर मै खाली बैठा पडा हूँ। मालिक से पैसो की प्रतीक्षा करते-2 दो महिना हो गया है और वह पैसे देने का नाम नही ले रहा है। मुझे गोआ में 2 वर्ष होने वाला है और मैं घर नही जा पा रहा हूँ। घर वालोँ का कॉल पे कॉल आ रहा है, लेकिन शर्म के मारे मैं उनका कॉल रिसीव नहीं कर पाता हूँ और हाल ही में मेरे पास एक भी रुपया नहीं है। ऐसे लाईफ से सुसाईड बेहतर है। मेरी बातोँ का बुरा मत मानना सर। आप ही बताईए इसका हल किस प्रकार करुँ।
समाधान-
आप को सब से पहले तो यह समझना चाहिए कि आप ने मेहनत की है और आप के मालिक ने आप को चार माह की मजदूरी नहीं दी तो इस में आप का कोई कसूर नहीं है। इस के लिए परिवार वालों या किसी भी अन्य व्यक्ति के सामने आप को शर्मिन्दा होने की जरूरत नहीं है। इस तरह आप अपनी तकलीफ और अपने विरुद्ध हुए अन्याय को छुपा रहे हैं और आप अन्याय करने वाले आप के उस मालिक को जो आप की मजदूरी को दबाए बैठा है और डकार जाना चाहता है उस की मदद कर रहे हैं। आप को तो इस अन्याय के विरुद्ध पूरी ताकत से चिल्लाना चाहिए। मजदूरी न देने वाले मालिक की उस के आसपास के इलाके में खूब बदनामी करनी चाहिए कि इस होटल वाला बेईमान है, उस के हर ग्राहक को बताना चाहिए कि होटल वाला कितना बेईमान है।
आप ने जिस छोटे होटल में काम किया उस के मालिक से आप का मजदूरी का जो कांट्रेक्ट हुआ वह लिखित में नहीं केवल मौखिक हुआ होगा। आप के पास इस तरह का कोई सबूत नहीं होगा जिस से आप साबित कर सकें कि मजदूरी की क्या दर तय हुई थी। आप ने वहाँ वाकई 5 माह काम किया है। न तो कोई हाजरी रजिस्टर होटल वाले ने रखा होगा और रखता होगा तो उस में आप का नाम नहीं लिखा होगा।
देश में वेतन भुगतान अधिनियम 1936 नाम का एक कानून है। मजदूरी न देने पर कोई भी मजदूर जिस का नहीं दिया गया है, वेतन बकाया होने के एक वर्ष की अवधि में इस अधिनियम में नियुक्त प्राधिकारी के यहाँ बकाया वेतन की वसूली के लिए दावा कर सकता है। गोआ में जहाँ आप ने काम किया है उस इलाके के श्रम विभाग में जा कर बकाया वेतन का दावा कर दें। यदि आप यह साबित करने में सफल हुए कि आप कि मजदूरी बकाया है तो प्राधिकारी आप को वेतन देने का आदेश नियोजक को देगा। और न देने पर वेतन की वसूली जुर्माने की तरह वसूल कर आप को दिलाएगा। लेकिन यह प्रक्रिया ऐसी है कि इस में कम से कम साल दो साल लग जाएंगे। तब तक आप गोआ में नहीं रह सकते। आप नहीं रहेंगे तो आप का यह मुकदमा खारिज हो जाएगा। इस तरह मजदूर को मजदूरी दिलाने का जो सरकारी इन्तजाम है वह केवल दिखावे का है। उस के भरोसे रहना बेवकूफी है। असल में इस देश में कोई इन्तजाम नहीं है कि एक मजदूर की बकाया मजदूरी सरकार उसे शिकायत मिलने के बाद एक दो माह में मजूर को दिला दे।
बेहतर यह है कि उस इलाके के अपने परिचितों और अन्य व्यक्तियों को जो आप के साथ खड़े होने को तैयार हों ले कर होटल मालिक के सामने जाएँ और मजदूरी देने को कहें। कहें कि यदि मजदूरी न दी तो होटल की बदनामी करेंगे, यदि होटल वाला इस तरह मजदूरी दे तो ठीक है वर्ना सोच लें कि यह मजदूरी बट्टे खाते गई।