समस्या –
आगरा, उत्तर प्रदेश से वी.के. वर्मा ने पूछा है –
हमारे पिता द्वारा एक अर्जित सम्पत्ति है जिसके वे तनहा अकेले मालिक हैं। हम दो भाई हैं जिसमें छोटे भाई का सम्पूर्ण परिवार एक दुर्घटना में नष्ट हो चुका है। पिताजी ने हमारी स्वीकृति के साथ दस वर्ष पूर्व छोटे भाई के नाम एक पंजीकृत वसीयत उपरोक्त संपत्ति के बाबत की है जिसमें उस को तनहा मालिक बनाया गया है। हम दोनों भाइयों में कोई मतभेद नहीं है। कृपया सलाह दें कि उपरोक्त वसीयत को उनकी म्रत्यु पूर्व खारिज कराये जाने की आवश्यकता है या नहीं? जिस से भविष्य में किसी प्रकार के सम्पत्ति के निष्पादन कार्रवाई में परेशानी न हो। विदित हो कि परिवार में उत्तराधिकार संबंधी कोई समस्या नहीं है।
समाधान-
आप का कहना है कि परिवार में उत्तराधिकार की कोई समस्या नहीं है, लेकिन समस्या अभी कहाँ से होगी, वह तो पिता के जीवन काल के बाद खड़ी हो सकती है। आप ने यह नहीं बताया कि आप चाहते क्या हैं? यदि यह बता दिया होता तो सभी समस्याएँ सामने आ जातीं। फिर भी लगता है कि आप यह चाहते हैं कि पिता जी के जीवनकाल के बाद संपत्ति दोनों भाइयों में आधी आधी बँटे या सारी संपत्ति आप के पास आ जाए तो ऐसा सोचना गलत है।
आप के पिता जी के जीवनकाल में उन की संपत्ति के वे स्वामी हैं। उन के जीवनकाल के बाद उक्त वसीयत के अनुसार वह सारी संपत्ति आप के भाई की हो जाएगी। तब आप के भाई उक्त संपत्ति को विक्रय कर सकते हैं, किसी को दान कर सकते हैं या वे अपना परिवार बसा लें तो फिर उन के उत्तराधिकारी उत्पन्न हो जाएंगे तब वह उन को मिलेगी। यह भी हो सकता है कि भविष्य में आप के भाई परिवार भी न बसाएँ पर किसी से रागात्मक संबंध बन जाएँ और उसे दान या वसीयत कर दें। यह भी हो सकता है कि आप के भाई किसी लड़के या लड़की को गोद ले लें तो वह उन का उत्तराधिकारी हो जाए।
इन सारी संभावनाओं को देखते हुए वसीयत का निरस्त किया जाना और नई वसीयत का बनाया जाना जरूरी है। यदि आप के पिता दोनों भाइयों को समान रूप से संपत्ति देना चाहते हैं तो उक्त पुरानी वसीयत को समाप्त कर देना चाहिए और उस के स्थान पर नई वसीयत दोनों भाइयों के नाम या जैसे भी आप के पिता चाहें बनवा कर उसे पंजीकृत करवा देना चाहिए।