समस्या-
राजीव कुमार ने बांदा उत्तर प्रदेश से पूछा है-
कुछ लोग मेरी जमीन पर जबरन कब्जा कर रहे थे जिसकी शिकायत किया था। किन्तु पुलिस ने उल्टा मेरे खिलाफ ही शन्ति भंग की कार्यवाही की और एस डी एम द्वारा 111 crpc की नोटिस दी गई है। जिसमे बंध पत्र व दो जमानत दाखिल करने को कहा गया है। मैं जमानत दाखिल करने के बजाय इसमे आपत्ति दाखिल करना चाहता हूँ कि मुझसे बंध पत्र व जमानत क्यूं न ली जाय। कृपया मुझे 111 crpc नोटिस के विरुद्ध आपत्ति का प्रारुप भेजने की कृपा करें।
समाधान-
शान्ति भंग के मामले में आम तौर पर ऐसी नोटिस कार्यकारी मजिस्ट्रेट से प्राप्त होती है। आपने जो शिकायत पेश की उस पर पुलिस ने जाँच करके यह निष्कर्ष निकाला कि जमीन के मामले में विवाद है और दोनों पक्षों के बीच शान्ति भंग होने की पूरी संभावना है इस कारण दोनों पक्षों को पाबन्द किया जाए कि वे शान्ति भंग न करें।
अब आपको सुने बिना तो कार्यकारी मजिस्ट्रेट (एसडीएम) ऐसा आदेश नहीं दे सकता। इस कारण आपको 111 का नोटिस भेजा गया है। इसके विरुद्ध आपको कोई लिखित आपत्ति प्रस्तुत करने की जरूरत नहीं है। जैसे ही आप अदालत में उपस्थित होंगे आपको नोटिस सुनाया जाएगा। आपको केवल इन्कार करना है कि आप ने कोई शान्ति भंग नहीं की और न ही आपकी तरफ से शान्ति भंग होने की कोई संभावना है। तब आपको कहा जाएगा कि पुलिस अपनी शिकायत को साबित करेगी। अगली तारीख दी जाएगी।
लेकिन आपको कहा जाएगा कि आप अगली तारीख पर और सुनवाई की तमाम तारीखों पर उपस्थित होते रहेंगे इस बात के लिए जमानत और मुचलका पेश करें। आपको यह करना होगा अन्यथा आपको जेल भेज दिया जाएगा। आपसे यह भी कहा जा सकता है कि सुनवाई की अवधि में आप अपनी ओर से शान्ति बनाए रखने के लिए जमानत और मुचलका पेश करें। यदि पुलिस छह माह में अपनी शिकायत को साबित नहीं करती तो यह मुकदमा मजिस्ट्रेट को खारिज करना होगा। बेहतर है कि इस मामले में किसी वकील की मदद लें।